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पूर्वार्थ
White सुख-दुःख की कशमकश में जीवन सुख का आनंद, दुःख का समाधान,जीवन है इन दोनों का ही तालमेल, मिलकर ये बुनते हैं जीवन का तारतमाल। सुख के क्षण हैं मधुर इत्र की बूंदजो महकाते हैं मन को, करते हैं ह्रदय को मस्त। दुःख के क्षण हैं कड़वे आंसू की बूंदजो धोते हैं आँखों को, करते हैं मन को पवित्र। सुख में खिलते हैं होंठों पर मुस्कानदुःख में भर आते हैं आँखों में आंसू। सुख में नाचते हैं पैर खुशी के ताल पर दुःख में थम जाते हैं कदम निराशा के जाल में। लेकिन क्या सुख के बिना जीवन है सार्थक?क्या दुःख के बिना जीवन है सुखद?नहीं! दोनों ही हैं जीवन के दो पहलूएक दूसरे के पूरक हैं, एक दूसरे के साथी। सुख हमें सिखाता है जीवन का आनंद लेना दुःख हमें समझाता है जीवन का मूल्य। सुख हमें भर देता है उत्साह से दुःख हमें देता है धीरज और सब्र। इसलिए ना खोएं हिम्मत जब आए दुःख के पलक्योंकि ये भी हैं जीवन का एक अंग। और ना भूलें जब आए सुख के पलक्योंकि ये भी हैं जीवन का एक वरदान। जीवन है सुख-दुःख की कशमकशजिसमें जीत उसी की होती है जो इन दोनों को स्वीकार करता है और जीवन को जीता है पूरी शक्ति से ©पूर्वार्थ #सुख #दुख
AwadheshPSRathore_7773
White "अभी रोशनी दो चार कदम चली भी ना थी की दिए को किसी की नजर😰 लग गई" उपरोक्त पंक्तिया मेरी आज उन सभी अजन्मे नहीं वरन जन्म लेकर इस दुनिया में आ चुके उन अभागे बच्चों को समर्पित करता हूं जो माँ की कोख से पैदा तो हुए मगर किसी जन्मजात विकृति शरीर में ले कर आने के कारण वापस महिने दो महिने में ही वापस वही चले गए जिस ईश्वर के घर से वो आए थे वैसे तो 10 जून को मेरा जन्मदिन है मगर मैं इसे 2003 से इस दिन को इसलिए नहीं मनाता है की जून के महिने में ही शादी के 1 साल बाद ही मेरा प्रथम पुत्र रत्न जो पैदा तो हुआ मगर पूर्ण स्वस्थ्य होने के बाद जब देखा तो उसका सिर अति विकसित हो गया था जिसका 1 महिने बाद फिर हमीदिया हॉस्पिटल में ऑपरेशन करवा लिया गया मगर वो बच ना सका और जून महीने में ही उसे शांत होने के बाद भोपाल के "छोला श्मशान कब्रिस्तान" में दफना दिया गया अब तब से यह महिना जून मुझे 10 जून की खुशी मनाने के साथ-साथ उसके जाने का ग़म भी देता है मगर फिर भी मेरी कोशिश यही रही की गम और खुशी से भरे जीवन में दोनों में सामंजस्य बना रहे यानी सीधे कहूँ तो "कभी खुशी कभी गम"। जो बच्चा मृत हुआ उसको श्रद्धांजली स्वरूप बच्चन साहब द्वारा बाद में 2013 में "पा" फिल्म बनाई गई जो बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों द्वारा खूब सराही गई प्रणाम करता हूं "पा " को🙏 ©AwadheshPSRathore_7773 #Hope उम्मीद पर दुनिया कायम है वर्ना सुख और दुख से भरी इस दुनिया में कौन अपना है कौन पराया ठीक से पता ही नहीं चलता। हालात ऐसे हो जाते हैं कभ
दिनेश
उसे अपने वक़्त पर कुछ इस कदर गुरूर हो गया , कि एक पल में एक उम्र का ख्वाब चकनाचूर ही गया । जो सोचता था कि वो पूरा घर चलाता है , आज एक कदम न चल पाया इतना मजबूर हो गया । कुछ आये अपनापन जताने उनके आने से आधा दर्द दूर हो गया , पर दुख में साथ देती है सिर्फ पत्नी ये अहसास जरूर हो गया। ©दिनेश #Raat सुख- दुख की साथी
Arun Mahra
BeHappy ये हांथ से हम कुछ मांगते हैं किसी से पर नहीं मिलता जब ये हांथ से हम किसी का काम करते हैं तो दौलत और इज्जत दोनो मिलता है साथ में प्यार भी कर्मो के ऊपर फल मिलता है ©Arun Mahra अपने हाथ में सुख और अपने हाथ में दुख कर्म के ऊपर डिपेंड करता है
Praveen Jain "पल्लव"
Village Life पल्लव की डायरी अतीत हमारे सीमित आनन्द मन मे झाँका करता था ताना बाना समाजिक हुआ करता था डर और भय से परंपरा जीवित रहती सहयोग लेना देना भावना का भाव रहता था कम संसाधन भले रहते जुड़ाव और प्रेम बे जोड़ रहता था मगर वैश्विक बाजारवाद के अधीन होकर उजड़े गांव शहर आबादी के बोझ से कराहते है सब का राजनीतिक करण हो गया सियासतो के हाथों हमारे सुख चैन छिने जाते है डिप्रेशन में हम सब पगलाये जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #villagelife सियासतों के हाथों हमारे सुख दुख छिने जाते है #nojotohindi
Nilesh
तुम्हें तो ज़िन्दगी का हर दुःख बताया था मैंने तुम्हारा तो हक़ नहीं बनता था मुझे दुःख देने का ©Nilesh #दुख
pawan kumar suman
सुख-दुःख आते-जाते रहते हैं, हम व्यर्थ ढकोशला क्यों करते हैं। हैं नियत-नियति का प्रतिफल ये- न जाने जमाना ढोंग क्यों रचती है। ©pawan kumar suman # सुख -दुःख
Internet Jockey
सुख दुख तो समय का गोल चक्कर है भैया खेला एक जाएगा तो दूसरा आएगा, यही जीवन का मेला ©Internet Jockey सुख दुख तो समय का गोल चक्कर है भैया खेला एक जाएगा तो दूसरा आएगा, यही जीवन का मेला