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White 2122 2122 2122 वो फरेबो को सजा कर

White 2122    2122    2122
वो  फरेबो  को  सजा कर  ही  मिली थी
ज़िन्दगी   मेरी  वहीँ  पर  बस  थमी  थी

शासवत  है  आज  भी  वो  मेरे  दिल में
इश्क  की   मेरे   इबादत  की  जमी  थी

छाले  दिल  पे  इस  लिये आते  नज़र है
आरजू   दिल  की  यहीं  मेरी  जली  थी

मिलसका नाआज तकजिसका हमें हल
वो   मेंरी   और   उसकी   आशिकी  थी

वो अगर कर  दे  दुआ  मिल जाये ख़ुशी
सोच  सजदे   में  नज़र   मेरी  झुकी  थी

देख लिया है  हर किसी को आजमाकर
इस जहाँ  में  बस वही  सबसे  भली थी

वक़्त - ऐ - रुखसत  पे रो पाये नहीं हम
आँख   के   आँसू   छुपाना   बेबसी  थी
          ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
4/4/2017

©laxman dawani
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