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INDIA CORE NEWS
Ghumnam Gautam
बड़ी उम्मीद से हम देखते हैं हादसे की राह मगर होता नहीं है हादसा,बस इश्क़ होता है ©Ghumnam Gautam #selflove #हादसा #इश्क़ #ghumnamgautam
Baba Singh
घर से निकलो तो पता जेब में रखकर निकलो, हादसे इंसान की पहचान तक मिटा देते हैं| ©Baba Singh #watchtower हादसा
MohiTRocK F44
मशबरा ये है कि तुम रहना ज़रा से होशियार हादसा ये कल आपके साथ भी हो सकता हैं नॉगो के बीच में फसी है गर्दन मेरी इसमें नगीनों का हाथ भी हो सकता हैं ©MohiTRock F44 मशबरा ये है कि तुम रहना ज़रा से होशियार हादसा ये कल आपके साथ भी हो सकता हैं नॉगो के बीच में फसी है गर्दन मेरी इसमें नगीनों का हाथ भी हो स
Ravendra
Ravendra
NIKHAT (दर्द मेरे अपने है )
सुनो जाना वो तुम्हारी आहाटो का सिलसिला मुसलसल जारी है इस कमरे मे तुम्हारी यादो का सामान बसा है इस घर मे हर दीवार पे तुम्हारी परछाई हर कोने मे तुम्हारी यादें बेचैन कर डाला है मुझे तुम्हारी एहसास ने येह दरो दीवार ये साजो सामान सब बर्बाद है तुम्हारे बिना, कही से सदा नहीं आती है अब तुम्हारी महकती नहीं है अब वो सिगरेट की खुशबू इस कमरे मे बस तुम्हारी यादों का धुआँ है बिखरा इस कमरे मे तुम चले गए हो मुझे छोड़ कर येह यक़ीन कैसे दिलाऊं इस दिल को ©Nikhat (अलफ़ाज़ जो दिल को छू ले ) #हादसा मेरी ज़िन्दगी Aditya kumar prasad Arshad Siddiqui Ayesha Aarya Singh PREET (ᵔᴥᵔ) Neel प्रशांत की डायरी J P Lodhi. Riti sonkar Am
gaTTubaba
गाड़ी को पहियों की हो या जिंदगी की हर ड्राइवर को लगता हैं की वो बहोत अच्छा हैं हादसा होने से पहले.... ©gaTTubaba #Broken गाड़ी को पहियों की हो या जिंदगी की हर ड्राइवर को लगता हैं की वो बहोत अच्छा हैं हादसा होने से पहले....
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- वो अभी तक तो जताता था हमीं से प्यार है । पीठ पर जो आज करता देख मेरे वार है ।।१ आदमी ही आदमी का कर रहा संहार है । प्यार के अब नाम पर फल फूलता व्यापार है ।।२ भूख जब भी जिश्म़ की लगती यहाँ हैवान को । खोजने फिर वह निकल पड़ता अकेली नार है ।।३ कल हुआ जो हादसा था सुन सरे बाज़ार में । चटपटी सी वह खबर आती सुबह अखबार है ।।४ उठ गया अपना भरोसा देखकर इंसान को । लाश को जब इस तरह बेचा गया बाज़ार है ।।५ मीडिया की बात ही पूछो नही अब आप सब । व्यूज मिल जाए अगर तो हद सभी फिर पार है ।।६ राम को भजते हुए ही प्राण ये निकले प्रखर । जब मिलें उसकी शरण तब छोड़ना संसार है ।।७ २३/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- वो अभी तक तो जताता था हमीं से प्यार है । पीठ पर जो आज करता देख मेरे वार है ।।१ आदमी ही आदमी का कर रहा संहार है ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- वो अभी तक तो जताता था हमीं से प्यार है । पीठ पर जो आज करता देख मेरे वार है ।।१ आदमी ही आदमी का कर रहा संहार है । प्यार के अब नाम पर फल फूलता व्यापार है ।।२ भूख जब भी जिश्म़ की लगती यहाँ हैवान को । खोजने फिर वह निकल पड़ता अकेली नार है ।।३ कल हुआ जो हादसा था सुन सरे बाज़ार में । चटपटी सी वह खबर आती सुबह अखबार है ।।४ उठ गया अपना भरोसा देखकर इंसान को । लाश को जब इस तरह बेचा गया बाज़ार है ।।५ मीडिया की बात ही पूछो नही अब आप सब । व्यूज मिल जाए अगर तो हद सभी फिर पार है ।।६ राम को भजते हुए ही प्राण ये निकले प्रखर । जब मिलें उसकी शरण तब छोड़ना संसार है ।।७ २३/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 2122 2122 2122 212 वो अभी तक तो जताता था हमीं से प्यार है । पीठ पर जो आज करता देख मेरे वार है ।।१