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ANIL KUMAR,)
मन ही राम मन ही रावण है, हाय अब ये कैसी उलझन है । तुम ही सीता तुम ही द्रौपदी, ये कैसा मन,ये कैसा फ़न है । मिलते नहीं जो इस जहां में, ये कैसी धरा,ये कैसा गगन है । अनिल और सिर्फ अनिल है, वही तो मन,वही धड़कन है । ©ANIL KUMAR,) #अनिल Miss Shalini poonam atrey Anuradha Sharma Ashutosh Mishra ख़्वाबों की दुनिया satya nadh Tsbist waqt Zero_ Artimaurya Anshu writer जयश्री_RAM Rakesh Srivastava Banarasi.. GOLAM ALI Aman thakur sahab
#अनिल Miss Shalini poonam atrey Anuradha Sharma Ashutosh Mishra ख़्वाबों की दुनिया satya nadh Tsbist waqt Zero_ Artimaurya Anshu writer जयश्री_RAM Rakesh Srivastava Banarasi.. GOLAM ALI Aman thakur sahab
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चेहरे पे हँसी दिल पे लाख उदासी रखते हैं; लोग ऐसे शख़्सियत अच्छी-खासी रखते हैं टूट जाते हैं अंदर से दिखाते कभी नहीं मगर दिल में ईश बसाकर मन में काशी रखते हैं अनिल कुमार निश्छल ©ANIL KUMAR #intezaar चेहरे पे हँसी दिल पे लाख उदासी रखते हैं; लोग ऐसे शख़्सियत अच्छी-खासी रखते हैं टूट जाते हैं अंदर से दिखाते कभी नहीं मगर दिल में ईश बसाकर मन में काशी रखते हैं अनिल कुमार निश्छल #अनिल #उदासी #हंसी
ANIL KUMAR
जीवन है इक राग बसंती, रंगबिरंगा फ़ाग बसंती। याद बसंती,दाद बसंती, सतरंगी इमदाद बसंती।। सुख-दुःख जीवन के पहलू दो, मीठा-तीखा स्वाद रहे बस। दुनिया रूठे गर रूठे पर, अपनों का संग साथ रहे बस। सारी दुनिया एक तरफ़ है, एक तरफ़ परिवार हमारा। एक अमोल खज़ाना जग का,खिला-बसा संसार हमारा। हम सब कलियों का है प्यारा, ख़्वाब बसंती, बाग बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ मात-पिता इक नींव हमारे, भाई-बहना और सहारे। जीवन-नैया धीरे-धीरे, लग जाती है एक किनारे। मानव-जीवन एक रहे ना, रात कभी तो भोर हुई है। शेर बना है गली का कुत्ता,धूल कभी सिरमौर हुई है। वक्त किसे कब राजा कर दे,घात बसंती,नाद बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ रोना हरदम ठीक नहीं है, कौन भला है सुखी यहाँ। छोटी-छोटी बातों को ले, रहते अक्सर हैं दुःखी यहाँ। छोटी-छोटी खुशियाँ ढूँढो, और प्रभु का ध्यान धरो। जीवन हँसते-हँसते गुजरे,साथ प्रभु-गुणगान करो। भव-सागर से बंधन छूटे,वात बसंती,त्याग बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ अनिल कुमार ''निश्छल'' हमीरपुर, बुंदेलखंड उ०प्र० ©ANIL KUMAR #uskebina #अनिल #निश्छल #निश्छल जीवन है इक राग बसंती, रंगबिरंगा फ़ाग बसंती। याद बसंती,दाद बसंती, सतरंगी इमदाद बसंती।।
ANIL KUMAR
