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Best नस Shayari, Status, Quotes, Stories

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Ghumnam Gautam

Ruchi ki kalam se

#अस्पताल के बिस्तर से 'निर्मेय' secret shine Ishita😀😀😀 Pratibha Tiwari(smile)🙂 Jiya Awasthi Mr. MANEESH

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!! अस्पताल के बिस्तर से !!
 जिंदगी बहुत ही अजीब नजर आती है,,अस्पताल के बिस्तर से 
 अपनेआप मे बहुत बेबस व लाचार महसुस होता है,,अस्पताल के बिस्तर से 
 बोतल लगी है,एक हाथ मे और  दवाई नस-नस मे बह रही है,
  देखो कितनी लाचार जिंदगी दिखाई दे रही है...!
 सफेद चादर की सिलवते है,,ये कैसी जगह जहाँ लोग भी बेरंग दिवारो से,,
  कोई आया भी मिलने ऐसे जैसे मिलने की खुशी ही नही,,
  किसी के चेहरे पे हँसी ही नही,,,
  बगल मे जो लोग खडे है,भीड नही है मेरे कुछ अपने ही तो है !!!
  ये अपने भी वही है, जिनके लिये कभी वक्त नही था मेरे पास,,
,सम्भाला भी तो उन्होने जिनसे नही थी कोई आस..!!
  भागदौड मे जिन्हे हम पीछे छोड जाते है,,,
  ये वही अपने जो एक आवाज पे दौड आते है...!!
जिंदगी पूरी समझ आती है,इस भयानक सफर से,,!

!! अस्पताल के बिस्तर से !! #अस्पताल के बिस्तर से  'निर्मेय' secret shine Ishita😀😀😀 Pratibha Tiwari(smile)🙂 Jiya Awasthi Mr. MANEESH

RV Chittrangad Mishra

तेरी मिट्टी में मिल जावां

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तलवारों पे सर वार दिए अंगारों में जिस्म जलाया है 
तब जाके कहीं हमने सर पे ये केसरी रंग सजाया है 

ए मेरी ज़मीं अफसोस नहीं जो तेरे लिए सौ दर्द सहे 
महफूज रहे तेरी आन सदा चाहे जान ये मेरी रहे न रहे 
ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी मेरी नस नस में तेरा इश्क बहे 
पीका ना पड़े कभी रंग तेरा जिस्म से निकल के खून कहे 
तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां 
इतनी सी है दिल की आरजू 
तेरी नदियों में बह जावां तेरे खेतों में लहरावां 
इतनी सी है दिल की आरजू वो ओ.. 

सरसों से भरे खलिहान मेरे जहाँ झूम के भांगड़ा पा न सका
 आबाद रहे वो गाँव मेरा जहाँ लौट के बापस जा न सका 
ओ वतना वे मेरे वतना वे तेरा मेरा प्यार निराला था
 कुर्बान हुआ तेरी अस्मत पे मैं कितना नसीबों वाला था
 तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां 
इतनी सी है दिल की आरजू 
 तेरी नदियों में बह जावां तेरे खेतों में लहरावां 
इतनी सी है दिल की आरजू 

ओ हीर मेरी तू हंसती रहे तेरी आँख घड़ी भर नम ना हो 
मैं मरता था जिस मुखड़े पे कभी उसका उजाला कम ना हो 
ओ माई मेरे क्या फिकर तुझे क्यूँ आँख से दरिया बहता है 
तू कहती थी तेरा चाँद हूँ मैं और चाँद हमेशा रहता है
 तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां 
इतनी सी है दिल की आरजू 
तेरी नदियों में बह जावां तेरे फसलों में लहरावां 
इतनी सी है दिल की आरजू तेरी मिट्टी में मिल जावां

Sonam kuril

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दोस्त ,ये वो रिश्ता है जिसे अल्फाजों में नहीं बयां कर सकते ,
जिसे सिर्फ जज़्बातो मे समझा जा सकता हैै ,
ये वो रिश्ता है जो खून का नहीं पर उससे भी कहीं ज्यादा ऊपर होता है ,
हम लड़ते है ,झगड़ते है ,
साथ हसते गाते ,खिलखिलाते है ,
इज्जत तो अपने दोस्तों की होती नहीं ,
पर कोई और कुछ बोले तो उसकी इज्जत उतार देते है ,
अक्सर तू तड़क से बाते शुरू होकर ,
साली ,कुतिया ,कामिनी , चल बे, हट बे ,
पर बाते खत्म रुक जाती है ,
इतनी बातें तो हम अपने घर वालों से नहीं करते ,
जितनी की दोस्तों से हो जाती है ,
वैसे तो ये अपनी हरकतों से अक्सर ही तंग करते है ,
पर मन जब दुखी होता है तो ये पीड़ाहारी गोली बन जाते है ,
जितना ज्ञान साल भर में नहीं देते वो सब एक दिन में दे जाते है ,
सब के सब अजब नमूने होते है ,
घर में सबके लिए नालायक ,
पर यारों की महफिलों की शान होते है ,
कहने को तो बहुत कुछ होता है ,
पर अपने को अल्फाज ही नहीं मिलते ,
ये दोस्त मेरा दिल, फेफड़े , गुर्दे , मेरे जिगर के टुकड़े ,
और " सोनम "  की नस नस में बसते है ,
नालायक ही सही पर मेरे सबसे खास होते है |
ilovemyfriends
happyfriendshipday.

