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Best कानों Shayari, Status, Quotes, Stories

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Kranti Thakur

#कानों की बालियां

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तुम्हें पता है!
वक़्त से पीछे कहीँ किसी मोड़ पर
तुम्हारी लहराती हुई जुल्फों में
वो हवाएं अब भी गुम है

गुम है तुम्हारे कानो की बालियाँ
और हाथों से लटकता हुआ वो छल्ला
जिससे लटकता रहता था एक छोटा सा दिल

कुछ ऐसे ही लटकती रहती है आजकल यादें
हर शाम वक़्त की साख पर

रास्ता मंज़िल फुरकत एहसास सब एक से हो जाते हैं
वक़्त गुज़र जाता है करवटें लेते हुए
पेशानी पर कुछ सिलवटों के निशान छोड़कर

जो ना मिटता ना गुज़रता है
वो यादेँ हैं
वक़्त से कहीँ पीछे किसी साख से लटके हुए
किसी राह में ठिठके हुए किसी मोड़ पर ठहरे हुए

- क्रांति #कानों की बालियां

~anshul

#Bloom मेरी #आँखों ने देखा है ..... मेरे #कानों ने सुना है मगर #शराफत ये कहती है ........ किसी का #राज़ ना खोलू Shipra Verma Deeksha verma Ishita Singh....... Indian Boy 👦 Nisha Singh Deeksha verma

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मेरी आँखों ने देखा है
         .....   मेरे कानों ने सुना है
मगर शराफत ये कहती है 
        ........   किसी का राज़ ना खोलू
@perceptions anshul #Bloom 
मेरी #आँखों ने देखा है
         .....   मेरे #कानों ने सुना है
मगर #शराफत ये कहती है 
        ........   किसी का #राज़ ना खोलू Shipra Verma Deeksha verma  Ishita Singh.......  Indian Boy 👦 Nisha Singh  Deeksha verma

Nilam Agarwalla

#आई लव यू

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वो तीन जादुई शब्द आज, मेरे कानों में गुंज रहे हैं।
वो पहली मुलाकात पर 
हाथों में ले हाथ तुमने कहे थे।
तुम्हारे अलावा किसी ने भी
ऐसा कहने की जुर्रत न की।
क्योंकि मैंने ऐसा करने की
कभी किसी को इजाजत न दी।
काश एक बार फिर आकर तुम
कह देते धीरे से कानों में
वो तीन जादुई शब्द। #आई लव यू

Nilam Agarwalla

#आई लव यू

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वो तीन जादुई शब्द आज, मेरे कानों में गुंज रहे हैं।
वो पहली मुलाकात पर 
हाथों में ले हाथ तुमने कहे थे।
तुम्हारे अलावा किसी ने भी
ऐसा कहने की जुर्रत न की।
क्योंकि मैंने ऐसा करने की
कभी किसी को इजाजत न दी।
काश एक बार फिर आकर तुम
कह देते धीरे से कानों में
वो तीन जादुई शब्द। #आई लव यू

गौरव गोरखपुरी

जहर #nojotohindi

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कानों में उसके घोला गया है जहर
मेरे खातिर इस कदर 

मेरी मोहब्बत भी उसे 
चुभती है  कानों में बेहद
#poeticPandey जहर #nojotohindi

BRIJESH KUMAR

वो झुमके कितनें प्यारे थे... जैसे कानों पे लगते सितारे थे.... जब भी खुशी में झुमती थी... लटकनें उसके गालों को चुमती थी....

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#OpenPoetry वो झुमके कितनें प्यारे थे...

जैसे कानों पे लगते सितारे थे....


जब भी खुशी में झुमती थी...

लटकनें उसके गालों को चुमती थी....


बैरन बड़ी वो चूड़ी थी...

बिन उसके, मुझे लगती वो अधूरी थी.....


 जैसे छुई -मुई सा -पल्लव हो

     ऐसे -वो-शर्माती थी.....


नैनों से अक्सर मुझे ,

उसके बड़ी शिकायत होती थी.....


