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Arora PR
अतिथि वो है. जो बिना तिथि बताये आपके घर मेआकर खड़ा हो जाता है और अपनी वापसी की तारीख मेज़बान को बताने से कतराता है ©Arora PR अतिथि
डॉ जेपीएस चौहान
साहब ने कहा ' अतिथि विद्वान बोझ के रूप में मुझे पिछली सरकार से मिले थे ' भगवान न करे, सबसे बड़ा बोझ तो होता है 'कमल' के कंधे पर 'नकुल' की लाश विश्वास न हो तो काव्यांश के अतिथि विद्वान पिता राजकुमार से पूछ लो,जिन्हें आपने इतना बड़ा बोझ उठाने पर मजबूर कर दिया 😢कफन जितना छोटा होता है जनाज़ा उतना ही भारी होता है😢 अतिथि विद्वान
Parasram Arora
पूरब मे मृत्यु को न केवल स्वीकार किया जाता है बल्कि उसका स्वागत भी किया जाता है पूरब क़े लिए मृत्यु एक दिव्य अतिथि है ज़ब वह दरवाज़े पर दस्तक देती है तो इसका मतलब होता है ये ब्रह्माण्ड हमारा वापस स्वागत करने क़े लिए तैयार है ©Parasram Arora दिव्य अतिथि
डॉ जेपीएस चौहान
स्वतन्त्रता और गणतंत्र दिवस पर कैदी भी लड्डू पाते हैं, बमुश्किल जो मिलते थे ,इसके, मानदेय कट जाते हैं। भूखे पेट जो गाता है मेरा भारत देश महान, पूछो कौन है वो इंसान?महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान। अतिथि विद्वान
डॉ जेपीएस चौहान
जो तन मन से हिंदुस्तान का है क्या हिंदुस्तान न उसका है ? जो संविधान की शिक्षा देता वह संविधान न उसका है? समान काम समान वेतन का जिस पर लागू नहीं विधान पूछो कौन है वह इंसान ?????? महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान अतिथि विद्वान
Arora PR
आँगन फैला दीजिये. दर दरवाज़े खोल दीजिये (घर के और मन के भी.) और. तैयार हो जाइये किसी नए. अतिथि. के स्वागत के लिये ©Arora PR अतिथि देवो भवः
Arora PR
मैं भी उन लोगो क़ी कतार मे खड़ा हू जिन्हे इसी दुनिया ने इस जगत मे आने का निमंत्रण भेजा था . अफसोस ये वही दुनिया. है जो मुझे आज दुत्कारने लगी है वो भी बिना किसी कारण के.. मुझे आँख दिखा रही है जैसे मैंने कोई बड़ा अपराध कर दिया है मैंने तो यहां आने से पहले सुना था यहां "अतिथि " को "देवो भव " क़ी दृष्टि से देखा जाता है पर यहां तो मुझे उपेक्षा के अलावा कुछ मिल नहीं रहा है ©Arora PR अतिथि iदेवो भव
CK JOHNY
करोना मेरे घर आ के गया फुर्सत में था कुछ रोज ठहर के गया। जिंदगी के पाठ सिखा के गया। आया तो था मुझसे मिलने चार चार दिन के लिए पर घर के चारों जनों संग भी समय बिता के गया। पहले मैं अकेला ही पाजिटिव था सभी को पाजिटिव बना के गया। मुसीबत से मिलकर एकजुट होकर कैसे अपनी देखरेख कर कैसे इक दूजे का हौसला बनना है जीवन के गुर सिखा के गया। कौन है अपना कौन है बेगाना कौन खड़ा इस मुश्किल की घड़ी में सतगुरु की सीख प्रैक्टिकल में सिखा के गया। करोना मेरे घर आ के गया फुर्सत में था कुछ रोज ठहर के गया। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ करोना अतिथि भवः