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NEERAJ SIINGH
ये जो आज मोहब्ब्त लिख रहे है इतनी इनसे जरा पूछो की मोहब्ब्त क्या है ? मैंने तो सिर्फ देखी है मोहब्ब्त करने से भी डर लगता, किसी को वादे किसी को यादें देना आसान है क्या, फिर क्यों तू मोहब्ब्त के नाम पर इतने सितम करता है करना ही है साथ दे इतना की मोहब्ब्त खुद हो जाए, वरना ये मोहब्ब्त लिखने से कभी मोहब्ब्त होती नही है मैने नजरो से जी है मोहब्ब्त, अब इस तकलीफ को मैं किसी को यूं दे नही सकता , ख्याल है ख्याल रक्खा इसलिए इस बवाल में तुझे मैं फंसा नही सकता #neerajwrites इसने जरा पूछो की मोहब्ब्त है क्या ?
Shashank Rastogi
और साथ अपने ना जाने कितनी आंखो से बहे आंसुओं की बाढ़ ला रही है जरा पूछो इनसे...❣️🙌 #yqlovequotes #yqhindishayari #yqrahatindori #yqshayari #yqdiary #yqfeelings #yqquotesbaba #YourQuoteAndMine Collabora
Avinash Shrivastava
जरा पूछो उनसे जब जिंदगी बनने से इंकार कर दिया फिर रोज आकर ख्वाबों में जीने के ख्वाब क्यों दिखाते हैं - Avinash Shrivastava जरा पूछो उनसे जब जिंदगी बनने से इंकार कर दिया फिर रोज आकर ख्वाबों में जीने के ख्वाब क्यों दिखाते हैं
Radhika S
जरा पूछो इस अंधेरे की खामोशी से हम आज भी जिंदा हैं किसी बेवफ़ा के इंतजार में जरा पूछो इस अंधेरे की खामोशी से हम आज भी जिंदा हैं किसी बेवफ़ा के इंतजार में
The Manjeet
लोग जो आसमान में उड़ते जमीन को देख कर.. जरा पूछो तो वो कहां पर उतरते है... लोग जो आसमान पर उरतेहै जमीन वाली को देख कर जरा पूछो तो वो कहां पर उतरते है #शायरी #story #rap #shayri #poem #Star
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
हमीं जब है यहाँ कातिल तो बाकी लोग फिर क्या है । खुदा तू ही बता हमको तेरे ये लोग फिर क्या है । उठाकर हाथ में पत्थर कहते कुछ भी नहीं अब जो_ जरा पूछो कभी उनसे आखिर वो चीज फिर क्या है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हमीं जब है यहाँ कातिल तो बाकी लोग फिर क्या है । खुदा तू ही बता हमको तेरे ये लोग फिर क्या है । उठाकर हाथ में पत्थर कहते कुछ भी नहीं अब
सुसि ग़ाफ़िल
_ जो मेरी तासीर का पता लगाने आए हैं .... 🌻 सफर में परेशान है यह लोग जरा पूछो इन्हें पानी , मेरी तरफ मत देखो मैं तो हर रोज टपकता हूं
VSK
क्यों ? पेड़ कहां जा रहे हैं, पंछी पहले पहले जैसे कहां गा रहे हैं , बादल बारिश के मौसम को छोड़कर , गर्मी के मौसम में क्यों छा रहे हैं , सात समुंदर बड़ी बड़ी नदियां होने के बावजूद गांव गांव पानी की कमी से लोग क्यों मर रहे हैं , पानी के लिए लोग क्यों लड़ रहे हैं, मंडी में सब्जियों के दाम क्यों बढ़ रहे हैं .....क्यों ? जंगलों को मिटाकर शहरों की तादाद क्यों बढ़ रही हैं , जंगली जीवो की जान आफत में क्यों पड़ गई है , Global warming, प्रदूषण यह चीजें क्यों बढ़ रही हैं "जरा पूछो अपने आप से जरा पूछो अपने आप से " प्रदूषण क्यों बन रहा है शहरों का आभूषण नदियों का हाल क्यों हो रहा है बेहाल, इंसान तो सारे यहां कमाना चाहते हैं माल , यहां क्यों हो रहे हैं कम उम्र में लड़कों के सफेद बाल , क्यों....? क्यों नदियों में अब पहले जैसी मछलियां नहीं गंदगी है हमारे यहां तैरती, बोरवेल के कितने झटके सह रही है आज यह धरती , इंसान की फितरत क्यों बदल रही है, उसे अपने स्वार्थ के सिवा ना कोई चीज आज दिख रही है , क्यों ....? सारे सवालों के जवाब है हमारे पास , अब धरती को भी नहीं रही होगी हमसे कुछ आस , अरे उसके पास जो कुछ था उसने वह दे दिया ना तुमको, बुद्धिमानी कल आते हो ना खुद को, धरती को बचाने की करते हैं सब बातें यहां... पर यह बातें बातें ही रह जाएगी पृथ्वी पृथ्वी ना रह पाएगी , फिर यह भगवान की अनमोल देन पृथ्वी नष्ट हो जाएगी ! मेरी 48 वी कविता based on enviromental & social issue क्यों ? पेड़ कहां जा रहे हैं, पंछी पहले पहले जैसे कहां गा रहे हैं , बादल बारिश के
Om Prakash Kumar
वह जो भाग रहा है, जरा पूछो बदहवास क्यों है। आज तो खुशी का मौका है, फिर उदास क्यों है।। सारे रास्ते भी दौड़ रहे हैं और राही भी परेशान हैं। गर सब ठीक है, फिर मौत का अहसास क्यों है।। कलतक एक हुज़ूम हुआ करता था इन रास्तों पर। आज सारा सुनसान है, ऐसा गहरा आघात क्यों है।। यह कैसा शहर है ना कहीं शोर, ना कोई हलचल है। गर हर तरफ़ मायूसी है, फिर मन में विश्वास क्यों है।। एक वक़्त था जब मेरे मन में राम बसा करते थे। अब इसमें रावण है, इतना विरोधाभास क्यों है।। यहाँ सभी अपने चेहरे ना जाने क्यों छुपा रक्खे हैं। गर हवाओं में जहर है, फिर फल में मिठास क्यों है।। आँखें खुली हो या बंद सिर्फ़ तेरा ही दीदार होता है। गर इतने करीब हैं, फिर खोने का आभास क्यों है।। मुझे दिल में बसाते हैं तो कभी ये जान लुटाते हैं। गर सभी अपने है, फिर रिश्तों में खटास क्यों है।। यह जमाना कितना मतलबी हो गया है 'ओम'। गर बेटें साथ हैं, फिर माँ सोती उपवास क्यों है।। -ओम प्रकाश वह जो भाग रहा है, जरा पूछो बदहवास क्यों है। आज तो खुशी का मौका है, फिर उदास क्यों है।। सारे रास्ते भी दौड़ रहे हैं और राही भी परेशान हैं।
Shivam Nahar