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Unsplash 2122 1212 22 रस्मे उल्फत तो कुछ निभाओ

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रस्मे उल्फत तो कुछ निभाओ तुम
अपने  आगोश   में  सुलाओ  तुम

प्यास  बुझती  नहीं  मेरे  दिल की
अपने नज़रो से अब पिलाओ तुम

ठहरे  है  जो   लबो  पे  अफसाने
उनको अपनी जुबाँ पे लाओ  तुम

रातें    तन्हाई    में    गुजरती   है
इन्हें  आकर  रंगी   बनाओ   तुम

कब तलक तरसूँ तुझको पाने को
आके  हम को  गले  लगाओ तुम

राज   जितने   छुपाये   है  तुमने
आके  हमको  यहाँ  बताओ तुम

नजरे नज़रो से ना  मिलाओ तुम
अब  न  मेरे  करीब  आओ  तुम
      ( लक्ष्मण दावानी )
26/11/2016

©laxman dawani
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