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Best वायु Shayari, Status, Quotes, Stories

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kavi manish mann

जल बिन वृक्ष नही,वृक्ष बिन वायु नही,
वायु बिन  प्राण प्यारे, कैसे बच पाएंँगे।

नहर, तालाब, नदी, घट  रहे  प्रतिदिन,
पशु–पक्षी जीव सारे, यूंँ ही मर जाएंँगे।

वायु,जल,मिट्टी,अन्न,दूषित हुए हैं ‘मन’,
व्याधियों से घिरे जन,शोक गीत गाएंँगे।

समय रहते यदि, हम चेत नहीं पाए तो,
जल हेतु  रक्त एक, दूजे  का  बहाएंँगे। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #जलहैतोकलहै #water #मनहरण_घनाक्षरी_मन #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #वायु #

Shashank Rastogi

एक पेड़ की छांव
उसके प्रेम और स्नेह के भाव
उसके परिश्रम के फल
उसकी सहनशीलता को दर्शाते उसके छलनी छल
धूप से बचाना
इंसान को जीने के लिए सांसे देना
इंसान का निकाला ज़हर खुद बिना कुछ बोले पी लेना

यह पेड़ सिर्फ पेड़ ही नहीं
भगवान का ही दूसरा रूप है
 #पेड़ #छावं #बचाना #वायु #इंसान #भगवान #अवतार

Raj

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

शृङ्गे॑व नः प्रथ॒मा ग॑न्तम॒र्वाक्छ॒फावि॑व॒ जर्भु॑राणा॒ तरो॑भिः।
 च॒क्र॒वा॒केव॒ प्रति॒ वस्तो॑रुस्रा॒ऽर्वाञ्चा॑ यातं र॒थ्ये॑व शक्रा॥

पद पाठ
शृङ्गा॒ऽइव। नः॒। प्र॒थ॒मा। ग॒न्त॒म्। अ॒र्वाक्। श॒फौऽइ॑व। जर्भु॑राणा। तरः॑ऽभिः। च॒क्र॒वा॒काऽइ॑व। प्रति॑। वस्तोः॑। उ॒स्रा॒। अ॒र्वाञ्चा॑। या॒त॒म्। र॒थ्या॑ऽइव। श॒क्रा॒॥

यदि अग्नि-वायु शिल्प कार्यों में संयुक्त किये जावें तो बहुत कार्य्यों को सिद्ध करें ॥

If fire-air , crafts are combined in works then prove many tasks.

( ऋग्वेद मंत्र २.३९.३ ) #ऋग्वेद #वेद #वायु #अग्नि

वेदों की दिशा

।। ॐ ।।

तस्मै तृणं निदधावेतदादत्स्वेति तदुपप्रेयाय सर्वजवेन तन्न शशाकादातुं स तत एव निववृते नैतदशकं विज्ञातुं यदेतद्यक्शमिति ॥

उस यक्ष ने उसके सम्मुख एक तिनका रखा; ''इसे ले जाओ।'' वह अपने पूर्ण वेग से तिनके की ओर बढ़ा, पर उसे ले नहीं सका। वहीं निश्चेष्ट हो गया, और वहीं से वह वापिस लौट आया; ''मैं नहीं जान सका कि 'वह' बलशाली यक्ष क्या है।

That set before him a blade of grass; “This take.” He went towards it with all his speed and he could not take it. Even there he ceased, even thence he returned; “I could not discern of That, what is this mighty Daemon.”

केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र १० #केनोपनिषद #मंत्र #उपनिषद #वायु #वेग #यक्ष

वेदों की दिशा

।। ॐ ।।
तदभ्यद्रवत्तमभ्यवदत् कोऽसीति वायुर्वा
 अहमस्मीत्यब्रवीन्मातरिश्वा वा अहमस्मीति ॥

वह 'उसके' (यक्ष के) प्रति द्रुतगति से गया; ‘उसने’ (यक्ष ने) वायु से कहा, ''तुम कौन हो? इसने कहा, ''मैं वायु हूँँ, मैं हीं वह तत्त्व हूँ जो वस्तुओं के ‘मातृ-तत्त्व' में विस्तीर्ण होता है(मातरिश्वा हूँ)।

He rushed upon That; It said to him, “Who art thou?” “I am Vayu,” he said, “and I am he that expands in the Mother of things.”

केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र ८ #केनोपनिषद #उपनिषद   #वायु #यक्ष

वेदों की दिशा

।। ॐ ।।

अथ वायुमब्रुवन् वायवेतद्विजानीहि किमेतद्यक्शमिति तथेति ॥

तब वे वायुदेव से बोले, ''हे वायु! यह पता करो यह बलशाली यक्ष क्या है? वायु ने कहा, ''तथा इति।''

Then they said to Vayu, “O Vayu, this discern, what is this mighty Daemon.” He said, “So be it.”

केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र ७ #केनोपनिषद #उपनिषद #मंत्र #वायु #वायुदेव #यक्ष

Ajay Kumar

#AareyForest

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किसी रोज़ छॉंव की तलाश में वृक्ष लगाएं वायु प्रदूषण को दूर भगाएं। आज हमारे भारतवर्ष में कहीं सुखार तो कहीं बाढ़ का मुख्य कारण है की वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में हो चुका है इसी का देन है की मौसम का मिजाज बदला बदला सा है। #AareyForest

Romil Srivastava✅️

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तैत्तरीय उपनिषद मे लिखा है? 
आत्मा से आकाश की उत्पत्ति हुईं, 
आकाश से वायु की, वायु से अग्नि की, 
अग्नि से जल की,जल से पृथ्वी की, 
पृथ्वी से औषधि वनस्पतियों की, 
 औषधि से अन्न की, 
और अन्न से मनुष्य की, 
अतः मानवी सृस्टि का उत्पादक पृथ्वी ही है   
गीतों मे भी लिखा है? 
अदभंति भूतनी पर्जंन्यादन्न सम्भवः

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 15 - राधे-श्याम का कुआँ 'इस कुऐँ में राधेश्याम कहना होता है। राधेश्याम कहो।' मेरे साथी ने मुझे प्रेरित करते हुए स्वयं कुएं में मुँह झुकाकर बड़ी लम्बी ध्वनि से कहा 'रा-धे-श्या-म।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
15 - राधे-श्याम का कुआँ

'इस कुऐँ में राधेश्याम कहना होता है। राधेश्याम कहो।'

मेरे साथी ने मुझे प्रेरित करते हुए स्वयं कुएं में मुँह झुकाकर बड़ी लम्बी ध्वनि से कहा 'रा-धे-श्या-म।'
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