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THE VIKRANT RAJLIWAL SHOW
Aaj New Selfie Stick ke Sath Apni Ek Ur Journey ke liye Hum Ready Hai_ # #Vikrant #VikrantRajliwalVlogs #mylifes
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🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗 🤗🤗🤗🤗🤗 🤗🤗 🤗 ©Vikrant Rajliwal 🤔The Great Philosophy Of Vikrant Rajliwal वास्तविक जीवन के अनुभवों का निचोड़! Gist of real life experiences! सब्सक्राइब कर के अभी अपने जीवन में एक स्क्रात्मक मोड़ उत्पन्न करे।
🤔The Great Philosophy Of Vikrant Rajliwal वास्तविक जीवन के अनुभवों का निचोड़! Gist of real life experiences! सब्सक्राइब कर के अभी अपने जीवन में एक स्क्रात्मक मोड़ उत्पन्न करे।
read moretahmeena khatoon
बेवजह के फैसलों की वज़ह मिल गई जो खता की थी,उसकी सज़ा मिल गई ©tahmeena khatoon #khata #sazaa #Anshuwriter #Anshuman #aditya #hardikmahajan #Hardik #Vikram #Vikrant #Amit
Vikrant
"इतना दूर भी मत रहो की, पास ना आ पाओ। ऐसे नाराज़ हो जाओगे तो, हमें दुबारा कभी नहीं देख पाओगे।" ©Vikrant #Light #hindi_shayari #shayri #hindikavita #Vikrant #wmotion
#Light #hindi_shayari #shayri #hindikavita #Vikrant #wmotion
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💥 एक निर्जीव होता या निष्क्रिय होता वृक्ष (घर, परिवार या कोई संस्था) जब एक दिव्य उजाले की दिव्य ऊर्जा से स्वयं की निष्प्राण होती शाखाओं की जीवन धारा में कोई भी जीवन प्राण रूपी ऊर्जा प्रदान करने हेतु कोई भी प्रयास ना करे तो ज्ञात रहे उसका अंत अब निच्छित है। विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित। आज ही जुड़िए मेरी ब्लॉग साइट vikrantrajliwal.com से। #Narcotics #Anonymous #Programme #Recovery #Life #Vikrant #Rajliwal #Experience
💥 एक निर्जीव होता या निष्क्रिय होता वृक्ष (घर, परिवार या कोई संस्था) जब एक दिव्य उजाले की दिव्य ऊर्जा से स्वयं की निष्प्राण होती शाखाओं की जीवन धारा में कोई भी जीवन प्राण रूपी ऊर्जा प्रदान करने हेतु कोई भी प्रयास ना करे तो ज्ञात रहे उसका अंत अब निच्छित है। विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित। आज ही जुड़िए मेरी ब्लॉग साइट vikrantrajliwal.com से। #Narcotics #Anonymous #Programme #recovery #Life #Vikrant #Rajliwal #experience
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💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1) प्रकाशित पुस्तक "एहसास"(published Book) : अत्यधिक संवेदनशील काव्य पुस्तक एहसास, जिसका केंद्र बिंदु हम सब के असंवेदनशील होते जा रहे सभ्य समाज पर अपनी काव्य और कविताओं के द्वारा एक प्रहार की कोशिश मात्र है। Sanyog (संयोग) प्रकाशन घर शहादरा द्वारा प्रकाशित एव ए वन मुद्रक द्वरा प्रिंटिड। प्रकाशन वर्ष जनवरी 2016. प्रकाशित मूल्य 250:00₹ मात्र।
💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1) प्रकाशित पुस्तक "एहसास"(published Book) : अत्यधिक संवेदनशील काव्य पुस्तक एहसास, जिसका केंद्र बिंदु हम सब के असंवेदनशील होते जा रहे सभ्य समाज पर अपनी काव्य और कविताओं के द्वारा एक प्रहार की कोशिश मात्र है। Sanyog (संयोग) प्रकाशन घर शहादरा द्वारा प्रकाशित एव ए वन मुद्रक द्वरा प्रिंटिड। प्रकाशन वर्ष जनवरी 2016. प्रकाशित मूल्य 250:00₹ मात्र।
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💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1) प्रकाशित पुस्तक "एहसास"(published Book) : अत्यधिक संवेदनशील काव्य पुस्तक एहसास, जिसका केंद्र बिंदु हम सब के असंवेदनशील होते जा रहे सभ्य समाज पर अपनी काव्य और कविताओं के द्वारा एक प्रहार की कोशिश मात्र है। Sanyog (संयोग) प्रकाशन घर शहादरा द्वारा प्रकाशित एव ए वन मुद्रक द्वरा प्रिंटिड। प्रकाशन वर्ष जनवरी 2016. प्रकाशित मूल्य 250:00₹ मात्र।
💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1) प्रकाशित पुस्तक "एहसास"(published Book) : अत्यधिक संवेदनशील काव्य पुस्तक एहसास, जिसका केंद्र बिंदु हम सब के असंवेदनशील होते जा रहे सभ्य समाज पर अपनी काव्य और कविताओं के द्वारा एक प्रहार की कोशिश मात्र है। Sanyog (संयोग) प्रकाशन घर शहादरा द्वारा प्रकाशित एव ए वन मुद्रक द्वरा प्रिंटिड। प्रकाशन वर्ष जनवरी 2016. प्रकाशित मूल्य 250:00₹ मात्र।
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💥 आज जमाना बदल गया है मित्रों, अब किसी भी लेखक कलाकार, कवि, एवं शायर को किसी भी घमंड से चूर अत्यचारी के समक्ष अपनी चप्पलें घिसते हुए अपने आत्मसम्मान को स्वयं अपने ही हाथो क़त्ल करते हुए किसी भी घमंड से चूर अत्यचारी के समक्ष अपनी कला को जीवित रखने हेतु झुकने की कतई भी आवश्यकता नही है। आज ईष्वर की कृप्या से इंटरनेट जिंदाबाद है और अनेकों ऑनलाइन मंच है जहाँ से आप अपनी कला का प्रदर्शन जारी रखते हुए एक आत्मसम्मान के साथ अपनी कला को जीवित रख सकते है। हो सकता है इसमें आपको कामयाब होने में एक अरसा भी लग जाए, परन्तु मैं विक्रांत राजलीवाल आपको विशवास देता हूं कि उस एक अरसे के बाद भी आप एक बादशाह के सम्मान ही स्वयं के आत्मसम्मान की रक्षा करते हुए खुद को सम्मानित महसूस कर सकेंगे। मुझ को यकीन है आपको तो यकीन है ना! विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित। आज ही जुड़िए मेरी ब्लॉग साइट vikrantrajliwal.com से। Translated 💥 Today, the time has changed, friends, now any writer, artist, poet and poet is not required to bow down to keep his art alive by killing his own self-esteem in front of an arrogant person. Today, due to the kindness of God, the Internet is alive and there are many online forums from which you can continue to showcase your art and keep your art alive with a self respect. It may take you an time to succeed in this, but I mean that your friend Vikrant Rajliwal gives the assurance to all of you that even after that one time you will protect your self-respect like a king. Will be able to feel honored. I'm sure are you sure? Written by Vikrant Rajliwala Join my blog site vikrantrajliwal.com today. #curruption #Literature #System #भृष्ट #साहित्यिक #व्यवस्था #इंटरनेट #internet #poetry #Shayari #Vikrant #Rajliwal #freedom #wisdom 💥 आज जमाना बदल गया है मित्रों, अब किसी भी लेखक कलाकार, कवि, एवं शायर को किसी भी घमंड से चूर अत्यचारी के समक्ष अपनी चप्पलें घिसते हुए अपने आत्मसम्मान को स्वयं अपने ही हाथो क़त्ल करते हुए किसी भी घमंड से चूर अत्यचारी के समक्ष अपनी कला को जीवित रखने हेतु झुकने की कतई भी आवश्यकता नही है। आज ईष्वर की कृप्या से इंटरनेट जिंदाबाद है और अनेकों ऑनलाइन मंच है जहाँ से आप अपनी कला का प्रदर्शन जारी रखते हुए एक आत्मसम्मान के साथ अपनी कला को जीवित रख सकते है। हो सकता है इसमें आपको कामयाब होने में एक अरसा भी
💥 आज जमाना बदल गया है मित्रों, अब किसी भी लेखक कलाकार, कवि, एवं शायर को किसी भी घमंड से चूर अत्यचारी के समक्ष अपनी चप्पलें घिसते हुए अपने आत्मसम्मान को स्वयं अपने ही हाथो क़त्ल करते हुए किसी भी घमंड से चूर अत्यचारी के समक्ष अपनी कला को जीवित रखने हेतु झुकने की कतई भी आवश्यकता नही है। आज ईष्वर की कृप्या से इंटरनेट जिंदाबाद है और अनेकों ऑनलाइन मंच है जहाँ से आप अपनी कला का प्रदर्शन जारी रखते हुए एक आत्मसम्मान के साथ अपनी कला को जीवित रख सकते है। हो सकता है इसमें आपको कामयाब होने में एक अरसा भी
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