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White 1212 1122 1212 112/22 जिसे चाहा था

White 1212    1122    1212    112/22
जिसे चाहा था हमने उसे तो हम पा न सके
तमाम  उम्र पता  जिनका हम  लगा न सके

छुपी रही  सदा चाहत दिलो की दिल में मेरे
करीब  हो कर  मुहब्बत  उसे  दिखा न सके

सदा  तरसते रहे  ज़िन्दगी  बनाने को जिसे
उसे चाह कर भी  अपना कभी बना न सके

मेरी  तन्हाई  मुझे  पागल  बना रही है यहाँ
फिसल गया  रेत जैसे हाथो में समा न सके

कियेथे वादे मुहब्बत के उसने भी हमने भी
जहाँ के जुल्मो से दोनों ही वो निभा न सके

कदम कदम पे  मिली  ठोकरे जहाँ की हमें
फिर भी अश्क  आँखों से  हम बहा न सके
        ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
26/2/2017

©laxman dawani
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