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Viraaj Sisodiya

एक अफ़साना है अगर ज़िन्दगी 
तो मैं वाक़िफ़ हूं इसके हर मोड़ से 
ताउम्र के इन पन्नों में दफ़्न 
कई अच्छे-बुरे लम्हों की इबारत 
बची कुछ चंद सांसे और फिर मौत

©Viraaj Sisodiya #ज़िन्दगी #अफ़साना #मौत #सांसे #इबारत #Viraaj

Meharban Singh Josan

Aditya Neerav

ख़्वाहिश मेरी भी है मोहब्बत को पा सकूं
 तालाशूं न सुकूं तो इबादत को पा सकूं

लिखूं जिंदगी की इबारत ऐसी
रिश्ता-ए-उल्फ़त तो निभा सकूं

©Aditya Neerav #इबारत

DR. SANJU TRIPATHI

💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें .... (2 लाइन्स couplet / मिसरा ऊर्दू शायरी) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।

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लिखें हम इबारत चाहे जिसके नाम की।
हर इबारत में जिक्र बस तेरा ही रहता है। 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR
Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये।

💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें ....
(2 लाइन्स couplet / मिसरा ऊर्दू शायरी)

💐 Font size छोटा रखें ताकी wall 
paper खराब न हो ।

Mohit Kothari

 #इबारत

Mohit Kothari

 #इबारत

Anubha "Aashna"

गर पढ़ना चाहो तो खुली किताब हूँ मैं.... #Love #Life #nojotoqoutes #इबारत

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उलझी हुई हूँ माना, मुश्किल इतनी भी नहीं मगर,
तुम पढ़ न सको जिसे, ऐसी तो इबारत नहीं हूँ मैं...
- Anubha"Aashna" गर पढ़ना चाहो तो खुली किताब हूँ मैं....

#love #life #nojotoqoutes #इबारत

Mukesh Poonia

मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं | दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं | सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..। तुम मुझको कब तक रोकोगे..। में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खींचा है मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ... मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ | शीशे से कब त

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मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं |
दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं |
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। 
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। 
अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..। 
तुम मुझको कब तक रोकोगे...
- Motivational poem by 
Amitabh Bachchan मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं | 
दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं | सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। 
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..।
 तुम मुझको कब तक रोकोगे..। 
में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खींचा है मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ... मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ | 
शीशे से कब त

Raz Nawadwi

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चंद अशआर: 221 2121 1221 212 
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यूँ ही नहीं धुँआओं में पाया गया हूँ मैं
जलता हुआ दिया था, बुझाया गया हूँ मैं //१

किससे करूँ गिला मैं अपने ख़ाक़ होने का
दरिया में अपनों से ही डुबाया गया हूँ मैं //२

हर्फ़े ख़ुदा हूँ, मेरी इबारत है बरक़रार 
लिख के हज़ार बार मिटाया गया हूँ मैं //३

ज़िंदा रहे तो 'राज़' किसे थी मेरी ख़बर
रहलत के बाद कितना सजाया गया हूँ मैं //४

~राज़ नवादवी
हर्फ़े ख़ुदा- ईश्वर का लिखा; इबारत- लेख, तहरीर; रहलत- मृत्यु

Ranjit Singh Mashiana

old age home

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चलते चलते नज़र पड़ी, पड़ी एक इमारत पे
जिसकी पेशानी पे आशियाना, लिखा था इबारत में
दिल में ख़याल आया, क्यों ना आशियाना देखा जाए 
आशियाने की तारीफ में, कुछ तो लिखा जाए
जैसे ही कदम रखे, आशियाने की दहलीज पे
दिल हाथों में आ गया, मानो पासीज के
आशियाने में सभी ही, उम्रदराज़ थे 
कुछ बेबस कुछ लाचार, तो कुछ बेआवाज़ थे
हाल पूछने पर, सबका एक ही फसाना था
हर उम्रदराज का अपना, हो चुका बेगाना था
फज़ूल समान जैसे यहाँ, सबको सबके छोड़ गये थे
जिन्हे बनाने के लिए, की इन्हों ने मेहनत
वो ही इन्हे तोड़ गये थे
बुझते चिरगों से, सभी जल बुझ रहे थे
साँसें रुकने पे थी आमादा, पर अश्क ना रुक रहे थे
कुछ होके  गमज़दा, कुछ खुदा से खफा
तो कुछ इंसानियत से शरामशार, मैं निकला उस इमारत से
चलते चलते नज़र पड़ी थी, जिस इमारत पे
जिसकी पेशानी पे आशियाना, लिखा था इबारत में old age home
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