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Swati kashyap
🌿जो बैठे थे करीब ही...कब दूर हो गए मानो समंदर की लहरों संग गुम हो गए लहरे लौट के आती जाती रही साहिलों पर मगर वो ना लौटे वक्त के बहाव में बह गए माना हम भी बह जायेंगे एक दिन डूब जायेंगे गहराइयों में कहीं मगर उन हाथों का क्या? जिनका साथ गहराइयों में भी मिलेगा कभी नहीं सब कहां गुम हो जाते हैं? पता ही नहीं क्या... उनकी भी कोई बस्ती होगी कहीं? क्या कोई हमारे आने के इंतजार में बैठा होगा वहीं कहीं...???🍁 ©Swati kashyap #क्या?एक प्रश्न...
Ek villain
सुख क्या है मन इस प्रश्न का उत्तर ढूंढता रहता है बाल अवस्था में मोर पंख इकट्ठा करने मिट्टी के घर बनाने आदि में जो आनंद आता था उनसे बाल अवस्था के पश्चात सुख क्यों नहीं मिलता कारण है मन का परिपक्व हो जाना सत्य का ज्ञान हो जाना कि ऐसी वस्तुओं का वास्तव में कोई मूल्य नहीं इसी प्रकार युवा अवस्था में नौकरी धन संचय आदि के पीछे भागते मन जब तक कर निरूल हो जाता है तब स्वयं को टटोल ता है सुख कहां है सुख मन की एक अवस्था है सुख किसी वह आर्य आरोपण से उत्पन्न नहीं होता यदि सुख वाह रे जगत की किसी वस्तु से उत्पन्न होता तो प्रत्येक व्यक्ति को एक जैसा अनुभव होना चाहिए ©Ek villain #ravishkumar सुख क्या है मन इस प्रश्न का उत्तर ढूंढता रहता है
#ravishkumar सुख क्या है मन इस प्रश्न का उत्तर ढूंढता रहता है #Society
read moreShashi Bhushan Mishra
प्रश्न सभी बेमानी है, जब नफ़रत फैलानी है, स्वार्थ सिद्ध करते सारे, बाकी कथा कहानी है, रूप से है बाज़ार सजा, जबकी दुनिया फानी है, खाली हाथ ही जाएगा, क्यों करता नादानी है, गया अकेला ही जग से, क्या राजा क्या रानी है, ख़ुशी तुम्हारे ही भीतर, इतनी बात बतानी है, लिखा है सारे ग्रंथों में, 'गुंजन' कथा पुरानी है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #प्रश्न सभी बेमानी है#
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
कहानी में जो प्रश्न है उसका जवाब क्या थाstoryJanuaryCreator #WritersMotive #प्रेरक
read moremautila registan(Naveen Pandey)
किस राह पर जाऊं, प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं? मन की राह पर चल नही सकता उसमे भय है, दोष है कायरता साहस है कोसों दूर कैसे पास बुलाऊं प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं....। हर्ष की आकांक्षा तक सो गई है साहस और प्रेम से विरक्त सा हूं जिजीविषा की एका एक मृत्यू हो गई है इस एकाकी, अनंत अंधकार से कैसे बाहर आऊं प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं...। जहा तक देखता हूं बस तमस दिखता है मेरे अक्षम प्रणों का शव दिखता है आलस्य, असत्य और शोक दिखता है स्वयं से बढ़ता हुआ क्षोभ दिखता है इस कुंठा की अग्नि से कैसे बाहर आऊं प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं....। ©mautila registan #जीवन #प्रश्न #nojohindi #selfhate प्रश्न
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read moreManmohan Dheer
प्रश्न हो तुम दग्ध हॄदय लगते हो प्रेम वेदना में मुग्ध हॄदय लगते हो शीत कणों के आवरण में किन्तु अनुरक्त तप्त हॄदय लगते हो लौटो कि परिणाम प्रेम मात्र है व्यर्थ ही विरक्त हॄदय लगते हो . प्रश्न लगते हो . धीर प्रश्न
प्रश्न
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