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Nikhil Kumar
क्यूं उलझन में रहते हो क्यूं आंख है नम क्यूं हो इतने गम के मारे सब ठीक हो जाएगा मैं हूं ना साथ तुम्हारे जरा देखो आस पास तुम्हारे नदी पेड़ झरने पंछियों की चहचहाहट फूल कलियां और खुसबू खुला आसमान उनमें झिलमिल करते सितारे कुछ कहते हैं हमसे ये खूबसूरत नज़ारे... read in caption ©Nikhil Kumar इन सब में ज़िंदगी के रंग हैं अभी बहुत कुछ सीखना है हमें जिंदगी जीने के सबके अपने अलग ढंग है पतझड़ सावन बसंत बहार मौसम गुजरते हैं पेड़ टूट जा
इन सब में ज़िंदगी के रंग हैं अभी बहुत कुछ सीखना है हमें जिंदगी जीने के सबके अपने अलग ढंग है पतझड़ सावन बसंत बहार मौसम गुजरते हैं पेड़ टूट जा #Poetry
read moreRahul Saraswat
तेरी यादों के सावन में पतझड़ ना आ जाए कहीं बसंत बन तुम आया करो बहार की तरह छा जाया करो #पतझड़#सावन#बसंत#बहार#yqdidi
Ayush kumar gautam
क्या सावन,बसंत और बरखा बहारों की हमने तो तुम्हे बे मौसम ही पुकारा है दरख्त ओ दीवारों पर लिखा नाम सिर्फ तुम्हारा है कहने को तो बहुत आशिक हैं जमाने में तुम्हे तो मोहब्बत के हर पहलू से रुबरू कराने वालो मे नाम सबसे पहले हमारा है आयुष कुमार गौतम क्या सावन,बसंत बरखा बहार की.........
क्या सावन,बसंत बरखा बहार की.........
read moreSunita Sharma
मेरे फ्रेंडस आपके लिए ©Sunita Sharma # वक्त #जेब # सिक्के # पतझड़ # बसंत # सावन # रूहानी प्रेम
# वक्त जेब # सिक्के # पतझड़ # बसंत # सावन # रूहानी प्रेम
read moreMiss Kamlani
पत्तियों से क्या सीखना चैहिए? बस समय के चलते रहो.. चाहे पतझड़ हो या वसंत बहार बस झूमते हस्ते गाते रहो। ©Miss Kamlani #Pattiyan #पतझड़ #सावन #वसंत #बहार #जीवन #लोग #विचार #अनुभव #संवेदना
Pattiyan पतझड़ सावन वसंत बहार जीवन लोग विचार अनुभव संवेदना
read moreNarendra Sonkar
*बसंत के बहार में* हवा चली पत्तियां चलीं पेड़ भी थिरकने लगें प्रकृति मदहोश थी बसंत के बहार में प्यार का प्रथम बार अंकुरण जब हो रहा था कण-कण धड़क रहे थे प्यार के इजहार में हर्ष था उल्लास था प्रेम और विश्वास था धड़कनों में चाह थी प्रस्ताव था व्यवहार में रंग था उमंग था मिजाज बड़ा चंग था दोस्ती की आड़ थी प्यार की दरकार में ईर्ष्या न द्वेष था छल न फरेब था हर प्राणी मस्त था जीत और हार में प्यार का प्रथम बार अंकुरण जब हो रहा था प्रकृति मदहोश थी बसंत के बहार में ©Narendra Sonkar *बसंत के बहार में*
*बसंत के बहार में* #कविता
read moreDiwan G
क्यों आँखिर दुख यहाँ बेशुमार है, जाने क्यों सुख यहाँ लाचार है। क्यों मुश्किलों की इतनी भरमार है, आदमी यहाँ दर्द का शिकार है। कबीरा कहे घबराना मत प्यारे, देख सुख-दुख का ये संसार है। आज थोड़ा दुख यदि तेरे द्वार है, यकीनन कल सुख अपरंपार है। तू बस यूँही अभिनय करता चल, तू एक जीवंत सा कलाकार है। दुनियाँ एक सी रहती नहीं सदा, कभी पतझड़,कभी यहाँ बहार है। ©Diwan G #alone #पतझड़ #बहार #कविता #माहर_हिंदीशायर
RITESH
तू मौसम बंसंत का, मै बे_मौसम बरसात सा। तू बसंत की फूल की कली जैसा, मै पतझड़ में गिरता गुलाब सा। उल्फ़त #जब बसंत भी पतझड़ जैसा हो?
#जब बसंत भी पतझड़ जैसा हो? #Life_experience
read moreMohanbhai आनंद
आईना ए हुश्न, बरकरार हो, पतझड़ नहीं बसंत बहार हो; दिल ए नूर, गजब हो रूहानी, जिंदगी आपकी, बसंत बहार हो; गुल सा हंसी, मुस्कुराते रहेना, होंठों पर आपके,बसंत बहार हो; मिले खुशी का पैगाम ए महोबत, हकीकत होनहार, बसंत बहार हो; मैं मैं डुब जाए, तूही एकतार हो, महेफुस हरपल ,बसंत बहार हो; #shore आईना ए हुश्न, बरकरार हो, पतझड़ नहीं बसंत बहार हो; दिल ए नूर, गजब हो रूहानी, जिंदगी आपकी, बसंत बहार हो; गुल सा हंसी, मुस्कुराते
#shore आईना ए हुश्न, बरकरार हो, पतझड़ नहीं बसंत बहार हो; दिल ए नूर, गजब हो रूहानी, जिंदगी आपकी, बसंत बहार हो; गुल सा हंसी, मुस्कुराते
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