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2122 1212 22 ये गज़ल किसने गुनगुनाई है दर्द

2122   1212   22
ये  गज़ल  किसने  गुनगुनाई है
दर्द - ऐ - दिल  ने  दी  दुहाई है

जब चला तीर उनके नज़रो का
चोट  सीधे  ज़िगर  पे  आई  है

इश्क  तो  जुर्म  है  यहाँ  करना
फलसफा  इश्क  का  जुदाई है

दिल लगा के देखा है हमने भी
ज़िन्दगी  मौत  बन  के  छाई है

रातें  कटती  है  जाग  कर मेरी
इश्क   में   नींदे   भी  गवांई  है

मयकदा बन गया ठिकाना अब
ज़ख्मे  दिल  की  वही दवाई है
     ( लक्ष्मण दावानी )
17/11/2016

©laxman dawani
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