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Shashi Bhushan Mishra

#कितनों की परवाह करोगे#

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कितनों  की  परवाह करोगे, 
ख़ुद  का  चैन तबाह करोगे,

अल्फ़ाज़ों  में  दर्द  पिरोकर, 
ख़ुद ही ख़ुद पर वाह करोगे,

देते   रहे   स्वयं  को  धोखा,
कितना  और  गुनाह करोगे, 

जाग्रत रहो आप तब ही तो,
औरों   को   आगाह  करोगे, 

धोखाधड़ी और छल करके, 
सुखद नींद की चाह करोगे,

प्यार लुटाया जिसने उनपर, 
टेढ़ी  भला   निगाह  करोगे, 

हासिल करो इल्म को गुंजन,
जीवन  भर  निर्वाह   करोगे,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
    चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #कितनों की परवाह करोगे#

Anita Najrubhai

#Adhure vakya #कितनों के सपने टुट गये

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कितनों के अपने चले गये 
कितनों के सपने  टुट गये 
एक बच्चे के  सर से पापा का  
साया हट गया  
किसी के  गलतियाँ पे डांट ने वाले  
वोह बुजुर्ग  चले गए 
कबतक हम  इस कोरोना से लडते रहे गे     
 कब हम जीत जायें गे   इस कोरोना से
    तकलीफ़ों का  बोझ  अब
सभालते सभालते   किसानो एक झूठ 
होकर  सडकों पर     खडे है
गरीब क्या करेगा जब  अनाज ओर तेल का
भाव  आस्मान छु रहे हैं 
एक गरीब क्या करेगा  कोरोना  होने पर 
ओक्सिजन  खरीदेंगा या अपने परिवार के लिये  खाना 
हम सम कबतक जीत जायेंगे  
समय ओर परिस्थिति ओर राजनीति के राजकारण 
को देखते हुए    सब अपन अपने 
मतलब के लिए   राजनीतिकी चाल च  रहे हैं 
 हमे खुद ही अपना ओर अपने परिवार काख्याल हमे खुद रखना चाहिए तभी हम जीत जीत जायेंगे

©Anita Najrubhai #Adhure vakya  #कितनों के सपने टुट गये

'मनु' poetry -ek-khayaal

Diwan G

वो मुफलिसी में जी रहा था,वह फकीर था,
वह अपनी दुनियाँ का,खुद ही वजीर था।
उसने कितनों को राह दी,कितनों को चाह दी,
दौलत से गरीब था,मगर दिल का अमीर था।।

                       Diwan G दिलवाला
#फकीर #अमीर #वजीर #राह #चाह

Anshul Singh

#OpenPoetry  है रण दुर्दम्य ,
                योद्धा प्रवीण ,
               अद्भुत शर से सज्जित तुरीण ।
               क्षत-विक्षत शव हैं पटे पड़े ,
               मस्तक वीरों के कटे पड़े ,
               कितनों पर मैंने वार किया ,
               कितनों का संहार किया ।
हे माधव ! इस धर्म युद्ध में मैंने अबतक ,
               धर्म पताका लहराई है ,
               युक्ति से मैंने युद्ध किया है ,
               शौर्य से विजय पायी है ।
               पर एक निहत्थे योद्धा पर ,
               बोलो कैसे मैं प्रहार करूँ ,
               जो रत है अपने रथ में अब ,
               उसका कैसे संहार करूँ ।
               क्या अर्जुन का बल क्षीण हुआ ,
               या आत्मबल संकीर्ण हुआ ,
               जो एक असहाय वीर पर ,
               मैं अपनी शक्ति दिखलाऊँगा ।
               विजय भी हो जाए माधव ,
               मैं कायर ही कहलाऊँगा ।
हे भगवन ! तुमने ही तो मुझको ,
                 धर्म मार्ग बतलाया था ,
                 अपने सामर्थ्य पर विश्वास करूँ ,
                 ये पाठ मुझे सिखलाया था ।
                 अब तुम ही मुझको धर्म से ,
                 विरत कैसे कर सकते हो ,
                 एक शस्त्रहीन पर शस्त्र उठाऊँ ,
                 ये कैसे कह सकते हो ?
                 बोलो ना माधव चुप क्यों हो ,
                 शंका का समाधान करो ,
                 अंधकार में  डूब रहा ,
                 आलोकित मेरे प्राण करो । #OpenPoetry #व्यथा #अर्जुनकृष्णसंवाद #कर्णवध

