Nojoto: Largest Storytelling Platform

2122 2122 2122 काँटे ही काँटे बिछे है

2122    2122    2122
काँटे  ही  काँटे   बिछे  है  हर  डगर में
ज़िन्दगी  की  जंग  जारी  है  सफर में

पा  लेते  हम भी  यहाँ पर मंजिले सब
रह  गयी  शायद  कमी  मेरी  कसर में

वक़्त  ने  हमको  सिखा दी  ये गुलामी
बादशाही  थी  कभी  अपनी  शहर  में

जोर -ऐ - ज़ुल्मो सितम के चर्चे है अब
खुशियाँ  ही  खुशियाँ थी  तब नगर में

कर दफ़न  सब  आरजुएं  दिल में मेरे
है  खता   मेरी   अगर   तेरी  नज़र  में

गीत बजने  लगते  है  आँगन में अपने
चलते हो जब फाँस के छल्ला कमर में
         ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
8/1/2017

©laxman dawani
  #hangout #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge

#hangout Love Life #romance Poetry #gazal #experience #poem #Poet Knowledge #Motivational

99 Views