जाड़ों की छुट्टियां खत्म होने को थी, अगले दिन मेरा स्कूल कॉलेज भी खुल रहा था।
मेरी अम्मा कुछ शांत, कुछ उदास सी थी, नज़ाने क्या मन में दबा कर बैठी थी,
दिन भर की यादो को जब रात को सोने से पहले मैने याद किया तब जा कर समझ आया कि अम्मा क्यों शांत सी थी ,वो क्यों उदास सी थी, बस कागज कलम थामी और कुरेद दिए सभी जज्बात मैने कागज पर, और लिखी ये भावनाओ में लतपत कविता!
#shayarishuda#amma#hindipoetry#nojotovideo
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Amit Kumar
तुम साड़ी में और भी खुबसूरत लगतीं
हो
तुम साड़ी में और भी खुबसूरत लगतीं
हो
तेरी झुल्फे
तेरी झुल्फे जब मेरे तन को स्पर्श करतीं हैं
तेरी झुल्फे
तेरी झुल्फे जब मेरे तन को स्पर्श करतीं है
मेरे दिल❤ की बगियाँ में तुफां समच है
तुफां सा मचल जाता है।
तुम साड़ी में और भी खुबसूरत लगतीं
हो।
तुम साड़ी में और भी खुबसूरत लगतीं
हो।
जब लगातीं हो
जब लगातीं हो बड़ैली के बड़े बड़े झुमके
जब लगातीं हो बड़ैली के बड़े बड़े झुमके
अपनी छोटी छोटी कानों में
ना जाने क्यूँ
ना जाने क्यूँ मेरी नज़रें वही ठहर सी जाती हैं।
मेरी नज़रें वही ठहर सी जाती हैं।
तुम साड़ी में और भी खुबसूरत लगतीं
हो
तुम साड़ी में और भी खुबसूरत लगतीं
हो।
जब चुमती हो
जब चुमती हो मेरे कोमल सी तन को
मेरे दिल❤ की बगियाँ में कयामत सा मचल जाता ह
कयामत सा मचल जाता है
जब निहारती हो
जब निहारती हो इस समन्दर सी निगाहों से ना जाने क्यूँ ना जाने क्यूँ मेरी सासें अटक सी जाती है
मेरी सासें अटक सी जाती है।
तुम साड़ी में और भी खुबसूरत लगतीं
हो
तुम साड़ी में और भी खुबसूरत लगतीं
हो।
*****@mit **** Satyaprem Internet Jockey Khushi SharMa Swechchha Nayak
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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
हिंदी के काव्यिक मंचो से कवि गायब हो गये है,,केवल नफरत फैलाने वाले ,शैतानो की भाषा बोलने वाले जोकर रुपी कवियो ने मानवता का नाश कर दिया है,,,,आये दिन नफरत रुपी कविताओ का यशोगान कर "आंतरिक आंतकवाद को पनपा रहे है तथा बाह़्य आंतकवाद को बढावा दे रहे है,,,,,,कहाँ गई वो कवि काली दास सी लेखनी,कहाँ गई को महर्षि "वाल्मीकी " सी परम्परा,जो सच कहने का साहस कर,सबको सच सम्मान देती,,,,,,,,,,
आज कलयुग के कवि केवल जोकर बन कर रह गये या नफरत की मशाल,,,,
कवि किसी राष्ट्र , राज्य विशेष के लिये नही होता वह तो सम्पुर
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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
कलयुग के प्रेमी
कृष्ण नंगे नंगे हो गये,राधा नंगी नागीन सी
दिखती नही कोई प्रेम पुजारिन,गोकुल वाली राधा सी,,,,,,
कलयुग का है कृष्ण और कलयुग की राधा,
जिनके बार बार प्रेम में क्यो आती है बाधा
,,,,,,,, कृष्ण,,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड की कृत Umesh Shiva Kumar Akashi Parmar ® ( गौहर ) Madhavi Choudhary Sachika Gupta
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💖 #ShivaniHiya 💖
मैं उसकी जिंदगी का,
बीता हुआ एक लम्हा हूं,
कभी टूटा सा सपना,
तो कभी डूबता सा तीनका हूं।
छूटा है जब से उसका साथ,
जिंदगी अधूरी सी लगती है।
सब कुछ है पास, #poem#दर्द#ठिकाना#फसाना
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Pradeep Kalra
“सख़्त ज़रूरत है”
क्यों बेफ़िक्री वाली नींद की, कमी सी खलती है,
बस औंधे होकर सोने की, अब सख्त जरूरत है,
क्यो आँखे खुलते ही, उलझे उलझे से मसले है,
सुलझे सुलझे ख्वाबों की, अब सख़्त ज़रूरत है। [1]
क्यों इंसान को ही, कुचल रहा यहाँ इंसान है, #शायरी