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दीपा साहू "प्रकृति"
उम्र की सीमा में, प्रेम कहाँ बंधा है। और उसकी आहतता, उम्र के आख़िर पड़ाव तक, साथ निभाती है। पहली और आखिरी, प्रेम यहीं रुक जाता है, इसी बीच में, जिसमें किसी और का, आ पाना असंभव होता है। उस अंतहीन पीड़ा में, सिर्फ आहत हुआ जा सकता। हृदय का हजारों टुकड़ों मे बट जाना, सुनाई नहीं देता। इसे दिखाना असंभव। ©दीपा साहू "प्रकृति" #longdrive #Prakriti_ #deepliner उम्र की सीमा में, प्रेम कहाँ बंधा है। और उसकी आहतता, उम्र के आख़िर पड़ाव तक, साथ निभाती है। पहली और आखिरी, प
Jagdish Pant
Poet Kuldeep Singh Ruhela
जब तक इंसान जिंदा होता है आजाद नही होता है बंधा होता है हर रिश्ते नाते में जब वो परिवार के करीब होता है रह जाते है सभी साथ वाले यही इस मोह माया के बंधन से मुक्त होकर उसको बड़ा ही दुख होता है ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #कविता #शायरी #गजल जब तक इंसान जिंदा होता है आजाद नही होता है बंधा होता है हर रिश्ते नाते में जब वो परिवार के करीब होता है रह जाते है सभी
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Anjali Singhal
Devesh Dixit
कुत्तों का शौचालय एक बार कुत्तों ने अपनी सभा बुलाई, हर कुत्ते ने अपनी उसमें अर्जी लगाई। कहने में संकोच हो रहा है, पर कहना तो पड़ रहा है। काश हम कुत्तों का शौचालय भी होता, सरकार का ध्यान हमारी ओर भी होता। शौचालय में हम भी जाते, इधर उधर न धक्के खाते। इंसानों ने तो बनवा लिए शौचालय, हम सब के लिए केवल औषधालय। वो भी केवल उन पालतू के लिए, हम सब तो फालतू हैं उनके लिए। बीमारी दुखारी जो कुछ भी है, वो सब उन पालतू के लिए है। कुछ भी तकलीफ हो अगर उन्हें, तुरंत औषधालय ले जाते उन्हें। हम कुत्ते सड़क पर रहने वाले, हमारे लिए तो सब जगह ताले। हमारी कौन खबर रखने वाला, यहां हर कोई हमें धमकाने वाला। जख्मी हो जाएं कभी अगर हम तो, कौन ले जाए औषधालय हम को। तड़प - तड़प कर रह जाते हैं, क्या करें हम सब सह जाते हैं। कुछ तो ख्याल हमारा रखा होता, शौचालय ही बनवा दिया होता। तो गंदगी न होती चारों तरफ, सफाई ही होती तब हर तरफ। बाद में एक कुत्ता बोला, उसने अपना मुंह खोला। अरे हमारी तो छोड़ो, अब उधर को देखो। वो पालतू भी यहीं को चला आ रहा है, हमारी तरह सड़क को गंदा कर रहा है। क्या इनके लिए भी नहीं है शौचालय, तो क्या ही बनेगा हमारे लिए शौचालय। चलो इससे हम सब पूछते हैं, इसकी समस्या को हम बूझते हैं। क्यों आया यह यहां हमारे बीच, पर मालिक रहा है उसको खींच। उसकी समस्या को देख चौंकने लगे, जानने के लिए उस पर भौंकने लगे। पालतू कुत्ता उन पर गुर्राने लगा, उन सबको अब धमकाने लगा। मुझे नहीं कोई भी कमी यहां, मालिक ऐसा मिलेगा कहां। बहुत खुश हूं मैं वहां पर, मेरा मालिक है जहां पर। फिर एक कुत्ता बोला उनमें से, कमी नहीं तो क्यों बंधा पट्टे से। हमारे इलाके में भटक रहा है, मार्ग को भी गंदा कर रहा है। क्या शौचालय नहीं तुम्हारा भी, जैसे नहीं बना कभी हमारा भी। तब वह कुछ कह नहीं पाया, उनका ही समर्थन वह कर पाया। कुत्तों को समझ में आ चुका था, व्यथा को सबकी जान चुका था। जो नहीं बनने वाला उनकी खातिर, फिर बुद्धि क्यों लगाएं अपनी शातिर। यूं हीं मार्ग को गंदा करते रहते हैं, ढूंढ कर खाना खाते हैं फिर सो जाते हैं। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कुत्तों_का_शौचालय कुत्तों का शौचालय एक बार कुत्तों ने अपनी सभा बुलाई, हर कुत्ते ने अपनी उसमें अर्जी लगाई। कहने में संकोच हो रहा है, पर कह
Ravendra
ashish gupta
रक्षाबंधन के धागे में छुपा है भाई बहन का प्यार भाई बहन की हर खुशियों का कच्चे धागे और अटूट बंधन का प्यार सावन मास पूर्णिमा में आई खुशियों की बहार कुमकुम हल्दी दीप चंदन प्यार से बंधा अ टूट बंधन रक्षाबंधन के धागे में छिपा है भाई बहन का प्यार आओ मनाए राखी का त्यौहार ©ashish gupta #rakshabandhan रक्षाबंधन के धागे में छुपा है भाई बहन का प्यार भाई बहन की हर खुशियों का कच्चे धागे और अटूट बंधन का प्यार सावन मास पूर्णिम