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green-leaves 212 212 212 सजदे में हूँ उठ

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सजदे   में   हूँ   उठाना   नहीं
छोड़   के   मुझे   जाना  नहीं

सिर्फ   यादे   तेरी    है    मेरी
पास    कोई    खजाना   नहीं

साथ   ना।  दो  भले  तुम मेरा
संग    दुश्मन    बिठाना   नहीं

नाज      सारे      उठाये    तेरे
अब   हमें   तुम   रुलाना  नहीं

दिल  में  कितनी मुहब्बत है ये
बात    सबको    बताना   नहीं

सो   रहे    दर्द   दिल   में   मेरे
उन्हें   अब  तुम   जगाना  नहीं

यूँ   लबो   पर  जगी  प्यास  ये
लब   मिला  कर  बढ़ाना  नहीं

बसते हो जिनके ख्वाबो में तुम
ख्वाब    उनके   मिटाना   नहीं
      ( लक्ष्मण दावानी )
11/12/2016

©laxman dawani
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