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Rabindra Kumar Ram
" तुझे चाहनें और चाहते रहने का सलीका कुछ और आये मुझे , ये इश्क मुहब्बत के रंग का किरदार कोई सलीके से सिखायें मुझे , कोई कसमेकश की कोई उधेड़बुन में हूं अभी इस तरह , मुहब्बत की मंजिल कहीं रुसवाई में ना गुज़रे कहीं इस तरह . " --- रवीन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " तुझे चाहनें और चाहते रहने का सलीका कुछ और आये मुझे , ये इश्क मुहब्बत के रंग का किरदार कोई सलीके से सिखायें मुझे , कोई कसमेकश की कोई उधेड़बुन में हूं अभी इस तरह , मुहब्बत की मंजिल कहीं रुसवाई में ना गुज़रे कहीं इस तरह . " --- रवीन्द्र राम #सलीका #मुहब्बत #मंजिल #रुसवाई #गुज़रे
Ashish Mishra
रात को ऐसे गुज़रे, ज़माना हो गया। तुम साथ आए तो साथ, फिरसे हंसना दोबारा हो गया। यूँ तो हम भीड़ में भी तन्हा हैं, मगर जबसे तुम मिले वो, वक्त भी बहुत पुराना हो गया। #रातको #गुज़रे #जमाना #yqdidi #yqbaba #yqtales
OMG INDIA WORLD
#गुज़रे हुए #लम्हों में , #सदियां तलाश #करते हैं , #प्यास इतनी #गहरी है कि , नदियां #तलाश करते हैं ,.... #यहां सब #लोग गिनाते हैं #खूबियां अपनी , #हम तो #अपने_आप में #कमियां #तलाश करते हैं .... ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD ❤❤ ❤🌹🌹❤ #गुज़रे हुए #लम्हों में , #सदियां तलाश #करते हैं ,
Ravi Deokali
💠वक़्त के #पैर नहीं होते है मगर,#गुज़रे वक़्त के पैरों के #निशान आज भी #दिखाई देते है 💠 🔹Ravi Deokali🔺
Ravi Deokali
💠वक़्त के #पैर नहीं होते है मगर,#गुज़रे वक़्त के पैरों के #निशान आज भी #दिखाई देते है 💠 Ravi Deokali
Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz)
उसका ज़िक्र और फ़िक्र दोनों ही करनी छोड़ दी है मैने आज भी वो यादों में ज़िंदा सिर्फ इसलिए है क्योंकि कुछ लम्हों में ही सही लेकिन मेरी मुस्कुराहट कि वजह हुआ करता था #गुज़रे#पल
KARUNA JAISAWAL
हिंदी दिवस हिंदी को जितना गैर गुज़रे समझते हो हिंदी वैसी है नहीं... तुम जैसे गैर गुज़रे को हिंदी जंचती है नहीं .... प्यार करो हिंदी से ✌️
Ek Writer_Mansi
तेरी फ़िक्र है कुछ दर्द, कुछ आंसुओ के साथ गुज़रे, तेरी फिक्र में, उफ्फ ! दिन रात गुज़रे. #Ek writer
Rajeshwar Singh Raju
" इतिहास " आगे चलता हूं तो पीछे छूटते हैं क़दमों के निशान , बनते हैं गवाह
बैरागी विवेक
मील के पत्थर अनोखे ,हैं अडिग ठहरे हुए से ताकते हैं राहें उनकी,जो भी हैं गुज़रे हुए से लोग मंज़िल तक की दूरी,को उन्हीं पर देखते हैं सोचते हैं ना कभी,ये राहें उनकी जोहते हैं ये अडिग हैं, ना हिलेंगे लौटकर शायद मिलेंगे राहों में जब हों अंधेरे ,दिखते ना हों जब सवेरे ये मिलेंगे ज्योति लेकर,कोई ना हो साथ तेरे ये चलेंगे साथी बन कर,डर लगे जो रास्तों की दूरियों से ऐ पथिक पास जा कर पूछ ले उनसे तुझे वो वहीं मिलेंगे मील के पत्थर अनोखे ,हैं अडिग ठहरे हुए से ताकते हैं राहें उनकी,जो भी हैं गुज़रे हुए से। मील के पत्थर #milestones #raaste #andhera