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AJAY NAYAK
सज गए हैं एक एक करके सब घर द्वार लग गए हैं एक एक करके सब तोरण हार बस अब इन्तजार है संध्याकाल का जब लगनी है एक एक दीपों की बहार । बिखेरने को तैयार हैं रंगोलियां भी अपनी छटा अंदर गुंजियों ने भी महका दिया है घर पूरा। दर्जी के यहां आ गए हैं सबके नए नए कपड़े बिसाता से भी आ गया है सब पूजा सामान अब सब नए नए कपड़े पहन ऐसे चमक उठे जैसे कोई हारी बाजी लगी हो सूरज चंद्रमा से। बाजारों में भी है उमड़ पड़ी इतनी भीड़ जैसे, बस आज ही है सब कुछ खरीदना। छत पर लगी झील मील झील मील करके छोटी बड़ी रंगबिरंगी ब्लबे भी हैं चमक उठी दे रहीं हैं अंधेरे को भी एक कड़क संदेश ए तम तेरे लिए तो हम ही हैं बहुत काफी । फड़क उठा है मंदिरों का पताका बज उठा है हर मंदिर का घंटा देखो छोटे, बड़े फाटकों के शोर से गुंजायमान हो रहा है पूरा भारत लंका विजय प्राप्त कर आ रहे हैं हमारे सीताराम हर घर घर। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #दीपावली सज गए हैं एक एक करके सब घर द्वार लग गए हैं एक एक करके सब तोरण हार बस अब इन्तजार है संध्याकाल का जब लगनी है एक एक दीपों की बहार ।
AJAY NAYAK
सज गए हैं एक एक करके सब घर द्वार लग गए हैं एक एक करके सब तोरण हार बस अब इन्तजार है संध्याकाल का जब लगनी है एक एक दीपों की बहार । बिखेरने को तैयार हैं रंगोलियां भी अपनी छटा अंदर गुंजियों ने भी महका दिया है घर पूरा। दर्जी के यहां आ गए हैं सबके नए नए कपड़े बिसाता से भी आ गया है सब पूजा सामान अब सब नए नए कपड़े पहन ऐसे चमक उठे जैसे कोई हारी बाजी लगी हो सूरज चंद्रमा से। बाजारों में भी है उमड़ पड़ी इतनी भीड़ जैसे, बस आज ही है सब कुछ खरीदना। छत पर लगी झील मील झील मील करके छोटी बड़ी रंगबिरंगी ब्लबे भी हैं चमक उठी दे रहीं हैं अंधेरे को भी एक कड़क संदेश ए तम तेरे लिए तो हम ही हैं बहुत काफी । फड़क उठा है मंदिरों का पताका बज उठा है हर मंदिर का घंटा देखो छोटे, बड़े फाटकों के शोर से गुंजायमान हो रहा है पूरा भारत लंका विजय प्राप्त कर आ रहे हैं हमारे सीताराम हर घर घर। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #diwalifestival सज गए हैं एक एक करके सब घर द्वार लग गए हैं एक एक करके सब तोरण हार बस अब इन्तजार है संध्याकाल का जब लगनी है एक एक दीपों की
AJAY NAYAK
मेरा मौन मैं हस रहा हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि रोना नहीं जानता हूं। मैं रुका हुआ हूं इसका मतलब यह नहीं है कि चलना नही जानता हूं। मैं भाग रहा हूं इसका मतलब यह नहीं है कि रुकना नहीं जानता हूं। मैं चुप हूं इसका मतलब यह नहीं है कि बोलना नहीं जानता हूं। मैं क्रोधी हूं इसका मतलब यह नहीं है कि प्यार नहीं जानता हूं। मैं सब कुछ जानता हूं, मै मौन को जान लिया हूं जिसने मुझे समझा दिया है, किसी भी परिस्थिति मे शांत रहना ही दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञान है। इसकी आवाज़ सुनाई नही देती है जिसे जब जरूरत पड़ती है उसके धड़कनो को गुंजायमान कर जाती है। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #मौन #शांत मेरा मौन मैं हस रहा हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि रोना नहीं जानता हूं। मैं रुका हुआ हूं इसका मतलब यह नहीं है कि
