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Best उज्जवल Shayari, Status, Quotes, Stories

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Sunil Kumar Sharma

Hindistory #उज्जवल............... #Society #nojotohindistory

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Mukesh Poonia

#cycle आपका #भविष्य #वर्तमान पर किए गए #कार्यों पर #निर्भर होगा। वर्तमान जितना #उत्तम #भविष्य उतना ही उज्जवल। #विचार

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rajnish golu

" बूरे दिनों का एक फायदा है, रिस्तो का समझ आ जाता है।"

©rajnish golu #बुरे_दिन #उज्जवल #S

Ujjwal

दिल परेशान रहता है उनके लिए,

हम कुछ भी नही है जिनके लिए..!! 💔😒😒

©Ujjwal #उज्जवल

HàppY ujjwaL

कब से नजरे 
झुकी हुई थी
आंखें आज
मिलाया उनसे

डर से कितना 
मौन रहा था 
बातें आज 
बताया उनसे

 तोड़ी चुप्पी
गले लगा फिर
हमनें प्यार
जताया उनसे❤️

©#उज्जवल #Love #आज #प्यार #sweet #Shayari #poem #Happy #उज्जवल 

#IntimateLove

HàppY ujjwaL

बोलो? @उज्जवल #उज्जवल #गजल #Love #foru #Love #poem #Shayari #Happy #Happy Sanjh #शायरी

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मेरी सांसों की गर्मी से
तुमको तपन छुआती है क्या?

नैनों से निकली दरिया में
यादें तुम्हे डुबाती है क्या?

कोयल प्यारी सी गीतों में
मेरा नाम सुनाती है क्या?

हाथों में जब हाथ हो मेरा
सिहरन तुम्हे जगाती है क्या?

©#उज्जवल बोलो? @उज्जवल #उज्जवल #गजल #love #foru
#Love #poem #shayari #happy #happy Sanjh

Nidhi''नन्ही क़लम''

नहीं मलाल, क्यूँ देखे वो सपने !
उज्ज्वल थे क़ुछ, खैराती, क़ुछ अपने ।
क़ोशिशे जी भरकी, बिक्री बेमिसाल,Nidhi
किस्मत, सर आँखों पर, कुबुल हर सौग़ात । #उज्जवल #nanhikalam

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 7 - निष्ठा की विजय 'मैं महाशिल्पी को बलात्‌ अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
7 - निष्ठा की विजय

'मैं महाशिल्पी को बलात्‌ अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के

Sneha Abhishek Gupta

#OpenPoetry  भूख मिटाने परिवार की, 
आज फिर वो किसी ढाबे का छोटू बन कर  खड़ा हो गया..
कुछ दिनों पहले तक जो तुतलाता था, 
आज फर्राटे से सारा ऑर्डर एक साँस में बोल गया.. 
मेरे देश का उज्जवल भविष्य देखो ना!
कितनी जल्दी बड़ा हो गया..
खिलौनों का नाम भी नहीं जानता है वो,
लेकिन आटे दाल का भाव जान गया..
जो डरता था कभी घर की दहलीज लांघने से,
आज पूरा गांव नाप गया..
मेरे देश का उज्जवल भविष्य देखो ना!
कितनी जल्दी बड़ा हो गया..
चेहरे पर अब वो रौनक नहीं दिखती उसके, 
और भोलापन भी बड़प्पन में तबदील हो गया.. 
उसके छोटे कंधे अब खुशी से नहीं फुदकते, 
उन पर ज़िम्मेदारियों का बोझ सवार हो गया.. 
मेरे देश का उज्जवल भविष्य देखो ना!
कितनी जल्दी बड़ा हो गया..
आज बीमार माँ की दवाइयों के लिए, 
उसके खुद के निवालों का दामन खो गया.. 
है आज भी माँ का प्यारा छोटू ही वो, 
भले ही दुनिया के लिए, बड़ी जल्दी बड़ा हो गया.. 
भले ही दुनिया के लिए, बड़ी जल्दी बड़ा हो गया.. #OpenPoetry

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 7 - शरीर अनित्य है लोग पागल कहते हैं वैद्यराज चिन्तामणिजी को, यद्यपि सबको यह स्वीकार है कि उनके हाथ में यश है। नाड़ीज्ञान में अद्वितीय हैं और उनके निदान में भूल नहीं हुआ करती। वे जब चिकित्सा करते हैं, मरते को जीवन दे देते हैं; किंतु अपने पागलपन से उन्हें जब अवकाश मिले चिकित्सा करने का। इतना निपुण चिकित्सक - उसके हाथ में लोहे को सोना करने वाली विद्या थी। वह अपना व्यवसाय किये जाता - तो लक्ष्मी पैर तोड़ उसके घर में बैठने को प्रस्तुत कब नहीं थ

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
7 - शरीर अनित्य है

लोग पागल कहते हैं वैद्यराज चिन्तामणिजी को, यद्यपि सबको यह स्वीकार है कि उनके हाथ में यश है। नाड़ीज्ञान में अद्वितीय हैं और उनके निदान में भूल नहीं हुआ करती। वे जब चिकित्सा करते हैं, मरते को जीवन दे देते हैं; किंतु अपने पागलपन से उन्हें जब अवकाश मिले चिकित्सा करने का।

इतना निपुण चिकित्सक - उसके हाथ में लोहे को सोना करने वाली विद्या थी। वह अपना व्यवसाय किये जाता - तो लक्ष्मी पैर तोड़ उसके घर में बैठने को प्रस्तुत कब नहीं थ
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