Find the Best भोग Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutकुत्ते कितने भी भोग ले लेकिन शेर का शिकार नहीं कर, दशा भोग्य क्या है, भोगवादी meaning in hindi, भोग्या meaning in hindi, भोगवादी in hindi,
Rakesh frnds4ever
White कोई नहीं था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कोई नहीं है जीवन में भी उत्कर्ष नहीं है कोई तुमको क्या बतलाए कोई तुमको क्या जतलाए भोग रहा है कोई क्या क्या ,,,,,,,,,,,,,,,,,, कोई तुमको कैसे/ क्या दिखलाए कोई कितना टूट चुका है कोई कितना लुट चुका है डूब चुका है कोई कितना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, तुमको कोई क्या दिखलाए कोई रोता है कोई हंसता है कोई पाता है कोई खोता है धन दौलत की बात नहीं है मनुष्य की हर जात बुरी है कोई नहीं है अपना नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, यहां नहीं है कहीं नहीं है ,,,,,,,,,,,, २ ,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #कोई_क्या_जाने #कोई नहीं था ,,,कोई नहीं है #जीवन में भी उत्कर्ष नहीं है कोई तुमको क्या बतलाए कोई तुमको क्या जतलाए #भोग रहा है कोई क्या क्या,, कोई तुमको कैसे/ क्या दिखलाए कोई कितना #टूट चुका है कोई कितना लुट चुका है
#कोई_क्या_जाने #कोई नहीं था ,,,कोई नहीं है #जीवन में भी उत्कर्ष नहीं है कोई तुमको क्या बतलाए कोई तुमको क्या जतलाए #भोग रहा है कोई क्या क्या,, कोई तुमको कैसे/ क्या दिखलाए कोई कितना #टूट चुका है कोई कितना लुट चुका है
read moreRakesh frnds4ever
जिस देश में नारी को देवी समझा जाता था, उसकी पूजा की जाती थी वो देश भारत था वहां का साहित्य एवम शिक्षा संस्कृत और मातृभाषा हिंदी में थी वहां की संस्कृति और सभ्यता पृथ्वी की सबसे पहली ओर सबसे ज्यादा समृद्ध सभ्यता थी जबकि दुनिया के किसी भी हिस्से में इंसान का वजूद तक नहीं था,, परंतु आधनिकता की अंधी दौड़ में, जूठे विकास में मानसिक रूप से पाश्चात्य कुटिल सभ्यता के झोंक में दुनिया की सबसे घटिया और चोरी की रद्दी भाषा अंग्रेजी के झांसे में फंसकर ना सिर्फ औरत बल्कि प्रत्येक भारतीय नर नारी, बच्चे बूढ़े, लड़के लड़कियां सभी अंधकार में धसतें चले जा रहे हैं ओर आज के so called modern development में नारी सिर्फ एक भोग विलास की वस्तु बन चुकी है,,,... ©Rakesh frnds4ever #Kaarya जिस देश में #नारी को #देवी समझा जाता था, उसकी पूजा की जाती थी वो देश #भारत था वहां का साहित्य एवम शिक्षा #संस्कृत और मातृभाषा हिंदी में थी वहां की #संस्कृति और सभ्यता
कवि मनोज कुमार मंजू
त्याग बेबस हो गया चारों तरफ है भोग। आज कल बस एक मौका ढूंढ़ते हैं लोग।। ©कवि मनोज कुमार मंजू #त्याग #बेबस #भोग #मौका #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #roshni
CalmKrishna
....................... ©CalmKrishna निचली जिंदगी बैचेनी, व्याकुलता पैदा करती है। #जीवन #गुणवत्ता #भोग #सुख #बैचनी
अमित चौबे AnMoL
दो कजरारी आंखों के बीच, लगी छोटी काली बिंदी... गालों पर लटकती जुल्फें जो हवा का सहारा पाते ही रुखसार चूम लेती हैं..... और सलवार सूट में सलीके से डाला हुआ दुपट्टा, काफी हैं हमे गहरी नींद देने के लिए..... #morningthoughts #संस्कृति #प्रेम को मानव के समक्ष जिस रूप में प्रस्तुत किया हैं वह केवल और केवल #भोग का विषय बन चुका हैं प्रेम की #सात्विक समीक्षा आधुनिक प्रेमियों के लिए दुष्कर हैं......
#MorningThoughts #संस्कृति #प्रेम को मानव के समक्ष जिस रूप में प्रस्तुत किया हैं वह केवल और केवल #भोग का विषय बन चुका हैं प्रेम की #सात्विक समीक्षा आधुनिक प्रेमियों के लिए दुष्कर हैं......
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................................. ©CalmKrishna मिटा ही रहे हैं, जन्मों जन्मों से, मिटा तो है नहीं। #बुद्ध #दुःख #सुख #भोग #संसार #दोटूक #sorrow #philosophy
CalmKrishna
................... ©CalmKrishna मनोदशा। #विषय #भोग #मनुष्य #सफलता #मनोदशा
दीपेश
जैसे हो मेरा उपवास बने हो घर मे छप्पन भोग भला मेरा दोनों में ही मैं किसका लागाऊ भोग घर मे दिए जले बिन न रह जाए मेरे बिन हार शूल का परदेशी त्योहार से आये घिन मानो बेटा व्याह लिया वधु घर लाया मेरे बिन ऐसे उजड़े त्योहार लगे मोही घर जाए बिन त्योहार
त्योहार
read morePragati Dutt
निर्धनता का सुख! कितनी भली थी वो निर्धनता , जहाँ नहीं थी कोई कुटिलता। जबसे ये धन , पास में आया। इसने सबको , दूर भगाया। निर्धन थे तब ,कितने ठाट। मिलजुल कर ,खाते थे भात। ऐसे धन से ,भी क्या लाभ। तितर बितर, सारा परिवार। जिसने भी इस ,धन को पाया। उसने मन का चैन गँवाया । जगह जगह ताले ठुकवाते, फिर भी सुख से , ना सो पाते। निर्धन नमक से ,रोटी खाता। सुख की नींद , वही ले पाता। बनवाते शाही मकान , खोकर अपना ही ईमान। इससे तो झोंपड़ी अच्छी, जिसकी दुनियाँ होती सच्ची। मूर्ख छोड़ दे धन का लोभ , निर्धनता का भी सुख भोग। धन के फेर में पड़ जायेगा, तृप्त कभी ना हो पायेगा। सारे जीवन भर रो रो कर , इसको पाते सब कुछ खोकर। निर्धन हो चाहे सम्राठ, जाना सबको खाली हाथ। फिर क्यूँ सब बनते धनवान, व्यर्थ दिखाते झूठी शान। बड़े बड़े साधू सन्यासी, वो भी बस धन के अभिलाषी। करते सारे भोग विलास, निर्धनता को देते त्याग। निर्धनता का ये गुणगान, समझ ना पायेगा धनवान। बन जायेगा गर धनवान, पा ना पायेगा आराम। इससे तो निर्धन बन जाऊँ, सुख के दिन और रात बिताऊँ। ईश्वर दे बस इतना ही धन, जिससे कलुषित हो ना ये मन। #निर्धनता का सुख!
#निर्धनता का सुख!
read moremukesh@
मैं पेटू हूं मैं सबका भोग करूंगा मैं सुख का भी भोग करूंगा और दुख का भी भोग करूंगा मैं पेटू हूं मैं सबका स्वाद चखुंगा ।। #NojotoQuote