मेरे लाख गुज़ारिश करने पे

जब आँखों में काजल लगाती थी......


काजल लगते ही आँखों में वो मेरा चाँद

पूरा हो जाता था.....


 गौर से झाँकता उसकी आँखो में

चक्छुओ में जब प्रतिबिंब बस मेरा नजर आता था.....


अजब अदा थी,उसकी ईठलाती और बलखाती थी

बात -बात पे घूँट -घूँट वो पानी मुझे,

पिलाती थी.....


साँस ले के थम जाता दिल वहीं पलभर में

जब दाँतों में दबा क्लिप को अपने

वो स्वतंत्र #जुड़ा बनाती थी

ओह.........

      सच री.... सखी.....वो दिन कितनें प्यारे थे

जब सजनी संग हमारे थे


बिरह कि आग लगी है, ह्रदय में ,

प्रीत में लिपट के तन, मन, दिल

जल रहा है ,धधक -धधक


फूँक दिया है, जमाने के 150 लोगों ने

कर दिया #ब्रजेश को अलग -थलक


सच्च वो  दिन  कितनें प्यारे थे

जब झुमके कानों से होकर,गुजरते हुए

गालों से लगे तुम्हारे थे......

 😊😊😊😊😊
#एक #छोटी-#सी #कोशिश

✒.ब्रजेश कुमार वो झुमके कितनें प्यारे थे...

जैसे कानों पे लगते सितारे थे....


जब भी खुशी में झुमती थी...

लटकनें उसके गालों को चुमती थी....

गौरव गोरखपुरी

रोग

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दूसरों की खुशियों में खुश नहीं
कैसा ये रोग है।
रोग का भी क्या खूब 
हो रहा उपयोग है!
निंदा रसपान करेे कोई ,
कोई लगा रहा भोग है !
अजीब लोग हैं...

झूट , कानों से कानों तक पहुंच रहा
गजब का उद्योग है!
जिस कान तक पहुंच गया
वो सालों - साल निरोग है!
मगर पहुंचा , हर कान तक , अलग अलग
गजब का संजोग है!
अजीब लोग है...

मदद में साथ नहीं खड़ा कोई मगर
निंदा में खूब हो रहा सहयोग है!
बंटता जा रहा सभी में
क्या ये मोहनभोग है!!
इलाज इसका कुछ दिखता नहीं
क्या ये प्रेम रोग है!!!
अजीब लोग है...। रोग

गौरव गोरखपुरी

अजीब लोग

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अजीब लोग हैं...

दूसरों की खुशियों में खुश नहीं
कैसा ये रोग है।
रोग का भी क्या खूब 
हो रहा उपयोग है!
निंदा रसपान करेे कोई ,
कोई लगा रहा भोग है !
अजीब लोग हैं...

झूट , कानों से कानों तक पहुंच रहा
गजब का उद्योग है!
जिस कान तक पहुंच गया
वो सालों - साल निरोग है!
मगर पहुंचा , हर कान तक , अलग अलग
गजब का संजोग है!
अजीब लोग है...

मदद में साथ नहीं खड़ा कोई मगर
निंदा में खूब हो रहा सहयोग है!
बंटता जा रहा सभी में
क्या ये मोहनभोग है!!
इलाज इसका कुछ दिखता नहीं
क्या ये प्रेम रोग है!!!
अजीब लोग है...। अजीब लोग

BRIJESH KUMAR

वो झुमके कितनें प्यारे थे... जैसे कानों पे लगते सितारे थे.... जब भी खुशी में झुमती थी... लटकनें उसके गालों को चुमती थी.... बैरन बड़ी वो चूड़ी थी... बिन उसके, मुझे लगती वो अधूरी थी.....

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 वो झुमके कितनें प्यारे थे...
जैसे कानों पे लगते सितारे थे....

जब भी खुशी में झुमती थी...
लटकनें उसके गालों को चुमती थी....

बैरन बड़ी वो चूड़ी थी...
बिन उसके, मुझे लगती वो अधूरी थी.....

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