Nojoto: Largest Storytelling Platform

212 212 212 212 लोग आते रहे , लोग जाते

212  212  212  212
लोग   आते   रहे , लोग   जाते   रहे
जख्म खा कर भी  हम मुस्कराते रहे

दो  घड़ी  साथ  तो  कोई  बैठा नहीं
बस  सलीके  हमें  सब  सिखाते रहे

रह  गई  बोझ बन कर  मेरी  ज़िंदगी
दर्द  अपना   जिगर  में   छुपाते  रहे

देख  पाये न वो  जख्म  दिल के मेरे
चोट  पर  चोट  दिल  पे  लगाते  रहे

ढाल कर  दर्द गीतों  में  उनके लिए
गैर   की   बज्म  में   गुन गुनाते  रहे

दर्द दिल का मेरे पढ़ सके न जो वो
लेख किस्मत का हम को पढ़ाते रहे
        ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
14/11/2017

©laxman dawani
  #lakeview #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
laxmandawani7800

laxman dawani

Bronze Star
New Creator
streak icon68

#lakeview Love Life #romance Poetry #gazal #experience #poem #Poet Knowledge #Motivational

108 Views