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Best डूबती Shayari, Status, Quotes, Stories

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Amit Singhal "Aseemit"

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Amit Singhal "Aseemit"

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koko_ki_shayri

#डूबती नाव को जहाज़ बना दे, #शायरी

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Jitesh soni ( Yash )

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Jai Prakash Verma

#yqbaba#yqdidi#yopowrimolove#डूबती कश्ती का किनारा

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  ज्यादा कुछ तो नही है.. तू मेरी जिंदगी का।
मैं डूबती कश्ती हूँ ..तू किनारा है उस नदी का । #yqbaba#yqdidi#yopowrimo#love#डूबती कश्ती का किनारा

"Kumar शायर"

#डूबती ज़िन्दगी की नईया

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कर ले जिसे जो करना है,                       मरने से अब हमें डर नही लगता है,                                                     अगर हम जो मर भी गए तो,                  फिर अफ़सोस किसे करना है,                 मेरा दर्द तो सिर्फ मेरा अपना है,              फिर होश मेरा किसे करना है,               डूबेगी नईया ज़िन्दगी की तो किनारो पे जा के मुझे क्या करना है...                    Written:-By Kumar Umesh #डूबती ज़िन्दगी की नईया

Badri sharma

कोहरा बनारस की 
#सुबह तू ही #अवध की #शाम हो जाये 💕

मेरे #दिल की 
हर एक #धडकन तुम्हारे #नाम हो जाये💕

#नशे में #डूबती
आँखें जब तुम्हारी मुझे #देखें 💕

कहीं ऐसा ना 
हो #दिल में मेरे #कोहराम हो जाये 💕 #कोहरा#nojotofamily#sayri#with#Badri😉

Utkarsh Singh

#डूबती जिंदगी #शायरी

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आज दो पल थोड़ा ज्यादा बैठते है साथ में,,की अब तनहा कई ज़माने बिताने है
थोड़ी और कोशिश करो मेरे
करीब आने की,,
के अब तकिये संग सोकर जिंदगी के चन्द साल बिताने है।। #डूबती जिंदगी

Bambhu Kumar (बम्भू)

थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को #डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई #जज्बात में क्या पता उसको कि कोई #भेड़िया है घात में #poem #अजनबी #होठों #वासना #कृष्णा #ढह #ढीली #बेख़बर #कौमार्य #चीख़ #छटपटाई #कछारों

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2.
थे यही सावन के दिन हरखू गया था हाट को
सो रही बूढ़ी ओसारे में बिछाए खाट को

डूबती सूरज की किरनें खेलती थीं रेत से
घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से

आ रही थी वह चली खोई हुई जज्बात में
क्या पता उसको कि कोई भेड़िया है घात में

होनी से बेखबर कृष्णा बेख़बर राहों में थी
मोड़ पर घूमी तो देखा अजनबी बाहों में थी

चीख़ निकली भी तो होठों में ही घुट कर रह गई
छटपटाई पहले फिर ढीली पड़ी फिर ढह गई

दिन तो सरजू के कछारों में था कब का ढल गया
वासना की आग में कौमार्य उसका जल गया... थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को
सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को

#डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से
घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से

आ रही थी वह चली खोई हुई #जज्बात में
क्या पता उसको कि कोई #भेड़िया है घात में

HøT_Bõy_Øm

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*कस्तिया किनारो पे नही डूबती...*
*किनारो की तलाश में डूबती है!*
✔🙏
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