Mahesh Vishnoi

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कलम कलम ने  ना जाने कितने ताज ढेरो में बदल दिए 
कलम ने ना जाने कितनों के ढेर ताजो में बदल दिए 
ये जहाँ भी ईमानदारी से चली है इतिहास बनया है
कलम ने जाने कितनों को ताज कितनो मोहताज में बदल दिए ।।
कुमार महेश "माही"
जोधपुर

Rajni Bala Singh (muskuharat)

उसकी इस मनमोहक चितवन को देखकर हर कोई निहाल हो गया जो भी आया उसके आगोश में हमेशा के लिए बर्बाद हो गया ऐ हसीना और कितनों को अपने हुस्न से घायल करोगी कितनों की रातों की नींद को हराम करोगी #Raj #Poet #shares #nojotohindi #shayri #Manmohak #chitvan

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उसकी इस मनमोहक चितवन को देखकर हर कोई निहाल हो गया 
जो भी आया उसके आगोश में हमेशा के लिए बर्बाद हो गया 
ऐ हसीना और कितनों को अपने हुस्न से घायल करोगी 
कितनों की रातों की नींद को हराम करोगी
©_muskurahat_ #NojotoQuote उसकी इस मनमोहक चितवन को देखकर हर कोई निहाल हो गया 
जो भी आया उसके आगोश में हमेशा के लिए बर्बाद हो गया 
ऐ हसीना और कितनों को अपने हुस्न से घायल करोगी 
कितनों की रातों की नींद को हराम करोगी
#raj #poet #shares #nojotohindi #shayri #manmohak #chitvan

RAAJ

सब दूसरों को समझाने में लगे हैं... ख़ुद की समझ है कितनों को? * #Nojoto #nojotohindi #Quotes

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कितनों को?

 ज़िंदगी होती नहीं वश में फिर भी बेबसी रुलाती है कितनों को
टूटकर टुकड़े टुकड़े होते देखते हैं रिश्ते समझ आती है कितनों को

बड़ी बड़ी बातें जो दूसरों से की जाती हैं बड़ी आसानी से अक्सर
वही बातें उतनी ही आसानी से बोलो समझ आती है कितनों को

✍-राजकुमारी सब दूसरों को समझाने में लगे हैं... ख़ुद की समझ है कितनों को?
*
#nojoto
#nojotohindi
#quotes

Parul Sharma

..आखिर क्यों इंसान देता है दगा आखिर क्यों इंसान भूल गया बफा आखिर क्यों मिट गई मानवता आखिर क्यों टूटता विश्वास जीवन का कितनों को छोड़ जाता मझधार में कितनों का दिल कुचलता निज स्वार्थ में ऐ मानव तेरा रूप बदला या फिर नकाब हटा

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..आखिर क्यों इंसान देता है दगा 
आखिर क्यों इंसान भूल गया बफा
आखिर क्यों मिट गई मानवता 
आखिर क्यों टूटता विश्वास जीवन का
कितनों को छोड़ जाता मझधार में
कितनों का दिल कुचलता निज स्वार्थ में 
ऐ मानव तेरा रूप बदला 
या फिर नकाब हटा 
प्रेम, न्याय, परोपकार, दया
जो कभी तेरा अंग था 
कहाँ गिरा यह अंश तेरा 
कहाँ भटकी मानवता 
हो रहा अंधकार गहरा 
सो रहा ईमान तेरा
कैसा हुआ जीवन तेरा 
खोखला हुआ शरीर नया 
जो स्वार्थ से पूर्णतया भरा।
पारुल शर्मा ..आखिर क्यों इंसान देता है दगा 
आखिर क्यों इंसान भूल गया बफा
आखिर क्यों मिट गई मानवता 
आखिर क्यों टूटता विश्वास जीवन का
कितनों को छोड़ जाता मझधार में
कितनों का दिल कुचलता निज स्वार्थ में 
ऐ मानव तेरा रूप बदला 
या फिर नकाब हटा

NC

जाने कितने जीवों को बेघर किया 
और कितनों का शिकार किया 
अपने मतलब के लिए तूने 
कितनों का संहार किया 
कुछ का तूने व्यापार किया 
जीवों में हाहाकार किया 
खुदगर्ज़ है दयावान नहीं तू 
अब मान ले इन्सान नहीं तू 
ये जीवों के अभयारण्य बनाकर
कितनों को बचाया तूने 
अपनी पूरी सृष्टि के चक्र को बिगाड़ा तूने
अपनी ताकत की यूं नुमाइश न कर
प्रकृति को यूं बर्बाद न कर 
न जाने कब सनशीलता कहर में बदल जाए
न जाने कब ये वक्त बदल जाए ।।
© रिमझिम प्रकृति #nojotohindi#kalakaksh#poetry#poem#kavita#nature#life#ecosystem#balance
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