White 2122 1122 1122 22 नज़रे झुका कर उन्ह

White 2122    1122    1122    22
नज़रे झुका कर उन्हें हमने लजाते देखा
राज की  बात उन्हें  दिल में दबाते देखा

बैठे थे दिल में छुपाये  कई अरमां अपने
आज जुबाँ  से उन्हें  अपने  सुनाते देखा

बुझ चुके  थे जो चिरागे वफ़ा उल्फत के
आज उनको  फिर से  मैंने जलाते देखा

इतनेआतुर थे वो पहलू में बिठाने अपने
लाज ओ शर्म के  सब परदे गिराते देखा

जल रही थी यूँ  निगाहों में चिरागे शम्मा
अपने  हाथों से  शमा  उन्हें बुझाते देखा

यूँ  सकुचाये  वो आके मेरे  बाहों में अब
शर्म से  नजरें उन्हें  फिर से  चुराते देखा
         ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
2/1/2017

©laxman dawani
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