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Rinkoo Singh
#RIPPriyankaReddy शैतान भी देखेंगे, हैवानों को भी देखेंगे।सात नस्ल फना कर देंगे, ऐसी गुस्ताखी फिर कभी नहीं करेंगे। #काट दो फांसी की सजा दो
फांसी की सजा दो #काट #RIPPriyankaReddy
read moreSuresh Kumar Suresh Kumar
पहले हमारे दोस्तों की टोली एक साथ एक गाँव के थे फिर एक दिन आया ऐसा आया सभी अलग अलग हो गया फिर गाँव दोस्त कभी मील नहीं दोस्तों वक़्त मीले तो कोल करना धन्यवाद🙏💕🙏💕 ©Suresh Kumar Suresh Kumar दोस्तों की प्रक्रिया #Rose
Baisa_Raj_Neha_Pandya
एक बेहद कठोर कानून लागू हो ,ना कोई दलील,ना कोई तारीख हों,अब सीधे रोड़ पर फांसी हों। Neha_Pandya #फांसी
KK. Ajay
#RIPPriyankaReddy इस देश का दुर्भाग्य है जहाँ स्त्री को माता देवी औऱ कन्या समझ कर पूजा जाता है। उसी देश के आये दिन बलात्कार की खबरे भी आती रहती है। कुछ मामलों में तो बलात्कारी इतनी हैवानियत करते है कि लड़की को जिंदा जलाने से भी नही डरते। ये लोग इतनी दरिंदगी शायद इस लिये कर पाते है क्योंकि इनके अंदर कानून का सरकारों का पुलिस का ख़ौफ़ नही हैं। दिल्ली में जब निर्भया के साथ बलात्कार हुआ था तब पूरा देश सड़को पर आ गया था। उसके बाद कुछ कानून में बदलाव किए गये। लेकिन इन बदलाब से भी कानून का ख़ौफ़ इन दरिंदो के दिलो में नही हुआ। अब समय आ गया है जब सरकार को ऐसा कानून बनाना पड़ेगा और अदालतों को मजबूर किया जाए कि वो 30 दिन में पूरी कार्यवाही कर के अदालतों को फाँसी की सजा सुना देनी चाहिये। साथ ही अगले 30 दिन में फांसी की सजा पूरी करके दरिंदे को फांसी पर लटका देना चाहिये। जिन मामलों में हत्या या हत्या का प्रयास क्या गया हो उस मामले का निपटारा 15 दिन में सजा और अगले 15 दिन में फांसी पर लटका देना चाहिये । साथ ही कर बलात्कारी को एक जैसी सजा दी जानी चाहिये चाहे उस की उम्र कुछ भी रही हो। KK.Ajay #RPIpriyankareddey बलात्कार की सजा सिर्फ फांसी KK.Ajay
#RPIpriyankareddey बलात्कार की सजा सिर्फ फांसी KK.Ajay #विचार #RIPPriyankaReddy
read moreRaj Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra)
Logic Kaha Hai कि मैंने भी छोड़ दिया अब उन लोगों को परेशान करना जो मेरे दिल पे बहुत पहले से कब्जा जमाए बैठे थे (लेखक) ©Raj Purohit ji Bah बेवफा की दोस्ती फांसी का फंदा #LogicHai
बेवफा की दोस्ती फांसी का फंदा #LogicHai
read moreEk villain
उड़ीसा में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहे हैं इस क्रम में यहां के सुंदरगढ़ जिले के मालपुरा गांव में ग्रामीणों ने पंचायत चुनाव प्रतिनिधियों से मौखिक और लिखित परीक्षा लेकर उसमें उत्तीर्ण हुए उम्मीदवारों को ही पंचायत चुनाव में दावेदारी प्रस्तुत करने का अभिनव प्रयोग किया है इससे लोकतंत्र का नया चेहरा देखने को मिला है कानून और सार्वजनिक प्रधानों में इधर इस कदम को ग्रामीण अपने विकास के प्रति जागरूकता और और अपने वोट की अहमियत और उम्मीदवारों का राजनीतिक दायित्व सुनिश्चित करने के क्रम में महत्वपूर्ण मानते हैं उनके द्वारा उम्मीदवारों से पूछे गए सवाल वर्तमान दौर की राजनीति चलन अपेक्षा की व्यवस्था से उपजी व्यवहारिक समस्याओं पर निर्धारित है ऐसे में एक सवाल उठता है कि क्या यह वर्तमान राजनीति भागीदारी व्यवस्था और दायित्वों के प्रति असंतोष और प्रतिनिधि चुनाव वादों के प्रति अविश्वास का परिणाम है यह मतदाताओं की जागरूकता वोट का महत्व राजनीति समझ और विकास के प्रति सकारात्मक सोच का आसार है या फिर उम्मीदवारों की सभी माताओं को भापकर उत्तीर्ण उम्मीदवारों को ही चुनाव में उम्मीदवारी पेश करने की सावधानी और कानून दायरों से इतर रास्ता अपनाया है दरअसल पंचायतों की राजनीति और उनके चुनाव के मतदाता व्यवहार की प्रकृति का अलग किस्म की होती है जहां प्रत्येक व्यक्ति की सहायता गीता दलीय राजनीति से इतर व्यक्तियों गधे तौर पर उम्मीदवारी जिम्मेदारी और विकास कार्य में भागीदारी रही है ©Ek villain #प्रत्याशी चयन की पारदर्शी प्रक्रिया #Rose
#प्रत्याशी चयन की पारदर्शी प्रक्रिया #Rose #Society
read morereshma kaur
चलो आज अख़बार उठा कर मन में अफसोस तो नहीं हुआ....... क्योंकि हम जानते है कि कुछ नहीं होगा इन बलात्कारियों का!!!! हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने इनके गुनाहों को कम साबित करने के लिए कोई ना कोई चमकार होगा, ऐसा चमत्कार जो सिर्फ निर्दोष साबित करेगा इनको और निर्भया को दोषी। सवाल यही है अब? क्यों चारो पर इतने सालो से दया करी जा रही है? आखिर क्यों दया की बरखा इन पर हो रही है? जो ये लोग हाथ जोड़ रहे है,ठीक वैसे ही हाथ कभी निर्भया ने इन के सामने जोड़े थे.... तब इन लोगो ने कोई दया निर्भया साथ नहीं, अपितु अपनी हैवानियत को दिखया!!!! अब कोई कैसे भूल गया ये चारो कौन है? वो इंसाफ़ की गुहार कहा गई,जो कभी निर्भया की ताक़त बन ऐसी घनोनी सोच रखने वालो के लिए किसी अंत से कम नहीं थी!!!! क्यों? क्या सिर्फ निर्भया के लिए क्यों ही बोलना काफ़ी है? या क्यों इन चारो को फासी दी ये मिसाल कायम करना जरूरी है!!! ##फांसी दो
##फांसी दो
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