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White 2122 2122 212 महफ़िलो को फिर सजाने

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महफ़िलो  को  फिर  सजाने  आ गये
प्यार   की   दौलत   लुटाने   आ  गये

वो  हटा  कर  रुख  से  पर्दा अपने यूँ
जाम   नज़रो   से   पिलाने   आ  गये

जो  किये  थे  वादे  उल्फत  में  कभी
आज  महफ़िल  में  निभाने  आ  गये

बन  गयी  थी   जो  तमाशा  ज़िन्दगी
रंग    वो    उसमे   सजाने   आ   गये

क्या हँसी इत्तफाक था उस ख्वाब का
जब  गले   हम को   लगाने  आ  गये

ले   रही   अंगड़ाई   दिल   में  आरजू
धड़कने   दिल   की  बढ़ाने  आ  गये
       ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
3/3/2017

©laxman dawani
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