Prafull dharwad

#dastoor

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ये कैसा रिवाज़ है ये कैसा दस्तूर है मेरे मौला,
वो नस नस में समाया है और वही आँखों से दूर है मेरे मौला।

एक बार नहीं दो बार नहीं जाने कितनी बार मरा हु मैं, 
एैसा क्या गुनाह है एैसा क्या कसूर है मेरे मौला।

घुटन चुभन तन्हाई बेचैनी पागलपन जाने क्या क्या है,
थोड़ी रहम कर मुझपर बड़ी तकलीफ है मेरे मौला।
 
किस तरह की दुनिया है तेरी ये कैसा इंसाफ है, 
मर मर कर जीने को इंसान क्यों मजबूर है मेरे मौला।

हो जाऊंगा पागल या कर लूंगा खुदखुशी,
ये दर्द मेरे बर्दास्त के अब बाहर है मेरे मौला। #dastoor

Prafull dharwad

ये कैसा रिवाज़ है ये कैसा दस्तूर है मेरे मौला,
वो नस नस में समाया है और वही आँखों से दूर है मेरे मौला।

एक बार नहीं दो बार नहीं जाने कितनी बार मरा हु मैं, 
एैसा क्या गुनाह है एैसा क्या कसूर है मेरे मौला।

घुटन चुभन तन्हाई बेचैनी पागलपन जाने क्या क्या है,
थोड़ी रहम कर मुझपर बड़ी तकलीफ है मेरे मौला।
 
किस तरह की दुनिया है तेरी ये कैसा इंसाफ है, 
मर मर कर जीने को इंसान क्यों मजबूर है मेरे मौला।

हो जाऊंगा पागल या कर लूंगा खुदखुशी,
ये दर्द मेरे बर्दास्त के अब बाहर है मेरे मौला। #riwaaz#dastoor

Prafull dharwad

ये कैसा रिवाज़ है ये कैसा दस्तूर है मेरे मौला, 
वो नस नस में समाया है और वही आँखों से दूर है मेरे मौला।

एक बार नहीं दो बार नहीं जाने कितनी बार मरा हु मैं, 
ऐसा क्या गुनाह है ऐसा क्या कसूर है मेरे मौला।

घुटन है चुभन है तन्हाई है बेचैनी है पागलपन है जाने क्या क्या है,
थोड़ी रहम कर मुझपर बड़ी तकलीफ है मेरे मौला।

किस तरह की दुनिया है तेरी ये कैसा इंसाफ है, 
मर मर कर जीने को इंसान क्यों मजबूर है मेरे मौला।

हो जाऊंगा पागल या कर लूंगा खुदखुशी,
ये दर्द मेरे बर्दास्त के अब बाहर है मेरे मौला | #riwaz#dastoor

Prafull dharwad

ये कैसा रिवाज़ है ये कैसा दस्तूर है मेरे मौला, 
वो नस नस में समाया है और वही आँखों से दूर है मेरे मौला।

एक बार नहीं दो बार नहीं जाने कितनी बार मरा हु मैं, 
ऐसा क्या गुनाह है ऐसा क्या कसूर है मेरे मौला।

घुटन है चुभन है तन्हाई है बेचैनी है पागलपन है जाने क्या क्या है,
थोड़ी रहम कर मुझपर बड़ी तकलीफ है मेरे मौला।

किस तरह की दुनिया है तेरी ये कैसा इंसाफ है, 
मर मर कर जीने को इंसान क्यों मजबूर है मेरे मौला।

हो जाऊंगा पागल या कर लूंगा खुदखुशी,
ये दर्द मेरे बर्दास्त के अब बाहर है मेरे मौला | #kaisa#riwaz#dastoor

Kumar Saurabh

गिला हो भी क्या तुझसे कि तू है मेरे नस-नस में शामिल,
'गर शिकवा कोई करूँ तुझसे तो मेरी ख़ुद की शिकायत होगी। #nojoto #nojotohindi #life #love #shayari #romance #care #feelings #poetry

Meena

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लबों ने तेरे मुझपर एहसान किया था
मेरा नाम तेरे साथ जुड़ा था
ख्वाहीश थी लबों से छुकर दिल में उतरणे की
तु रूह को छूकर नस-नस में बस गया
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