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Amit Singhal "Aseemit"
हे ईश्वर, मेरी डूबती नैया के तुम बन जाओ खेवनहार, समस्याओं की लहरों से बचाकर इसको लगा दो पार। अब तो मेरी डूबती नैया की तुम्हीं संभाल लो पतवार, जीवन के तूफ़ानों से लड़ते लड़ते अब मैं तो गया हार। ©Amit Singhal "Aseemit" #मेरी #डूबती #नैया
Amit Singhal "Aseemit"
ले जाती अपने साथ मेहनत के दिन की सारी थकान, देने आती हमको अनोखे सपने, हर डूबती एक शाम। यही डूबती शाम करती है, हमारे अनुभवों को बयान, जुट जाना है फिर से, कर लो इसमें थोड़ा सा आराम। ©Amit Singhal "Aseemit" #डूबती #एक #शाम
koko_ki_shayri
डूबती नाव को जहाज़ बना दे, बिखरते पक्षियों को परिंदा बना दे! होतीं हैं हज़ारों कमियाँ सभी में, हर कमी निकाल हीरा बना दे!! "शिक्षक" ©koko_ki_shayri #डूबती नाव को जहाज़ बना दे,
Jitesh soni ( Yash )
जरूरी नहीं कि जीने का कोई सहारा हो, जरूरी नहीं कि जिसके हम हो वो भी हमारा हो, कुछ कश्तियां डूब जाती हैं..... जरूरी नहीं के हर कश्ती के नसीब में किनारा हो ©Jitesh soni ( Yash ) , #boat #डूबती #कश्ती #जैसे #डूबता #हुआ #रिश्ता #नोजोटो #शायरी
Jai Prakash Verma
ज्यादा कुछ तो नही है.. तू मेरी जिंदगी का। मैं डूबती कश्ती हूँ ..तू किनारा है उस नदी का । #yqbaba#yqdidi#yopowrimo#love#डूबती कश्ती का किनारा
"Kumar शायर"
कर ले जिसे जो करना है, मरने से अब हमें डर नही लगता है, अगर हम जो मर भी गए तो, फिर अफ़सोस किसे करना है, मेरा दर्द तो सिर्फ मेरा अपना है, फिर होश मेरा किसे करना है, डूबेगी नईया ज़िन्दगी की तो किनारो पे जा के मुझे क्या करना है... Written:-By Kumar Umesh #डूबती ज़िन्दगी की नईया
Badri sharma
कोहरा बनारस की #सुबह तू ही #अवध की #शाम हो जाये 💕 मेरे #दिल की हर एक #धडकन तुम्हारे #नाम हो जाये💕 #नशे में #डूबती आँखें जब तुम्हारी मुझे #देखें 💕 कहीं ऐसा ना हो #दिल में मेरे #कोहराम हो जाये 💕 #कोहरा#nojotofamily#sayri#with#Badri😉
Utkarsh Singh
आज दो पल थोड़ा ज्यादा बैठते है साथ में,,की अब तनहा कई ज़माने बिताने है थोड़ी और कोशिश करो मेरे करीब आने की,, के अब तकिये संग सोकर जिंदगी के चन्द साल बिताने है।। #डूबती जिंदगी
Bambhu Kumar (बम्भू)
2. थे यही सावन के दिन हरखू गया था हाट को सो रही बूढ़ी ओसारे में बिछाए खाट को डूबती सूरज की किरनें खेलती थीं रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई जज्बात में क्या पता उसको कि कोई भेड़िया है घात में होनी से बेखबर कृष्णा बेख़बर राहों में थी मोड़ पर घूमी तो देखा अजनबी बाहों में थी चीख़ निकली भी तो होठों में ही घुट कर रह गई छटपटाई पहले फिर ढीली पड़ी फिर ढह गई दिन तो सरजू के कछारों में था कब का ढल गया वासना की आग में कौमार्य उसका जल गया... थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को #डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई #जज्बात में क्या पता उसको कि कोई #भेड़िया है घात में