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Anjaan
बचपन में हमने गांव में #साइकिल तीन चरणों में सीखी थी , पहला चरण - कैंची दूसरा चरण - डंडा तीसरा चरण - गद्दी ... तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था। #कैंची वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे। और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना #सीना_तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और क्लींङ क्लींङ करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है। आज की पीढ़ी इस "#एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "#जहाज" उड़ाने जैसा होता था। हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तुड़वाए है और गज़ब की बात ये है कि तब #दर्द भी नही होता था, गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए। अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में। मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर #संतुलन बनाना जीवन की पहली #सीख होती थी! #जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप #गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं। इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए। और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी। और ये भी सच है की हमारे बाद "कैंची" प्रथा #विलुप्त हो गयी । हम लोग की दुनिया की #आखिरी_ पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा ! पहला चरण कैंची दूसरा चरण डंडा तीसरा चरण गद्दी। ● हम वो आखरी पीढ़ी हैं, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की #कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, #प्लेट_में_चाय पी है। ● हम वो आखरी लोग हैं, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, #गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं..🩺 😊😊 ©Anjaan YAADEN #Drown #village #Love #motivate
Sachin Chaudhari
मेरो मन अनत कहां सुख पावै। जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै॥ @सूरदास ©Sachin Chaudhari #पंछी#सूरदास#मन#जहाज#प्रेम#भक्ति #lonely
brijkishor sharan sharma
यदि आपकी समस्या #जहाज" की तरह बड़ी है,तो भूले नहीं प्रभु की कृपा "सागर" की तरह विशाल है|
kishan mahant
#Worldteacherday जिन्दगी हमें रोज कुछ सीखती है पर किया सिखाती है मै हर रोज सुबह अपने मोहले में बच्चों को देखता हूं जो बहोत सरारती है मै उन बच्चो में कुछ रोज अलग करने की चाह रहती है और रोज कुछ ना कुछ अच्छा करते है वो देख कर मेरे इरादे मजबूत हो जाता है एक दिन बारा साल का लड़का और एक तेरा साल की लड़की दोनो मील कर पानी जहाज बनाऐ थे उसे तलब ले कर जा रहे थे उन्होंने देख कर मै भी पीछे पीछे जा रहा था फिर तलब पर पहुंच गया देख की पानी जहाज चल रहा है मै खुश होगी और वो दोनों तो पूछो मत उनकी खुशी उनके चेहरे पर बहुत अच्छी लग रही थी तब मैंने सीखा कि कोशिश करते रहना चाहिए #इरादे मजबूत रखना
harry patel
*”पूरे समुंद्र का पानी भी एक जहाज को नहीं डुबा सकता, जब तक पानी को जहाज अन्दर न आने दे।* *इसी तरह दुनिया का कोई भी नकारात्मक विचार आपको नीचे नहीं गिरा सकता, जब तक आप उसे अपने अंदर आने की अनुमति न दें।”* motivate # syari #quotes life
Ganesh Singh Jadaun
मेरो मन अनंत कहां सुख पावै जैसे उड जहाज को पंछी, फिर जहाज पर आवै #जहाज का पंछी #मन अनंत मेरो मन अनंत कहां सुख पावै जैसे उड जहाज को पंछी, फिर जहाज पर आवै
Vikramkumar
जहाज में तेल कम था मैंने पॉयलेट से कहा "जहाज थोड़ा टेढ़ा कर लो उसने किया और जहाज स्टार्ट हो गया।" 😁😁😂😂😂
Shubham Shah
बचपन और बारिश बचपन की बारिश में सबसे अच्छा था, कागज के नाव पे अपने सपनों को रख के जिन्दगी के समुंदर में उतारना और कप्तानी करते हुए अपने जहाज को पार लगाना, पता नहीं उस वक्त डूबने की फ़िक्र क्यूं नहीं सताती थी, एक के डूबते ही तो नया जहाज उतार देते थे। #bachpan
Yogesh Saini
I trusted them but जब बचपन था, तो जवानी एक सपना था... जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था... !! जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी... आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है... !! कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था... आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना पसंद है.. स्कूल में जिनके साथ झगड़ते थे, आज उनको ही इंटरनेट और वाट् सप व फेसबुक पे तलाशते है... !! ख़ुशी किसमे होतीं है, ये पता अब चला है... बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है... काश बदल सकते हम जिंदगी के कुछ साल.. काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!! जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने अपने हाथ जादू से गायब कर दिए जब हमारे पास चार रंगों से लिखने वाली एक पेन हुआ करती थी और हम सभी बटनों को एक साथ दबाने की कोशिश किया करते थे जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके. जाने कहां खो गई वो बचपन की अमीरी जब पानी में हमारे भी जहाज चला करते थे🛶⛵और आसमान मे हवाई जहाज. जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे | सोचा करते थे की ये चाँद हमारी साइकिल के पीछे पीछे क्यों चल रहा हैं | लाईट के On/Off वाले स्विच को बीच में अटकाने की कोशिश किया करते थे | फल के बीज को इस डर से नहीं खाते थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए | बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले | फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने की कोशिश करते थे की इसकी लाइट कब बंद होती हैं | सच , बचपन में सोचते थे कि हम बड़े क्यों नहीं हो रहे ? और अब सोचते है हम बड़े क्यों हो गए ये दौलत भी ले लो.. ये शोहरत भी ले लो💕 भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी... मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....☔बचपन की जवानी.... वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी. बचपन की यादें
Baisa_Raj_Neha_Pandya
बचपन और कागज़ की कश्ती अमीर थे कितने जब बच्चे थे हम, कभी उड़ते हवाओं में जहाज हमारे तो कभी तैरते पानी पर जहाज हमारे, चंद सिक्कों को हाथों में ऐसे खनखाते जैसे कहीं के हो शहजादे। #बचपन_और_कश्ती