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Priyanka Bhagat
मेरे शौक तो दुनिया बनानेवाला खुदा भी मिटा ना सका तो उस नाचीज की क्या औकात © प्रियांका भगत #NojotoQuote मेरे शौक तो दुनिया बनानेवाला खुदा भी मिटा नही सका तो उस नाचीज की क्या औकात © प्रियांका भगत #शौक#जूनून#जिद्द#प्यार#शायरी #औकात
Ashish Kanchan
कुछ तू बदल, कुछ मुक़द्दर कुछ तू बदल ज़रा कुछ असर हमपे इस वक़्त का यूँ सादिक़ जाता, काश इश्क़ मुक़म्मल होके ही तेरी गली से ये आशिक़ जाता। न थी मोहब्बत फिर भी बेवजह मुस्कुराके मिलता यहाँ, जाने दिल को बेड़ियों में डाल कहाँ अब वो मेरा मालिक जाता। खुली आँखों से तू ना देख सका मोहब्ब्त जानेजहाँ, गर तू इन्हें मूँद लेता शायद फिर तुझे कुछ बेहतर दिख जाता। क्यूँ ख़ाक लगाता फिरता तू इस दिल को पाने बोलियाँ, हँसके बस इक नज़र भर लेता देख ये ख़ुद-बा-ख़ुद बिक जाता। इल्म होता मेरी हालत देख उठेंगी तुझपे उंगलियाँ, हर ज़ख्म छुपाकर मिटा लेता और शक़्ल पर लगा कालिख़ जाता। ख़ुदा ने ना जाने तुम्हे पाने का मुक़द्दर छुपाया कहाँ, दुनिया कहती टूटकर चाहो हर नाम है ज़िंदगी में लिख जाता। भले होती ये उम्र कम या अधूरी रह जाती ये कहानियाँ, भर देता तुझको लकीरों में फिर रूठ चाहे वो ख़ालिक़ जाता। - आशीष कंचन कुछ तू बदल, कुछ मुक़द्दर सादिक़ = ठीक ख़ालिक़ = बनानेवाला 122 / 222 / 2222 / 2222 / 212 2222 / 2122 / 2221 / 2222 / 222
SHAILESH RANA
राणा ये कैसी दुविधा आन पड़ी, जो तेरा मन है डोल रहा। तुझे अंदर ही अंदर ये बोल रहा।। राणा अगर तुम सज्ज नहीं, अपने कर्तव्य का निर्वाह करने को। तो मैं विवश हूं तुम्हारा वध करने को।। खुद में तुझे वो टटोल रहा, और मन ही मन ये बोल रहा। कर्म ही कर्तव्य है तेरा जो तुझे निभान है।। तू फल कि चिंता क्यों करता है, जब वो विधाता के हाथों ही आना है। राणा लिखना है तुझे और लिखते ही जाना है।। धर्म के मार्ग पर चल कर तुझे कर्मयोगी हो जाना है। पथभ्रष्ट समाज को धर्म से अवगत कराना है।। लिखते रहो राणा लिखते रहो। अपनी अंतिम सांस तक तुम्हें लिखते ही जाना है....):- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: त
शैलेश राणा
राणा ये कैसी दुविधा आन पड़ी, जो तेरा मन है डोल रहा। तुझे अंदर ही अंदर ये बोल रहा।। राणा अगर तुम सज्ज नहीं, अपने कर्तव्य का निर्वाह करने को। तो मैं विवश हूं तुम्हारा वध करने को।। खुद में तुझे वो टटोल रहा, और मन ही मन ये बोल रहा। कर्म ही कर्तव्य है तेरा जो तुझे निभान है।। तू फल कि चिंता क्यों करता है, जब वो विधाता के हाथों ही आना है। राणा लिखना है तुझे और लिखते ही जाना है।। धर्म के मार्ग पर चल कर तुझे कर्मयोगी हो जाना है। पथभ्रष्ट समाज को धर्म से अवगत कराना है।। लिखते रहो राणा लिखते रहो। अपनी अंतिम सांस तक तुम्हें लिखते ही जाना है....):- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: त