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122 122 122 122 कहा किसने मेरी तु रान

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कहा  किसने  मेरी  तु  रानी  नहीं है
मगर   ज़िन्दगी   में  रवानी  नहीं  है

बहुत   है   यूँ   तो  चाहने  वाले  मेरे
मगर   तेरे   जैसी   दिवानी  नहीं  है

छुपा क्यों रहे हो हिजाबो में खुद को
यहाँ   पर  बड़ा  कोई  ज्ञानी  नहीं है

करूँ शिक्वे किससे फ़ना होने का में
यहाँ  कौन है  जो कि  फ़ानी  नहीं है

कभी  कम  न होंगे  दिलो के दरद ये
मेरे   दर्द  का   कोई   सानी  नहीं  है

सितमगर  सितम ही  करेगा दिलो पे
ये  बातें  किसी  को  बतानी   नहीं है

जताया  बहुत मैंने दिल को मगर वो
कभी  बातें  उसने  ये  मानी  नहीं  है

मिलेंगे   केवल   दर्द   ही  दर्द इसमें
हकीकत  किसी  ने  ये जानी नहीं है
        ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
11/1/2017

©laxman dawani
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