बात-बात पे रोना छोड़ो,बात-बात पर रोना। जीवन सुख-दुःख का है प्यारे,प्यारा एक बिछौना।। पतझड़ का मतलब न है की, जीवन केवल रीता है। इसका मतलब केवल न है,समय बुरा ही बीता है। पतझड़ आकर लाता है,नईं कोपलें शाखों पर और बसंती मौसम फिर,ख़्वाब भरे कुछ आँखों पर जीवन केवल पतझड़ न है,है एक बसंती-छौना। काली-रात अंधेरी है तो,कल सूरज भी आएगा। इक-सा वक़्त नहीं रहता है,आकर के बतलाएगा। रात अगर होती है भारी,नई भोर भी फिर होगी। तमस हमेशा न रह पाता,नई छोर भी फिर होगी। इस संसार में वक़्त के सब,मानो खेल खिलौना। फूलों को पाने की चाहत,काँटों से होकर गुजरे। सुख पाने की झुंझलाहट, दुःख के क़तरे बन बिखरें। धीरज का बस यही समय है,फल पकने में देरी है। वक़्त की लाठी न्याय करे है, करती नहीं अंधेरी है। अच्छे को अच्छा मिलता है, और बुरे को मिले घिनौना। मन की हसरत केवल है,बस फूलों की बाँह मिले। हर मंजिल तक जाने वाली,बस सीधी इक राह मिले। कंकड़-पत्थर वाले रस्ते,पैर पे छाले पड़ जाएँगें। मंजिल अपनी वो पाएँगें, जो आगे बढ़ जाएँगें। और खुशी से भर जाएगा,मन का कोना-कोना। धीरे-धीरे चलना सीखो,धीरे-धीरे ही बढ़ना। चलो नहीं खरगोश के जैसे, कछुए जैसे तुम चलना। और सफलता तुम्हें मिलेगी,कहता निश्छल बात यही। चौबीस कैरेट ख़री-ख़री, निकलेगी सच बात,कही। हँसने के पहले पड़ता है,बहुत दिनों तक रोना। वर्तमान को जी भर जीना, और भाव्य की चिंता ना। जो बीता सकुशल ही बीता, अन्य भाव्य की चिंता ना। खुशियों में ही कट जाएगा,खुशियों से खुशियाँ मिलती। मनभावन-बसंत आने पर,बागों की कलियां खिलतीं। खुशियाँ पाने की ख़ातिर,खुशियाँ पड़ता बोना। अनिल कुमार ''निश्छल'' ©ANIL KUMAR #intezaar #अनिल #अनिल_कुमार #जीवन #Sukha #दुख बात-बात पे रोना छोड़ो,बात-बात पर रोना। जीवन सुख-दुःख का है प्यारे,प्यारा एक बिछौना।।
ANIL KUMAR
नेह बाँटो अगर नेह पाते रहो बाँट-मिलके सभी आप खाते रहो नफ़रतों से भला किसका होता भला हर तरफ़ प्रेम-खुशबू उड़ाते रहो रंग केवल अलग एक जैसे सभी फ़र्क करते नहीं ये जताते रहो एक सबके ख़ुदा रूप सबके अलग प्रेम-संदेश सबको सुनाते रहो पीढ़ियाँ प्यार करना जरा सीख लें इश्क़ अनमोल है तुम बताते रहो इश्क़ मज़हब मेरा इश्क़ ईमान है द्वेष,गुस्सा,जलन को जलाते रहो दर्द दूजों का तुमको भी महसूस हो नेक बनकर रहो थाप पाते रहो धर्म मानव बड़ा और कोई नहीं क़ौम मानव रहे काम आते रहो अनवरत नेह-गंगा यूँ बहती रहे ज़ाम ''निश्छल'' जमन का पिलाते रहो अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर, उ0प्र0 ©ANIL KUMAR #kitaab #अनिल_कुमार_निश्छल #शेर #जिंदगी #अनिल #प्रेमगीत #viralpost #viral
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हमारा चाँद आया है कि बागों में खिली कलियाँ बहारों ने सजाया है कि बागों में खिली कलियाँ उसे कहना बहुत है बात दिल की है मेरे यारो हंसीं रब ने बनाया कि बागों में खिली कलियाँ हंसीं चेहरो की दुनिया में मेरा साजन है नंबर वन ख़ुदा मेकअप कराया हैकि बागों में खिली कलियाँ बसा आंखों में जंगल है कहीं खोया रहूं हरदम जलवा बिछाया है कि बागों में खिली कलियाँ पड़े भ्रम में सभी बादल खुला फिर देख के जूड़ा कहां बादल ये छाया है कि बागों में खिली कलियाँ छलकता पाक दरिया की रवानी की जवानी है अभी घूंघट उठाया है कि बागों में खिली कलियाँ बदन कमलों की कलियों-सा धवल पावन भी मुखड़ा है बड़े भागों से पाया है कि बागों में खिली कलियाँ अनिल कुमार ''निश्छल'' ©ANIL KUMAR #Gulaab #शेर #दर्द #जिंदगी #shairi #कभी #अनिल #अनिल_कुमार_निश्छल
