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1222 1222 1222 वफाओं पर तेरी हम जां लुटा देते

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वफाओं पर तेरी हम जां लुटा देते
वही हम थे जो रोतों को हँसा देते

लगे है  जख्म  सीने  पर बहुत मेरे
कभी आकर हमें मरहम लगा देते

चुरा ली  नींदे आँखों से मेरी तुमने
लगा कर सीने से हमको सुला देते

लबो  पर  गीत  तेरे  ही  सजाये है
छु  कर इन्हें कभी तो गुनगुना देते

रकीबो  को सदा अपना बताते हो
हमें भी तो  कभी अपना बता देते

झुका लेते है नजरे शर्म से अपनी 
कभी तो प्यास  मेरी भी बुझा देते
      ( लक्ष्मण दावानी )
27/11/2016

©laxman dawani
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