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कवि मनोज कुमार मंजू

मैंने खादी को समता का ढोल पीटते देखा है। 
और रेलियों में पूड़ी के टूंक फेंकते देखा है।।

©कवि मनोज कुमार मंजू #खादी 
#समता 
#ढोल 
#रेली 
#मनोज_कुमार_मंजू 
#मँजू 
#humantouch

जीtendra

खादी और खाकी देखेंगे तो हैरत करेंगे लोग ,
गुंडई छोड़ देंगे या गुंडई ही करेंगे लोग... #खादी #खाकी #गुंडागर्दी

Devesh nand Singh

सीधा-साधा वेश था, ना कोई #अभिमान , #खादी की एक धोती पहने #बापूजी की थी शान! #गांधीजयंती जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं .. ... .. Collab With Me 👉 Devesh nand Singh Follow Mee For More 👉 Devesh nand Singh #deveshnandsingh #devaquoteshindi #apekibaat #deveshshayari

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सीधा-साधा वेश था, ना कोई अभिमान,खादी
  की एक धोती पहने बापू की थी 
शान! गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं सीधा-साधा वेश था, ना कोई #अभिमान ,
#खादी की एक धोती पहने #बापूजी की थी शान!
#गांधीजयंती जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
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Collab With Me 👉 Devesh nand Singh
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संजीव निगम अनाम

#खादी

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हवा  में   पतंगे, उड़ाते  रहे  है,
जो घर आसमां में,बनाते रहे है।

गुनाहों की चादर है मैली की मैली।
पहन कर वो खादी, छिपाते  रहे है।

जो झंडा उठाकर,खबर बेच देते,
वतन को वो मेरे गिराते रहे है।

लगा माथ टीका,बने हैं पुजारी,
दुकानें वो अपनी चलाते रहे है।

ये सत्ता ये मजहब, हुई  ठेकेदारी,
सदा  रौब अपना, जमाते  रहे है।

जो कल था नहीं आज होगा न कल भी,
दफन वक़्त मिट्टी समाते रहे है।

          संजीव निगम "अनाम" #खादी

राजेश गुप्ता'बादल'

खाकी खादी और तमंचा ऊपर से काला कोट,

मद में पूरे पूरे चूर हैं ज्यूं जड़ दीमक की खोट। #खाकी #खादी #तमंचा #kala_kot
#मद #जड़ #जड़_दीमक #खोट

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 15 - तामस त्याग नियतस्य तु संन्यास: कर्मणो नोपपद्यते। मोहात्तस्य परित्यागस्तामस: परिकीर्तितः।। (गीता 18।7)

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
15 - तामस त्याग

नियतस्य तु संन्यास: कर्मणो नोपपद्यते।
मोहात्तस्य परित्यागस्तामस: परिकीर्तितः।।
(गीता 18।7)

vibhanshu bhashkar

ना हांथो में कलम ,ना तन पे इक लिबास है 
आज फिर कैसे कहे वो, ये आजादी खास है 

झोपड़ी में आज भी घुटती, उनकी साँस है 
मुस्कुरा फिर क्यों कहे कि,आज शाम -ए-खास है 

जिंदगी भर जो सुने हो ,झोलिया भर गालिया  
आज फिर वो क्यों बजाये ,इस सभा में तालिया

आज मालाए पड़ी थी, जिन  गिद्धों के गले 
कल गली में वो मिले थे ,हाँथ में बोटी लिए 

मैंने पूछा कौन है ,इस उजली टोपी के तले
वह कहा जो झोपड़ो को ,कुचले जूतों के तले

सब सभाये मग्न है ,भाषणों के शोर में 
आज भी सर कट रहे है ,माँ भारती के गोद में 
 
बिक  रही है बेटीया खादी पोशाकी आड़ में 
एक माँ  फिर रो रही है ,छिपकर  किसी किवाड़ में 

जो लड़े थे दुश्मनो से ,हथेली  में मौतों के लिए 
उनके नामो की मची है, लूट वोटो  के लिए

वो खड़े थे मौन हांथो में कटोरी  को लिए ,
खादी जो उतरी थी बाजारों में, गाँधी को लिए 

आज भारत माँ की तस्वीरें, बिलख कर रो पड़ी 
उसकी संताने जो ,कौमो  की वजह से लड़  पड़ी #अधूरी  #आजादी

देवेश द्विवेदी 'देवेश'

बिच्छू,गोजर,सांप छिपे हैं खादी में
बे-हिसाब,बे-नाप छिपे हैं खादी में
राजनीति सौ रंग भला क्यों न बदले
 गिरगिट के भी बाप छिपे हैं खादी में।
@- देवेश द्विवेदी "देवेश" #गिरगिट#के#भी#बाप#छिपे#हैं#खादी#में।#देवेश#द्विवेदी#देवेश#
#nojotohindipoetry#@#Devesh#Dwivedi#Devesh#

Rवाणी

#Love #mylove #Poetry #nojotokhabri #kavishala 🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺 दिवाना हो गया हूँ इस कदर मैं खाकी' खादी का । बचाना चाहता हूँ स्मत शहर की भी अबादी का ।। बड़े बैचेन से क्यों हो रहे हैं राजनेता अब... चुकाना चाहता हूँ जो मुहब्बत खाकि खादी का ।। 🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺 🎶🎶🎶👉 रवि शंकर कुमार ✍🎶🎶🎶

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दिवाना हो गया हूँ इस कदर मैं खाकी' खादी का ।
बचाना चाहता हूँ स्मत शहर की भी अबादी  का ।।
बड़े बैचेन से क्यों हो रहे हैं राजनेता अब...
चुकाना चाहता हूँ जो मुहब्बत खाकि खादी का ।।
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🎶🎶🎶👉 रवि शंकर कुमार ✍🎶🎶🎶
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दिवाना हो गया हूँ इस कदर मैं खाकी' खादी का ।
बचाना चाहता हूँ स्मत शहर की भी अबादी  का ।।
बड़े बैचेन से क्यों हो रहे हैं राजनेता अब...
चुकाना चाहता हूँ जो मुहब्बत खाकि खादी का ।।
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🎶🎶🎶👉 रवि शंकर कुमार ✍🎶🎶🎶

Chandrakant Saini

#नेता_की_देशभक्ति मेरी देशभक्ति पर कभी तुम शक ना करना। फहराना पड़े झंडा या देना हो धरना ।। खादी की धोती हो या जैकेट खादी की।। सिर पर पड़े टोपी नेता की भी पहनना।। #Poetry

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मेरी देशभक्ति पर कभी तुम शक ना करना।
फहराना पड़े झंडा या देना हो  धरना ।।

खादी की धोती हो या जैकेट खादी की।।
सिर पर पड़े टोपी नेता की भी पहनना।। 

मैं नेता हूं बाहर से केवल देता हूं ।।
आदत है हंसमुख हूं भीतर से लेता हूं ।।

बातों में वो जादू है जो सैलाब ला दे ।।
मैं चूजों की मानिंद गुंडों को सेता हूं ।।

देशभक्ति का जज्बा मैं भरता हूं बाहर।।
 पर दिल से  वफादारी मेरा ही केवल कर ।।

गुरु मंत्र है मेरे सहचरों की खातिर ये।।
दंगा मेरे कहने पर ,धमकी दे जा कर ।। #नेता_की_देशभक्ति 

मेरी देशभक्ति पर कभी तुम शक ना करना।
फहराना पड़े झंडा या देना हो  धरना ।।

खादी की धोती हो या जैकेट खादी की।।
सिर पर पड़े टोपी नेता की भी पहनना।।
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