उसकी आँखों में ख़ुद को हम खोजते रहे,
तस्वीर ली थी उसने, बस आँखों में सजाना याद नहीं।
हृदय की स्पंदन में हम उसको सुनते रहे,
’चाहता तो बेहिसाब है, बस इज़हार नहीं,कोई बात नहीं।
यादों की गठरी को ख़ुद में भींच के सोता है,
अंदर ही अंदर वो रोता है, बाहर कहीं कोई बरसात नहीं। #alone#शायरी#नज़्म#nojotonazm#अबोध_मन#अबोध_poetry#बिछड़ते_अपने