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Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** दिल से *** " होश में मैं रह तो लूं , उनके नजदिकियों का ख्याल किस तरह ज़ाया करें , रहने दें इस खुमारी में ताउम्र , उन्हें भूला के अब कौन सा ग़म जरा लगाये दिल से , कहने को ये बात ही सिर्फ , अब कौन सी किसकी मुस्कान लाये दिल से , बिखर रही हैं सांसें दिल से , अब किसकी सांसों को धड़कन बनाये दिल से , होश में मैं रह तो लूं , अब भला किसकी तिसनगी उतारे दिल से किस के लिए , रुख हवाओं का किया हैं मैंने , उसकी महकती सांसों का जायजा कहीं मिल नहीं रहा दिल से , कहीं जो मिले सदा उसकी , ताउम्र के लिये दिल में पनाह दे दिल से ." --- रबिन्द्र राम *** कविता *** *** दिल से *** " होश में मैं रह तो लूं , उनके नजदिकियों का ख्याल किस तरह ज़ाया करें , रहने दें इस खुमारी में ताउम्र , उन्हें भूला के अब कौन सा ग़म जरा लगाये दिल से , कहने को ये बात ही सिर्फ ,
*** कविता *** *** दिल से *** " होश में मैं रह तो लूं , उनके नजदिकियों का ख्याल किस तरह ज़ाया करें , रहने दें इस खुमारी में ताउम्र , उन्हें भूला के अब कौन सा ग़म जरा लगाये दिल से , कहने को ये बात ही सिर्फ ,
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" कुछ बात कर ली जाये क्या , जो थोड़ा सहमा सा कुछ डरा सा हैं , कुछ बातों का जिक्र मुसलसल होना बाकी हैं , फिर इस तिसनगी में तुम किस बात से आगाज़ की जाये ।" --- रबिन्द्र राम— % & " कुछ बात कर ली जाये क्या , जो थोड़ा सहमा सा कुछ डरा सा हैं , कुछ बातों का जिक्र मुसलसल होना बाकी हैं , फिर इस तिसनगी में तुम किस बात से आगाज़ की जाये ।" --- रबिन्द्र राम #सहमा #जिक्र #मुसलसल #तिसनगी #आगाज़
Rabindra Kumar Ram
" वेशबर ना हो कोई आंखों में रह गया , रहे ख्याल कि अब क्या ख्याल करें हम , मेरे तिसनगी को जाना-पहचाना चेहरा दे गया , काश कि कोई बात हो उस से फिर मुलाकात हो ." --- रबिन्द्र राम " वेशबर ना हो कोई आंखों में रह गया , रहे ख्याल कि अब क्या ख्याल करें हम , मेरे तिसनगी को जाना-पहचाना चेहरा दे गया , काश कि कोई बात हो उस से फिर मुलाकात हो ." --- रबिन्द्र राम #वेशबर #आंखों #ख्याल #तिसनगी #चेहरा #मुलाकात
Rabindra Kumar Ram
" चलों आज फिर कुछ बात कर ली जाये , मुहब्बत के आरज़ू में उसकी तिसनगी का कुछ जिक्र किया जाये , बेजारियो का एहसास कहीं ज़िन्दगी तो कहीं मैत सौंप रही हैं , ऐसे में हम कौन सी मंजिले इश्क की ताविर करें ." --- रबिन्द्र राम " चलों आज फिर कुछ बात कर ली जाये , मुहब्बत के आरज़ू में उसकी तिसनगी का कुछ जिक्र किया जाये , बेजारियो का एहसास कहीं ज़िन्दगी तो कहीं मैत सौंप रही हैं , ऐसे में हम कौन सी मंजिले इश्क की ताविर करें ." --- रबिन्द्र राम #मुहब्बत #आरज़ू #तिसनगी #जिक्र
Rabindra Kumar Ram
" तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं , सहर को शाम कर के बैठे हैं , बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे , तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." --- रबिन्द्र राम " तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं , सहर को शाम कर के बैठे हैं , बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे , तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." --- रबिन्द्र राम सहर ( सुबह )
" तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं , सहर को शाम कर के बैठे हैं , बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे , तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." --- रबिन्द्र राम सहर ( सुबह )
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" पिलाओ नजरों की जाम हम पिना चाहते हैं , कहीं कुछ तिसनगी हैं हम इसमें जिना चाहते हैं ." --- रबिन्द्र राम " पिलाओ नजरों की जाम हम पिना चाहते हैं , कहीं कुछ तिसनगी हैं हम इसमें जिना चाहते हैं ." --- रबिन्द्र राम #नजरों #जाम #पिना #तिसनगी #जिना
Rabindra Kumar Ram
" वो हैं कि नहीं किसकी बात करें , वो नज़र है भी कि नहीं किसकी तलाश करें , ढुढते है जिसे ये किसकी तिसनगी है , वो अभी मिली भी नहीं और किसकी बात करें . --- रबिन्द्र राम " वो हैं कि नहीं किसकी बात करें , वो नज़र है भी कि नहीं किसकी तलाश करें , ढुढते है जिसे ये किसकी तिसनगी है , वो अभी मिली भी नहीं और किसकी बात करें . --- रबिन्द्र राम " वो हैं कि नहीं किसकी बात #नज़र #तलाश #तिसनगी
Rabindra Kumar Ram
" वो हैं कि नहीं ख्वाब किसका देख रहे , अंजुमन में ये किस के एहसास का फ़लसफ़ा है जो , न जान है ना पहचान ये किसकी तिसनगी है , खामेखा किसकी आरज़ू में मुहब्बत कर रहे हैं ." --- रबिन्द्र राम " वो हैं कि नहीं ख्वाब किसका देख रहे , अंजुमन में ये किस के एहसास का फ़लसफ़ा है जो , न जान है ना पहचान ये किसकी तिसनगी है , खामेखा किसकी आरज़ू में मुहब्बत कर रहे हैं ." --- रबिन्द्र राम #ख्वाब
" वो हैं कि नहीं ख्वाब किसका देख रहे , अंजुमन में ये किस के एहसास का फ़लसफ़ा है जो , न जान है ना पहचान ये किसकी तिसनगी है , खामेखा किसकी आरज़ू में मुहब्बत कर रहे हैं ." --- रबिन्द्र राम #ख्वाब
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" तु रहे बेख़बर की कोई बात नहीं , तुझे मेरी मैजूदगी का कोई एहसास नहीं , छोड़ के तिसनगी अब की जाये किसकी इस उल्फत में , तु हैं की मेरे पास की मेरे तु इतने करीब भी नहीं . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " तु रहे बेख़बर की कोई बात नहीं , तुझे मेरी मैजूदगी का कोई एहसास नहीं , छोड़ के तिसनगी अब की जाये किसकी इस उल्फत में , तु हैं की मेरे पास की मेरे तु इतने करीब भी नहीं . " --- रबिन्द्र राम #बेख़बर #मैजूदगी #एहसास #तिसनगी
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" तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं , सहर को शाम कर के बैठे हैं , बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे , तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं , सहर को शाम कर के बैठे हैं , बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे , तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." --- रबिन्द्र राम सहर ( सुबह)
" तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं , सहर को शाम कर के बैठे हैं , बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे , तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." --- रबिन्द्र राम सहर ( सुबह)
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