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Shivkumar
White // मेरे दिल की चाहत // मेरे दिल की चाहत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो मेरी ज़रुरत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो तुमने तो मुझे कबाला दिया मेरी आदतें, कल भी तुम भुम थे और आज भी तुम हो न जाना कितना, तुमको प्यार किया मेरी इबादत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो बेख़बर बनते हो, ख़बर हो के भी मेरी इबादत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो ©Shivkumar #Couple #Nojoto #दिलकीबातशायरी143 #Love #nojotohindi // मेरे दिल की #चाहत // मेरे दिल की चाहत, कल भी #तुम थे और आज भी तुम हो
HintsOfHeart.
अपने ही आँगन में खिलते फूल की ख़ुशबू से मैं बेख़बर हो जाऊँ मशरूफ़ियत में इस कद़र खो जाना मुझे पसंद नहीं ©HintsOfHeart. #मशरूफ़ियत #बेख़बर #ख़ुशबू
अदनासा-
परे परे से एक ही घर में भला हम तुम क्यों रहे ? कुछ देर ही सही ज़रा मोबाईल परे भी रख दो। अनकही सी कुछ सुनो कुछ अनकही सी कह दो, ज़िन्दगी गुज़ार देने को फ़कत काफ़ी है हम दो। ©अदनासा- #हिंदी #बेख़बर #दुनियाँ #स्मार्टफोन #Pinterest #Instagram #अलग_अलग #Facebook #ज़िन्दगी #अदनासा
kumaarkikalamse
ख़बर कभी ऐसे लेना मेरी तू ए बे - ख़बर, कि फ़िर मेरी बेकरारी मुझे मयखाने ना ले जाए। #kumaarsthought #बेख़बर #बेकरारी_तुम्हारी #paidstory
Rabindra Kumar Ram
" तु रहे बेख़बर की कोई बात नहीं , तुझे मेरी मैजूदगी का कोई एहसास नहीं , छोड़ के तिसनगी अब की जाये किसकी इस उल्फत में , तु हैं की मेरे पास की मेरे तु इतने करीब भी नहीं . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " तु रहे बेख़बर की कोई बात नहीं , तुझे मेरी मैजूदगी का कोई एहसास नहीं , छोड़ के तिसनगी अब की जाये किसकी इस उल्फत में , तु हैं की मेरे पास की मेरे तु इतने करीब भी नहीं . " --- रबिन्द्र राम #बेख़बर #मैजूदगी #एहसास #तिसनगी
Aaina
क्या... पता है तुझको,कितना खाली हूँ मैं कई दिनों से मैं भी नहीं हूँ मुझमें ©Aaina #शेर #ख़ालीपन #शायरी #बेख़बर #MorningTea
Meenu Rajput
बेखबर हो गए हैं कुछ लोग जो हमारी ज़रूरत तक मेहसूस नहीं करते... कभी बहुत बाते किया करते थे हमसे, अब खैरियत तक नहीं पूछा करते... ©Meenu Rajput #Heart #बेख़बर #shayri #likeforlike #foryoupage #keepsupporting #keepgoing #meenu_rana_2
Prashant Singh
Bambhu Kumar (बम्भू)
2. थे यही सावन के दिन हरखू गया था हाट को सो रही बूढ़ी ओसारे में बिछाए खाट को डूबती सूरज की किरनें खेलती थीं रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई जज्बात में क्या पता उसको कि कोई भेड़िया है घात में होनी से बेखबर कृष्णा बेख़बर राहों में थी मोड़ पर घूमी तो देखा अजनबी बाहों में थी चीख़ निकली भी तो होठों में ही घुट कर रह गई छटपटाई पहले फिर ढीली पड़ी फिर ढह गई दिन तो सरजू के कछारों में था कब का ढल गया वासना की आग में कौमार्य उसका जल गया... थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को #डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई #जज्बात में क्या पता उसको कि कोई #भेड़िया है घात में
Sahil Soni
क्यू बिन बताये चला गया वो .. कितनी सिद्दत से चाहा है.. था बेख़बर.. वो किया है दूर उसने ख़ुद को मुझसे ... मेरी किस बात से अंजान था वो... रहता हू उनके पास हर वक़्त.. हैं बेख़बर आज़ भी वो... बेख़बर...