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ऋषि 'फ़क़त'
लिखा है जब मुक़द्दर ने शब-ए-हिज्राँ ग़म-ए-फ़ुर्क़त, लिखो मत दास्तान-ए-दिल लिखो उनवाँ ग़म-ए-फ़ुर्क़त। अजब रस्ता अजब मंज़िल अजब थी ख़्वाहिशें उनकी, तलब थी ख़ल्वतें उनकी नशा-ए-जाँ ग़म-ए-फ़ुर्क़त। नहीं काफ़ी नहीं उनको लगेगा ज़ख़्म पे मरहम, नमक की दो दुआ जिनको दवा-दरमाँ ग़म-ए-फ़ुर्क़त। बड़ी धीमी हुई रफ़्तार सागर के मुहाने पर, नदी बहती रही जब तक रहा इम्काँ ग़म-ए-फ़ुर्क़त। किसी को जब कभी भी हाय मैंने हाल बतलाया, कहा सुल्ताँ वहाँ का मैं जहाँ दरबाँ ग़म-ए-फ़ुर्क़त। ©ऋषि 'फ़क़त' #ग़जल #ग़म #Poetry #Shayari #nojohindi #nojato #nojatohindi
Jai Gupta
मापनी - १२२२-१२२२-१२२ मुहब्बत में तेरे दिलबर खड़े हैं झलक इक पाने को बाहर खड़े हैं।।१ ये ऊँचे महलों वाले क्या ही जानें कि कितने आदमी बेघर खड़े हैं।।२ यहाँ हम मुंतज़िर हैं राह मे औ वहाँ पहले से सौदागर खड़े हैं।।३ कहाँ तक तुम बचोगे दुश्मनों से वो घर के नीचे कीना वर खड़े हैं।।४ #ग़जल #शेर #शायरी #दर्द #प्यार
LOL
वो कहते हैं तुम कभी ग़जल नहीं लिखते क्योंकि तुम कभी भी बहर में नहीं लिखते! हम आज़ाद ख़्यालों के पंछी हर्फ़ बाँधते नहीं गिनतियों में हम जो भी लिख दें वो खुद-ब-खुद बहर है.. तू भी निकल के देख इन आंकड़ो के फेर से जाने उंगलियों में फंसी कब से तेरी ये नज़र है! ©KaushalAlmora अरे ग़जल के कीड़ों! ज़रा मीटर चेक कर लेना!😂🤣 Song of d eve: मीटर down (Taxi no 9 दो 11) #बहर #ग़जल #fuck #रोजकाडोजwithkaushalalmora #yqdidi #whocares
Rekha (sahar)
Vimlesh Miledar Saroj
मोहम्मद मुमताज़ हसन
दर्द ए दिल की निशानी रह गई लम्हा गुज़र गया कहानी रह गई ग़म सहे हैं ज़ख़्म निखरने तक आते आते दर पे शादमानी रह गई सब हक़ीक़त ही थे किस्से तमाम ज़िन्दगी मुकम्मल कहानी रह गई वक़्त ने वक़्त की मोहलत लूटी बाक़ी हालात की मेहरबानी रह गई उधर सैलाब में डूब गई थी बस्ती इधर नदी प्यासी बिन पानी रह गई झूट - फ़रेब- नफ़रत और सितम यही इंसान की कारस्तानी रह गई ( मोहम्मद मुमताज़ हसन ) #दर्ददिलोंके #ग़जल
OM Prakash Lovevanshi "Sangam"
मोहम्मद मुमताज़ हसन
हमने जारी ये सिलसिला रक्खा आपको रिश्तों के दरमियाँ रक्खा क़रीब और क़रीब होता रहा था मैं उसी ने जाने क्यूँ फासला रक्खा क़दम-क़दम पे ठोकरें लगी हमको चलने का हमने मगर हौसला रक्खा ज़ख्म देती रही ये दुनिया मुझको दर्द सहने का दिल में माद्दा रक्खा मैं जानता था वो इतना बुरा भी नहीं ज़माने ने जिसे बहुत बरगला रक्खा उसने सोचा 'मुमताज़' ख़फ़ा है उससे पास आया तो गले से लगा रक्खा ( मोहम्मद मुमताज़ हसन ) #ग़जल #हमने जारी ये सिलसिला रक्खा
मोहम्मद मुमताज़ हसन
Mumbai Rains आओ के प्यार का मौसम आ गया, बारिश-ए-बहार का मौसम आ गया! फ़ज़ा में बिखरी है खुशबू-ए- मिट्टी , गुल-ए-गुलज़ार का मौसम आ गया! नए पत्तों से रौशन दरख़्तों के साए हैं, फूलों के निखार का मौसम आ गया! महक उठेगा गुलशन-गुलशन, फसल-ए-बहार का मौसम आ गया! हकीकत-बयानी कर देगा चेहरा, आईना-दार का मौसम आ गया! डस लेगी तन्हाई तुझको मुमताज़ लो अश्क़बार का मौसम आ गया!! -मोहम्मद मुमताज़ हसन #rain #ग़जल
Sangam Ki Sargam
वीरान समंदर के किनारों पर तूफान लाने के लिए काफी है............।।।।।...... यार......!!! तुम पर लिखी ग़ज़ल महफ़िल में जान लाने के लिए काफी है।........... #ग़जल #teamnojoto