Find the Best कपड़ा Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutसाबुनदानी में साबुन नहीं कपड़ा, कपड़ा बनाने की विधि, हे का कपड़ा, कमीज बनाने का कपड़ा, कमीज़ बनाने का कपड़ा,
अदनासा-
Poonam Suyal
कपड़ा है ज़रूरी सिर्फ ढकने के लिए तन अच्छे आचरण से शुद्ध होता है मन सिर्फ कपड़ों को इतनी अहमियत ना दीजिए अपने खूबसूरत विचारों से सबका दिल जीतिए सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 आप सभी के लेखन को और बेहतर बनाने के लिए यहां पर रूटीन पोस्ट की जाती हैं पर सुबह की पहली पोस्ट में से ही एक सर्वश्रेष्ठ प्रतिलिपि / Write up को चुन कर Testimony रिपोस्ट से सम्मानित किया जाएगा । 🎀 रूटीन पोस्ट की Collab समय सीमा सिर्फ़ 4 घंटे या अगली रूटीन पोस्ट पर ख़तम हो जाती हैं ।
सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 आप सभी के लेखन को और बेहतर बनाने के लिए यहां पर रूटीन पोस्ट की जाती हैं पर सुबह की पहली पोस्ट में से ही एक सर्वश्रेष्ठ प्रतिलिपि / Write up को चुन कर Testimony रिपोस्ट से सम्मानित किया जाएगा । 🎀 रूटीन पोस्ट की Collab समय सीमा सिर्फ़ 4 घंटे या अगली रूटीन पोस्ट पर ख़तम हो जाती हैं ।
read moreDr. Giridhar Kumar
आबादी साल-दर-साल बढ़ रही , कर रही संसाधनों की बर्बादी। रोटी-कपड़ा-मकान को तो तरस रहे हैं, पर, बच्चे तो जैसे वहीं बरस रहें हैं। अशिक्षा कहीं, तो गरीबी कहीं है, हैरानी कि ज्यादा बच्चे वहीं है । छत के लिए तो पेड़ों को काट रहे हैं, असल में तो खुद की ही सांसों को छांट रहे हैं। वह दिन दूर नहीं , जब अगली पीढ़ी के सवाल हम पर दागे जाएंगे। "क्यों हम उनके लिए कुछ बचा ना पाए?" हम कुछ बता ना पाएंगे। बढ़ती बन गई है अब मजबूरी, हमारा संभलना है अब बेहद जरूरी। सबको जागरूक और शिक्षित बनाना होगा, रोकथाम के तरीकों को जल्द ही अपनाना होगा। ©Dr. Giridhar Kumar . आबादी world population day! पूरा पढ़िए और लिखिए अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में और पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें।
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read moreDr. Giridhar Kumar
उस तरफ चमक दमक देख उसने सोचा, "रहन सहन को कैसे सुधारूं मैं, रोटी नसीब नहीं, मकां पर पैसे, कैसे लगाऊं मैं । लल्ला को कागज तक नसीब नहीं, खुद की साड़ी पर पैसे, कैसे लगाऊं मैं।।" निराशा के बादल उसकी आंखो के आगे छाने लगे थे, तभी उसकी नजर दूसरी तरफ पड़ी, जहां लल्ला अखबार के टुकड़े को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई। उसने उसी वक्त तय किया। "लल्ला को कैसे भी पढ़ाऊंगी, खुद 'पाव' से भी काम चलाऊंगी, सो जाऊंगी एक और दिन तारों के नीचे, रहन सहन का ये नाटक एक और दिन, इसी साड़ी में झेल जाऊंगी।" ★★★★★ ©Dr. Giridhar Kumar . एक छोटी सी कहानी - रहन सहन वह स्त्री है, वह कुछ भी कर सकती है। #Twowords #Zindagi #स्त्री #भूख #मकान #रोटी #कपड़ा Do like and comment,let me know your response. if you loved ,feel free to repost😊😊😊
निखिल कुमार अंजान
#आम आदमी की मांग.... आम आदमी की मांग रोटी कपड़ा और मकान नही बेचना चाहता कोई अपना ईमान हर कोई चाहता है सम्मान..... लालच का ये ऐसा खेल दिखाते आम आदमी को है खास बनाते खास बना है जो बंदा ईमानदारी से
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