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Amit Singhal "Aseemit"

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Amit Singhal "Aseemit"

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उपांशु शुक्ला

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shayar_dillwala

#सुबह की #धूप बनकर मै तुझे #चूम लूं,#शाम की धूप बनकर तुझे #सहलाता हुआ चला जाऊं।तेरे #जीवन का #उजियारा बन मै तेरा #साथ हमेशा के लिए निभाऊं। Just shayari...

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सुबह की धूप बनकर मै तुझे चूम लूं,
शाम की धूप बनकर तुझे सहलाता हुआ चला जाऊं।
तेरे जीवन का उजियारा बन
मै तेरा साथ हमेशा के लिए निभाऊं। #सुबह की #धूप बनकर मै तुझे #चूम लूं,#शाम की धूप बनकर तुझे #सहलाता हुआ चला जाऊं।तेरे #जीवन का #उजियारा बन मै तेरा #साथ हमेशा के लिए निभाऊं।
Just shayari...

कथायति

जलने की गम नहीं है 
उजियारा लाने की खुशी है #Nojoto  #जलन #गम  #उजियारा  #खुशी #Nojotonews #Trend #loveaajkal #Nojotofilms #motivational

Keshav Kumar Jha

जगजीत सिंह जी के गजल (तुमको देखा तो ये ख्याल आया) के तरन्नुम पर आधारित यह कविता।Daya Khurana Bharti Kumari Shreya Shukla❣ Vishal Kumar

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आओ मिलकर फैलाएँ उजियारा।
तूम हो दिपक हमसे ये जहाँ सारा।।

आओ मिलकर फैलाएँ उजियारा।
आओ मिलकर फैलाएँ उजियारा।
तूम हो दिपक हम से ये जहाँ सारा।।
आओ मिलकर फैलाएँ उजियारा।।

धर्म तले भीङ ने क्यों ये हत्या की  ।
धर्म तले भीङ ने क्यों ये हत्या की।
इस भीङ ने मानवता को मारा।।

तूम हो दिपक हमसे ये जहाँ सारा।
आओ मिलकर फैलाएँ उजियारा।
आओ मिलकर फैलाएँ उजियारा

तूम उलझ जाओगे तो वो मौज ले लेंगे।
आपस में लङोगे तो हमें वो सौख लेंगे।
लोगो से भारत हमसे हिंदुस्ताँ ‌न्यारा ।
तुम उपवन और ये गुलिस्ताँ हमारा।
आओ मिलकर फैलाए उजियारा।
आओ मिलकर फैलाए उजियारा।

मजहब ने हमें प्रेम का पाठ सिखाया।
फिर क्यों इस हवा को तुमने जहर बनाया?

भाईचारे को तूम मत करों किनारा।
आओ मिलकर फैलाए उजियारा।
तूम हो दिपक हमसे हैं जहाँ सारा।
आओ मिलकर फैलाए उजियारा।।। जगजीत सिंह जी के गजल (तुमको देखा तो ये ख्याल आया)  के तरन्नुम पर आधारित यह कविता।Daya Khurana Bharti Kumari Shreya Shukla❣ Vishal Kumar

निखिल कुमार अंजान

मेरे अंदर का बच्चा  किसी भूखे को रोटी का निवाला दे दो
किसी गरीब को शिक्षा का उजियारा दे दो
हो अगर काबिल तो किसी को सहारा दे दो
छत और वस्त्र नही है जिस गरीब के पास
उसको आशा की किरण का सवेरा दे दो
मिटा दो अंधियारा गरीबी और भुखमरी का
शहर को अपने इक नया उजियाला दे दो
तिल तिल कर मरता आया है जो मजदूर 
उसको जीने का एक नया बहाना दे दो
इंसान हो इंसान होने का थोड़ा फर्ज निभा लो
फैला खुशीयाँ  इंसानियत की लौ जला लो
बूझते हुए चिराग को अंधड से बचा लो 
जिंदगी रोशन कर मन का सुकून पा लो
छोड़ो मजहब और जात पात की लड़ाई
बीच वाला भाईचारे का रास्ता अपना लो
आत्मा अमर है लेकिन जिंदगी कुछ बरस है
नेकी और बदी ही जीवन का सच्चा सत्संग है
फिर लगती क्यों ये जिंदगी बेरंग है
प्रेम और स्नेह ही जग मे असल रंग है
किसी भूखे को रोटी का निवाला दे दो
किसी गरीब को शिक्षा का उजियारा दे दो.............  

#निखिल_कुमार_अंजान.... #मेरी_डायरी
#निखिल_कुमार_अंजान....
#nojoto.....

Niharika singh chauhan (अद्विका)

दिवाली का मतलब  आ गई लो फिर आज मनभावन दीवाली 
घर ऑंगन मे दीप जलेंगें खूब सजेगी रंगोली 
हिंदू-मुस्लिम सिक्ख इसाई होगी सबकी हमजोली 
पकवानों की सोंधी खुशबू घर घर को महकाएगी 
मिलजुल कर खाएंगे सब 
आलीशान भवन हों चाहे या हो कोई खोली 
कोई भी भूखा न सोए ध्यान रहे हम सबको 
घर घर मे उजियारा हो हर  ऑंगन सजे रंगोली 
दीन दुखी और निर्धन के संग 
मिलमिलजुल कर दीप जलाना 
बाहर जितना  उजियारा होगा  मन मे भी उतना  उजियारा करना 
मनमुटाव मतभेद भुला कर सब मिलकर दीप जलाना 
Happy Diwali #nojoto #nojotohindi #nojotofamily #happy #Diwali #love #life #poetry #quotes

Sandeep Bhardwaj

शाम यथार्थ-2

खुद साये में धूप पड़ी है, कौन उजियारा हो
कश्ती खड़ी मंझधार यहां, कौन किनारा हो ।।
सावन के मौसम में यहां पत्ते झड़ते रहते हैं
बैसाखी के पावन पर्व पर भी, पेट सिकुड़ते रहते है।
मेरी तुझको तेरी मुझको खबर नहीं,
सब अपने में मशगूल यहां।
है रात के बाद रात यहां, कौन सवेरा हो।। 
कश्ती खड़ी मंझधार यहां, कौन किनारा हो ।।

आरती का रसमय स्वर यहां अवसादित होता जाता
मावस की रात का जुगनू यहां अपवादित होता जाता।
हीर की यहां रूसवा बातें, है रांझे के झुठे वादे
सच खोती है वाणी यहां, सब कर्मों में आधे - आधे।।
है सब राधा को चाहने वाले, कौन दशहरा हो।। 
खुद साये में धूप पड़ी है, कौन उजियारा हो
कश्ती खड़ी मंझधार यहां, कौन किनारा हो ।। #mydiary #mystory #mystyle #nojotoहिंदी #writeindia


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