ANIL KUMAR
बात-बात पे रोना छोड़ो,बात-बात पर रोना। जीवन सुख-दुःख का है प्यारे,प्यारा एक बिछौना।। पतझड़ का मतलब न है की, जीवन केवल रीता है। इसका मतलब केवल न है,समय बुरा ही बीता है। पतझड़ आकर लाता है,नईं कोपलें शाखों पर और बसंती मौसम फिर,ख़्वाब भरे कुछ आँखों पर जीवन केवल पतझड़ न है,है एक बसंती-छौना। काली-रात अंधेरी है तो,कल सूरज भी आएगा। इक-सा वक़्त नहीं रहता है,आकर के बतलाएगा। रात अगर होती है भारी,नई भोर भी फिर होगी। तमस हमेशा न रह पाता,नई छोर भी फिर होगी। इस संसार में वक़्त के सब,मानो खेल खिलौना। फूलों को पाने की चाहत,काँटों से होकर गुजरे। सुख पाने की झुंझलाहट, दुःख के क़तरे बन बिखरें। धीरज का बस यही समय है,फल पकने में देरी है। वक़्त की लाठी न्याय करे है, करती नहीं अंधेरी है। अच्छे को अच्छा मिलता है, और बुरे को मिले घिनौना। मन की हसरत केवल है,बस फूलों की बाँह मिले। हर मंजिल तक जाने वाली,बस सीधी इक राह मिले। कंकड़-पत्थर वाले रस्ते,पैर पे छाले पड़ जाएँगें। मंजिल अपनी वो पाएँगें, जो आगे बढ़ जाएँगें। और खुशी से भर जाएगा,मन का कोना-कोना। धीरे-धीरे चलना सीखो,धीरे-धीरे ही बढ़ना। चलो नहीं खरगोश के जैसे, कछुए जैसे तुम चलना। और सफलता तुम्हें मिलेगी,कहता निश्छल बात यही। चौबीस कैरेट ख़री-ख़री, निकलेगी सच बात,कही। हँसने के पहले पड़ता है,बहुत दिनों तक रोना। वर्तमान को जी भर जीना, और भाव्य की चिंता ना। जो बीता सकुशल ही बीता, अन्य भाव्य की चिंता ना। खुशियों में ही कट जाएगा,खुशियों से खुशियाँ मिलती। मनभावन-बसंत आने पर,बागों की कलियां खिलतीं। खुशियाँ पाने की ख़ातिर,खुशियाँ पड़ता बोना। अनिल कुमार निश्छल ©ANIL KUMAR #andhere #newwsgaanv #gyaangaaon #निश्छल #अनिल #गीत #Nishchhal #अनिल_कुमार #Geetkaar #geet
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
The Writer Junction और आपके सभी सदस्यों को इस उपहार के लिए दिल से आभार और धन्यवाद व्यक्त करता हूँ। Dedicating a #testimonial to The Writer Junction© #अनिल प्रसाद सिन्हा #bestquotes5863
Dedicating a #testimonial to The Writer Junction© #अनिल प्रसाद सिन्हा #bestquotes5863
read moreAnil Prasad Sinha 'Madhukar'
Writer's Magnet और इनके सभी सदस्यों को साथ ही साथ मेरे सभी मित्रों को इस प्रशंसा-पत्र के लिए दिल से आभार व्यक्त करता हूँ। Dedicating a #testimonial to The Writer's Magnet© #अनिल प्रसाद सिन्हा #bestquotes5863
Dedicating a #testimonial to The Writer's Magnet© #अनिल प्रसाद सिन्हा #bestquotes5863
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