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2122 1212 22/112 दर्द की कोई क्या दवा देग

2122   1212   22/112
दर्द  की  कोई  क्या  दवा  देगा
जो  देगा  जख्म इक नया देगा

हो  गया  बे  नकाब  तो क्या है
इक नया चहरा फिर लगा देगा

ये    तो    दस्तूर    ज़माने   का
बे  गुनाहों   को  ही  सजा  देगा

बन  के  बैठा  रकीब  का साथी
बे  वफा   वो   हमें   बता   देगा

अब छुपा के खताएँ   वो अपनी 
सब   सजाएँ   मुझे   सुना  देगा

जौर जालिम चलाके वो अपना
अपने कदमो में  वो  झुका देगा

आरजू  दिल  में  जो  जगी है ये
सब्र  कर  तुझको भी खुदा देगा
      ( लक्ष्मण दावानी )
21/11/2016

©laxman dawani
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