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Devesh Dixit
टूटा हुआ तारा (दोहे) टूट रहा तारा कहे, कैसी मुझसे आस। मैं गिरा खुद ऊपर से, कौन रहा है पास।। गिरता मुझको देख कर, सबको रहती चाह। माँगे सभी मुराद भी, दिल से कहते वाह।। पीड़ा को समझें नहीं, हैं बालक नादान। घर भी अब ये छूटता, रहा नहीं आसान।। धरती पर जब भी गिरा, समा गया हूँ जान। कैसी मुझसे कामना, कहाँ रहा सम्मान।। अद्भुत है ये जिंदगी, अकसर करे कमाल। मैं भी था समझा नहीं, जिसका मुझे मलाल।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #टूटा_हुआ_तारा #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi टूटा हुआ तारा (दोहे) टूट रहा तारा कहे, कैसी मुझसे आस। मैं गिरा खुद ऊपर से, कौन रहा ह
अदनासा-
Bharat Bhushan pathak
जय जय जय कात्यायिनी माई। कृपा करो माँ सदा सहाई।। हम सभी बालक हैं अज्ञानी। मार्ग दिखाओ माँ कल्याणी।। ©Bharat Bhushan pathak #navratri#माँ_कात्यायिनी जय जय जय कात्यायिनी माई। कृपा करो माँ सदा सहाई।। हम सभी बालक हैं अज्ञानी। मार्ग दिखाओ माँ कल्याणी।।
Munni
White ''mera iss qadar uske jindegi se yun hi nikal jana mehej ek ittefaq keh layega.. magar.. mere jaane se usey thora bhi dukh na hoga , sayed usey isi pall ka barson se intejar hoga...'' ©Munni #SAD #Mehez ittefaq kehlayega... @ Raj_Xoxo KK क्षत्राणी Ak.writer_2.0 SK.. S.V SINGH Sheel Sahab 0 Niaz (Harf) sana naaz babban Maaahi..
Munni
White ''rehne dein kuch baatain yun hi aankahin si.. kuch jawab teri meri khamoshi me hi aatke aacche hein...'' !!! ©Munni #SAD #kuch aankahin baatain... #nojoto @ Heartless Maaahi.. R. Ojha नादान बालक... Ak.writer_2.0 AbhiJaunpur KK क्षत्राणी Sachin Dubey Arsh
Himanshu Prajapati
देखने में लगता हूं शरीफ सा बालक, यकीन ना हो तो जाके देख लो, जैसे आलू गोभी पालक..! ©Himanshu Prajapati #Funny देखने में लगता हूं शरीफ सा बालक, यकीन ना हो तो जाके देख लो, जैसे आलू गोभी पालक..!
Odysseus
अदनासा-
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मेरा इस संसार में , हो न किसी से मेल । अपने आज विचार ही , करते मुझको फेल ।। झूठ नही बर्दाश्त है , सुन लो तुम सब आज । मेरे जीवन का यही , सबसे गहरा राज ।। माना संगत ने किया , अक्सर मुझपे घात । अब भी लगता है मुझे , वह सब है साक्षात् ।। सब ही गुरुवर है यहाँ , करता सबका ध्यान । भूल क्षमा करना सदा , मैं बालक नादान ।। अच्छे दिन में है सुना , पीछा करे अतीत । कहकर अज्ञानी मुझे , बन जाना फिर मीत ।। बच्चों जैसा स्वच्छ है , तन-मन अपना आज । अब मुझको भी स्थान दो , अपने आज समाज ।। जीवन जीने की कला , सीख गया रघुनाथ । अब है विनती आपसे , रहना मेरे साथ ।। २२/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मेरा इस संसार में , हो न किसी से मेल । अपने आज विचार ही , करते मुझको फेल ।। झूठ नही बर्दाश्त है , सुन लो तुम सब आज । मेरे जीवन का यही ,