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Anukaran

#footprints

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उड़ना भी जरूरी है,
ख़्वाब और हकीकत में अंतर समझ में आता है।
कुछ कदम चल कर रुकना भी जरूरी है,
अपने पराये का साथ समझ आता है,
मुश्किलें तो बहुत हैं राहों में,
कुछ कदम बढ़ाने की शुरुआत से, 
हर मुश्किल आसान सा लगता है।
जीत जाएँगे हम अगर खुद पे विस्वास हो,
वरना चार कदम नही एक कदम भी चलना 
सैकड़ो योजन सा लगता है।

©Anukaran #footprints

- Arun Aarya

10-01-2025

अपने पैरों को तुम्हारे राहों से दुश्मनी है ,

अपने हाथों को तुम्हारे बाहों से दुश्मनी है !

हर  तरफ देख  लेगी ये निगाहें  मेरी मग़र,,

इन निगाहों को तुम्हारे निगाहों से दुश्मनी है..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #footprints #दुश्मनी है

कृतांत अनन्त नीरज...

#footprints

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मैं एक ऐसी अद्वितीय "छाप" हूँ
जो अगर किसी पर पड़ गयी एक बार ढंग से
तो फिर वह मरते दम तक नही मिटा सकता...

©कृतांत    अनन्त नीरज... #footprints

Garima Srivastava

रेत से रिश्ते फिसलते चले गए 
जितना चाहा दबाना निकलते चले गए 

मुट्ठी खोला तो खाली रह गई हथेली
रिश्तों की इस भीड़ में मैं रह गई अकेली

जो रिश्ते लगे अपने
किश्तों में तोड़ गए वो सपने

हैरान नहीं हूं ये जानकर 
रख नहीं सकती किसी को बांधकर

जिसे जाना है वो चला ही जाएगा
हर दहलीज को लांघ कर

कदमों के निशान भी
अब धुंधलाते चले गए 

हां ये रिश्ते हैं 
जितना चाहा दबाना निकलते चले गए

©Garima Srivastava #footprints#hindi#poetry#shayari#instagram#jazbaat_by_garima

wild flower

Even if our footprints never meet, 
I want to leave mine in this
universe where you walked...

©wild flower #ballet #footprints #Walk #Universe #YourQuoteAndMine #yourquote #yourquotebaba

Kamlesh Kandpal

#footprints

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Ram Shankar

#footprints

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राजनीति को सेवा नहीं  टकसाल समझते हैं 
इसे आजकल अपने बाप का माल समझते हैं

लाल हुई धरती  फिर लाल हुए अखबार यहां
हम आदमी की खून को अब गुलाल समझते हैं 

बड़ी बातों का सबब न  राम अब छेड़िए 
इसे बिजनस हम बहुत बेमिशाल समझते हैं

वो बम बनाने की नौकरी हमे देने लगा है 
इसे बेरोजगारी में हम कोई इकबाल समझते हैं

कुर्सियों की चाहत में यहां घूमते हैं कातिल 
गुंडागर्दी को हम सियासी भोकाल समझते हैं

क्या रश्क है इंसानियत को इंसानियत से राम 
कि जम्हूरियत की जंग को अब मिसाल समझते हैं

*रामशंकर सिंह*  *उर्फ बंजारा कवि* 🖋️ #footprints

gopi kiran

#footprints

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जयराम धोंगडे

#footprints

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चारित्र्य

कोणास काय सांगू कोणास काय बोलू?
कानावरी पडे ते ऐकून छान डोलू!

हे दुःख काय माझे नि दुःख काय तुझे?
ना दाबता सलांना बिनधास्त पोल खोलू!

जो भेटतो अताशा आश्वासनेच देतो,
स्वार्थात ठार वेड्या धनदांडग्यास कोलू!

मुर्दाड कोंबड्यासम तऱ्हा खरेच झाली,
जीतेपणीच चमडी का लागलेत सोलू?

आता विचार व्हावा थोडा बरोबरीचा,
नाते नकोस पाहू चारित्र्य आज तोलू!

जयराम धोंगडे, नांदेड
(९४२२५५३३६९)

©Jairam Dhongade #footprints

Rashim Anugrah

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