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Best पल्लवीमिश्रा Shayari, Status, Quotes, Stories

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Pallavi Mishra

तुझको मैं किसकी पनाहों में रखूँ
दिल में रखूँ या निगाहों में रखूँ

यूँ तेरा आसान मैं कर दूँ सफ़र
सर पे छतरी फूल राहों में रखूँ

बाँट दूँ दरिया दिली से हर ख़ुशी
दर्द को अब क़ैद  बाहों में रखूँ

चाँदनी मुझको इज़ाज़त दे अगर
चाँद की चाहत निगाहों में रखूँ

दिल बड़ा रख्खे जो सब के वास्ते 
क्यूँ न उसको बादशाहों में रखूँ 

जो ख़ता मासूम बच्चे से हुई
उसको भी क्या मैं गुनाहों में रखूँ

पीठ पीछे वार जो करने  लगे 
उसको कैसे ख़ैर-ख़्वाहों में रखूँ: #RDV19 #ghazal #ग़ज़ल #पल्लवीमिश्रा #कविता #शायरी

Pallavi Mishra

जो भी बच्चों को सिखाया 











जो भी बच्चों को सिखाया जा रहा है
क्या अमल में ख़ुद भी लाया जा रहा है

शान थी तहज़ीब अपने देश की जो
लड़ झगड़ कर क्यूँ भुलाया जा रहा है

देखते ही देखते क्या हो गया है
खून पानी सा बहाया जा रहा है

द्रौपदी, सीता, अहिल्या की तरह ही
नारियों को आज़माया जा रहा है

बेटियों को क्यूँ सुरक्षा दे न पाए 
इन सवालों को दबाया जा रहा है

©Pallavi Mishra #RDV19 #ग़ज़ल #शायरी #poem #पल्लवीमिश्रा

Pallavi Mishra

शूल सब चुन कर हटाना चाहिए
फूल से ख़ुशबू चुराना चाहिए

प्यार का दीपक जलाना चाहिए
नफरतों को यूँ मिटाना चाहिए

ग़र करो वादा किसी से दोस्त तुम
मरते दम तक फिर निभाना चाहिए

भोर से जाने कहाँ फिरते रहे
शाम को घर लौट जाना चाहिए

दोस्ती पे शक़ नहीं  करते मगर
दोस्तों को आज़माना चाहिए

रोते बच्चे को हँसाने के लिए
जीती बाज़ी हार जाना चाहिए

चार दिन की ज़िन्दगानी है मिली
इसमें बस हँसना हँसाना चाहिए

                    ©पल्लवी मिश्रा #RDV19 #ghazal #ग़ज़ल #पल्लवीमिश्रा

Pallavi Mishra

परिंदों को उड़ा कर देखते हैं
फज़ाओं को सजाकर देखतें हैं

कोई आता नहीं ज़ुल्मत कदे में 
चरागों को जला कर देखते हैं

जहाँ में अम्न की ख़्वाहिश हमें है
तो हम खुशियाँ लुटा कर देखते हैं

न जाने नींद कैसे आएगी अब
तेरी यादें भुला कर देखते हैं

किसी के घर तो फैलेगा उजाला
ये दिल अपना जला कर देखते है

भला कब तक वो यूँ रूठा रहेगा
मुहब्बत से मना कर देखते हैं

बहुत मशहूर है उनकी नवाज़िश
कभी हम आज़मा कर देखते हैं

बुलाने से कहाँ आता है कोई
चलो फिर भी बुला कर देखते हैं

यहाँ आलूदगी बढ़ने लगी है
कहीं हम और जा कर देखते हैं

©पल्लवी मिश्रा, दिल्ली। #RDV19 #ghazal #ग़ज़ल #शायरी #पल्लवीमिश्रा

Pallavi Mishra

है मंज़ूर हमको जो चाहे सज़ा दो
मगर इल्तिज़ा है ख़ता तो बता दो

ज़रा ज़ुल्फ़ अपनी हवा में उड़ा दो
दिलों पर मुहब्बत के सावन लुटा दो

हमें तीरगी रास आती नहीं है
कहाँ छुप गए हो झलक तो दिखा दो

यही ज़ख़्म भरने की सूरत हो शायद
दवा हो चुकी हो सके तो दुआ दो

हमें हिज़्र में नींद आती नहीं है
ज़रा हाल अपना भी हमको सुना दो

अगर चाँद बनने के क़ाबिल नहीं हैं
फ़लक का सितारा ही हमको बना दो

है ये आग जंगल की फैले न देखो
न भूले से तुम नफरतों को हवा दो

©पल्लवी मिश्रा, दिल्ली। #RDV19 #ghazal #ग़ज़ल #पल्लवीमिश्रा

Pallavi Mishra

Pallavi Mishra

Pallavi Mishra

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