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LOL
बड़े शहरों की आबो-हवा से ज़िन्दगी जब मूर्छित होने लगे तब ख़्याल रखना.. पहाड़ों में संजीवनी आज भी है! ©KaushalAlmora SOD : हुस्न पहाड़ों का ( लता मंगेशकर & सुरेश वाडकर) #संजीवनी #मूर्छित #रोजकाडोजwithkaushalalmora #kaushalalmora #आबोहवा #yqdidi #life
Gulshan Ki khushi
लक्ष्मण सा मूर्छित पड़ा, देखो यह संसार। ले आओ संजीवनी प्रभु , अब कर दो उद्दार । 🙏जय श्री राम 🙏 ###Gulshan... ©Gulshan Ki khushi लक्ष्मण सा मूर्छित पड़ा, देखो यह संसार ले आओ संजीवनी प्रभु , अब कर दो उद्दार । 🙏जय श्री राम 🙏
Nitesh Pichhode Mangal
मेरी दुआ लक्ष्मण सा मूर्छित पड़ा है देखो ये संसार, ले आओ संजीवनी प्रभु अब कर दो उद्धार !! ❤💙💜 ©Nitesh Pichhode Mangal लक्ष्मण सा मूर्छित पड़ा है देखो ये संसार, ले आओ संजीवनी प्रभु अब कर दो उद्धार !! ❤💙💜 #PoetInYou
नितिन कुमार 'हरित'
हैरान हूँ, जब हृदय ही ले गए तुम, पुष्प फिर कैसे खिला ? देह मूर्छित हो रही पर, ये नीड़ फिर कैसे मिला ?? क्या कहूं? क्या है संग में, क्या विलग है, सच! इस प्रेम की क्रीड़ा अलग है ।। - Nitin Kr Harit हैरान हूँ, जब हृदय ही ले गए तुम, पुष्प फिर कैसे खिला ? देह मूर्छित हो रही पर, ये नीड़ फिर कैसे मिला ?? क्या कहूं? क्या है संग में, क्या
Pradeep Sharma
पलक झपकते हुई आंख बंद मेरी मस्तिष्क ने सोचा नाम तुम्हारा 💖 आंखों ने लिख दी एक दास्तान उसमे दिख रहा चेहरा तुम्हारा 💖 ह्रदय मूर्छित हो गया जैसे ही इस आंख ओर मस्तिष्क ने खत जो भेझा तुम्हारा💖 आंखों को जैसे ही हुआ दीदार तुम्हारा ह्रदय को महसूस हुआ प्रेम तुम्हारा 💖 डर लगता हैं मूर्छित न हो जाये ह्रदय हमारा फिर भी में सोचु नाम तुम्हारा 💖 कहते हैं क्यो सोच रहा में नाम तुम्हारा क्योंकि इसमें होगा एक दिन नाम हमारा 💖 प्रदीप सारस्वत सुजानगढ़ राजस्थान सदा तुम्हारा ©Pradeep Sharma sada tumhara always yours पलक झपकते हुई आंख बंद मेरी मस्तिष्क ने सोचा नाम तुम्हारा 💖 आंखों ने लिख दी एक दास्तान उसमे दिख रहा चेहरा तुम्
Satish Chandra
अपने इन भीने गेसुओं को संवार लो जरा हर एक बूँद नीर की, लगती है ओस की तरह, तृष्णा सा महसूस कर मूर्छित हो जाता हूँ ऐसे बरस उठा हूँ बारिश में जैसे मेघा की तरह। #FreakySatty #SattyShaayri #YQdidi #भीने #केस #मूर्छित #संवारना #बादल #मेघा #ओस #नीर
Shree
भोले बन बोले नही, रखें छुपा मन की भाल, सिर पैर रख भागे, कोई पहचान जाये ताल। सत्य निरर्थक घूटे, झूठ आरोपित नित नए। पल्लवित कुसुम कहे, सुवासित हृदय हर्षित रहे। सर्वगुणसंपन्न परमेश्वर मूरत बन पूजित होए रहे। रक्त जलधारा सी बहे, मानव मंडल मूर्छित गिर रहे। दो मुख ......... भोले बन बोले नही, रखें छुपा मन की भाल, सिर पैर रख भागे, कोई पहचान जाये ताल। सत्य निरर्थक घूटे,
Bhupendra Rawat
नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है ज़िन्दगी का बोझ तले मजदूर शहर छोड़ चले है जारी इस शतरंज के खेल में मजदूर एक बार फिर से छले है भागीदारी निभाने वाले स्तंम्भ टूट कर बिखरे हुए मूर्छित मिले है भूपेंद्र रावत 20।05।2020 नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है ज़िन्दगी का बोझ तले मजदूर शहर छोड़ चले है जारी इस शतरंज के खेल में मजदूर एक बार फिर से छले है भागीदा
Nitin Kr Harit
हैरान हूँ, जब हृदय ही ले गए तुम, पुष्प फिर कैसे खिला ? देह मूर्छित हो रही पर, नीड़ फिर कैसे मिला ?? क्या कहूं? क्या है संग में, क्या विलग है, सच! इस प्रेम की क्रीड़ा अलग है ।। हैरान हूँ, जब हृदय ही ले गए तुम, पुष्प फिर कैसे खिला ? देह मूर्छित हो रही पर, नीड़ फिर कैसे मिला ?? क्या कहूं? क्या है संग में, क्या विलग