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S ᴍ ᴀ ʀ ᴛ ʏ ᗪoɴ

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:-2025

©S ᴍ ᴀ ʀ ᴛ ʏ ᗪoɴ #sjatt1401  splender

Vikash Kumar

दिल-ऐ-मुसाफ़िर!

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क्या कहती है ज़रा तवज़्ज़ो हो!!

की तुम ना आओ तेरी एक चाहत की मुस्कान ही महकती है!
हर एक शब के बाद एक नयी चिड़िया चहकती है!
तेरा हर बूंद धरती पर गिर जाती है!
पर मेरी चाहत उस चातक सी बढ़ती जाती है!!!! #hindi #yqbaba #yqbabaquotes #yqbabathoughts   #YourQuoteAndMine
Collaborating with  Indrina Amrita
#मुसाफ़िर की कलम
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दिल-ऐ-मुसाफ़िर!

#मुसाफ़िर की कलम

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निकला है चाँद बादलों के पीछे पर आसमाँ साफ लगता है!
ये मनचलों की दुनिया है यँहा अहले दिल तलाश लगता है!!

ढूंढ लू एक गुलाब इस गुलजार ऐ दुनिया मे,
पर काँटो से भरा वो भी एक ख्वाब लगता है!!

ये बहारे चमन गुल कैसा खिलाये  है!
शब के बाद भी दिन में अनजानी सी रात लगता है!!

अहले दिल की तलाश है इस मुसाफ़िर को जँहा में!
पर वो भी मिले इस बदलती हवा में ये ख्वाब लगता है!!

निकलता तो है हर रोज चाँद चांदनी-ऐ-शब में!
पर वो भी इस कहकही सी दुनिया से अनजान लगता है!!
#sjatt1401 #मुसाफ़िर की कलम

दिल-ऐ-मुसाफ़िर!

#मुसाफ़िर की कलम

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 हमने उल्फत में भी उनके चेहरे पर नूर देखा है!
बहते हुए हवाओं में भी उसमे एक सुरूर देखा है!!

ये इश्क हकीमो के बस की बात नही यारों!
हमने पत्थर को भी मोहब्बत में चूर देखा है!!

ये फूलों की बस्तियां है यारों,
यँहा काटें भी अश्कों के नाम पर हुजूर देखा है!

मुकाबला ना कर मेरे इश्क की दरख्वास्त से!
हमने गुस्से में भी एक अलग सा दस्तूर देखा है!!

ये नफरतों की दुनिया है!
पर यँहा भी अहले दिल का कसूर देखा है!!!

पर उनके चेहरे पर नूर देखा है!!!
#sjatt1401 #मुसाफ़िर की कलम

दिल-ऐ-मुसाफ़िर!

#मुसाफ़िर की कलम

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बेरहम ये दुनिया है, रुला कर ही हँसती है!!
ना रोने पर दुःखी और रोने पर हँसती है!!
बेरहम ये दुनिया है,रुला कर ही हँसती है!!

ज़िन्दगी के अरमानों में ये हर वक़्त फँसती है!
मंजिल कोई भी चुनो ये रास्ते मे उलझती है!!
बेरहम ये दुनिया है,रुला कर ही हँसती है!!

ज़िंदा को गुमनाम और मुर्दों पे रोती है!
मौत का बिस्तर बना उसी पर ये सोती है!
बेरहम ये दुनिया है रुला कर ही हँसती है!!

बंजर-ऐ-दिल मे प्यार भी बोती है!!
मुस्कान को दफना ये आँशु ही ढोती है!
बेरहम ये दुनिया है रुला कर ही हँसती है!!

खुद के ज़नाज़े में चुपचाप सोती है!!
पर ज़माने के दर्द पर ये गुमनाम सी हँसती है!!
बड़ी बेरहम ये दुनिया है रुला कर ही हँसती है!!
#sjatt1401





 #मुसाफ़िर की कलम

दिल-ऐ-मुसाफ़िर!

#मुसाफ़िर की कलम

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ये रिमझिम सा सावन ये कुवें का पानी!
कैसे  मैं कह दूं अपनी कहानी!!

ये घिसी है रस्सी ,ये ज़ुल्मत की निशानी!
कैसे मैं कह दूं अपनी कहानी!!

ये दरिया की मस्तियाँ मेरे बुजुर्गों की अस्थियाँ!
डूबी है इनमें मेरे हर ज़ुस्तज़ु की कश्तियाँ!!

आंखों में नूर ,चेहरे पर नजाकत!
कैसे बया करूँ ये लफ़्ज़ों की शराफत!!

ये दिलकश नजारे ये महफ़िल की रवानी!
ऐ हमसफ़र तू ही बता कैसे कहूँ मैं अपनी कहानी!!
#sjatt1401
 #मुसाफ़िर की कलम

दिल-ऐ-मुसाफ़िर!

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चांदनी रात में चाँद तका करते है लोग!
हुस्न से नही आँखों से कजा करते है लोग!!
 #sjatt1401

दिल-ऐ-मुसाफ़िर!

#sjatt1401

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आंखों में लिया हूँ तेरी जुस्तजू का पानी!
आकर चला दो इस अश्क़-ऐ-दरिया में,
एक साहिल नूरानी!!!

तेरी खोज  में अब तो सितारा हो गया हूँ!
ढूंढता फिरता हूँ गलियों में आवारा हो गया हूँ!!
निकल आ चमन में ,थोड़ा मुस्कुरा दे!
थोड़ी सी बातों से तेरे गुजारा हो गया हूँ!!!
तू शाम ढले, रात चढ़े मिलो तो कभी,
देखना फिर तेरे चाहत में कितना गवाँरा हो गया हूँ!

वाकिफ हूँ ये मेरी चाहत भर है!
तू बस थोड़ा सा मुस्कुरा तो दे मेरी राहत भर है!!
मैं ठहरा आशिकी का पत्ता समंदर में!
मेरा किनारों पर जाना तो इबादत ही है!!!! #sjatt1401

दिल-ऐ-मुसाफ़िर!

#sjatt1401

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आंखों में बसर तो है पर तेरे सांसो की कमी है!!!
तू आजा, देख ये चेहरा कितना बेरहमी है!!

अब तो कलियाँ भी मुझ पर चमन में हँसी है!!
तू ही तो मेरी एक छोटी सी हमनशीं है!!

ये महज झूठा ख्वाब था!
जो कभी पूरा नही करना वो आफताब था!!

देख तेरे जाने के बाद खुद को किससे मिलाया हूँ!
तू फलक सोच नही सकती ऐसा गुल खिलाया हूँ!!!

महज ये ना सोच की हर वरक़ पर तेरा नाम ही होगा!!
मेरा भी हर शाम एक नया जाम होगा!!
जब भी मिलेगा कोई साकी तो एक रात होगा!
मैखाने में डूब भी जाऊंगा एक नया ख्वाब होगा!
पर तेरे पहली हुस्न-ऐ-मुक्कमल की चर्चा ,
नशा-ऐ-हुस्न-ओ-मैखाने के ढलने के बाद होगा!!!

तू महज एक सुखी पंखुड़ी बन रही जाएगी!
पर मेरी शोहरत हर एक साकी के जुबां होगा!!
तू अब एक ख्वाब सी रह गयी है!
और मेरे ख्वाब का अधूरा किस्सा फिर किसी
महफ़िल-ऐ-साकी के नशा-ऐ-हुस्न-ओ-मैखाने के ढलने के बाद होगा!!!!!!!!



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