Vedantika
जब मन करने लगे शरीर त्यागने का विचार होने लगे ऐसा जीवन सँसार में निराधार सुन लेना कोई संगीत मधुर स्वर में लगा लेना मुझे अपने होंठों से तब फूंक देना मुझमें जीवन अपने कंठ से जान पाओगे तब तुम इस सत्य को कि बाँसुरी का जीवन भी अधूरा है तुम्हारे कंठ के संगीत के बिना (शेष अनुशीर्षक में) जब मन करने लगे शरीर त्यागने का विचार होने लगे ऐसा जीवन सँसार में निराधार सुन लेना कोई संगीत मधुर स्वर में लगा लेना मुझे अपने होंठों से तब
Krish Vj
आज लगा मैं बरसों पुरानी अपनी भारतीय संस्कृति मैं लौट आया हूं संध्या हुई और एक साथ अद्भुत शंख और अन्य ध्वनियो के स्वर गुंजायमान ना कोई अजान, ना कोई गुरुवाणी और ना कोई अन्य बस सब तरफ एक अमृतवाणी ना कोई हिंदू रहा ना कोई मुसलमान बस सब हिंदुस्तानी आज लगा मैं बरसों पुरानी अपनी भारतीय संस्कृति मैं लौट आया हूं संध्या हुई और एक साथ अद्भुत शंख और अन्य ध्वनियो के स्वर गुंजायमान ना कोई अजान
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सदियों से अजर-अमर गुंजायमान अद्भुत अनुपम आर्यवर्त महान ऋषिकुल,गुरुकल परम्परा अपार वैभव-विलास सब साथ-साथ लोक-लाज,मर्यादा,आचार-विचार संतुलित जीवन सब आधार स्तंभ बालक,वृद्ध,नारी,दुर्बल सम्मान सामाजिक व्यवस्था मूल स्वभाव काम,क्रोध,लोभ,मोह तिरस्कार सरल-तरल द्रव्य पारदर्शी जीवन 'सर्वेभवन्तु सुखिनः'मूल वाक्य भारत संस्कृति की अमूल्य पहचान 🌹 Copyright protected ©️®️ Copyright protected ©️®️ #mनिर्झरा 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सदियों से अजर-अमर गुंजायमान अद्भुत अनुपम आर्यवर्त महान ऋषिकुल,गुरुकल परम्परा अपार
Poonam Suyal
खामोशी की गूंज (अनुशीर्षक में पढ़ें) खामोशी की गूंज बहुत कुछ सहने के बाद कई बार होता है ऐसा भी आदत हो जाती है हमें ऐसे जीवन की हैरान नहीं करती फ़िर कोई घटना भी अपनी कही ब
यशवंत कुमार
कोयल के बच्चे (Read Full story in caption) #childrenstory #kidsstory #junglebook #birdsstory Photo credit- Shutterstock कोयल के बच्चे अपनी आदत से मजबूर कोयलिया ने फिर से कौवे के घो
विष्णुप्रिया
शुन्य का सृजक ओंकार सृष्टि का आधार है ये, नाद अक्षर ब्रह्म है ये.. गुंजायमान चहुँ दिशा में.. समय का प्रारंभ है ये। इससे ही सब सृजन पाते.. इसमें ही सब होते लीन, इसकी की कोख में, रोपित हुआ, द्योलोक सजीव..... सहज शाश्वत सत्व यह, वैश्विक ओंकार है। सृष्टि का आधार है ये, नाद अक्षर ब्रह्म है ये.. गुंजायमान चहुँ दिशा में.. समय का प्रारंभ है ये। इससे है सब सृजन पाते.. इसमें ही सब होते लीन,
विष्णुप्रिया
गृहस्थ और वैराग्य के मध्य उलझे कुछ विचार, कुछ भाव, कुछ मान्यताएं, और, उनका उत्तर खोजती मैं... इसी उधेड़बुन में यह कहनी रच गई... ' हिमाद्रि ' कैप्शन में पढ़े... हिमालय....यह....नाम सुनते ही तीव्र अद्यात्मिक ऊर्जा का संचार सा होने लगता है मेरे भीतर । फिर भी आज तक हिमालय दर्शन का सौभाग्य, प्राप्त ना हो