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pyara birju
इश्क़ में कुछ इस कदर हारा हूँ मैं.... कोई ढांढस बंधा कर ये कह दे, परेशान मत हो...सिर्फ तुम्हारा हूँ मैं ।। मेरी कलम से प्याराबिरजु😣😣😣 #depression इश्क़ में कुछ इस कदर हारा हूँ मैं.... कोई ढांढस बंधा कर ये कह दे, परेशान मत हो...सिर्फ तुम्हारा हूँ मैं ।। मेरी कलम से प्याराबि
#depression इश्क़ में कुछ इस कदर हारा हूँ मैं.... कोई ढांढस बंधा कर ये कह दे, परेशान मत हो...सिर्फ तुम्हारा हूँ मैं ।। मेरी कलम से प्याराबि #ज़िन्दगी #शायरी
read morei am Voiceofdehati
गजब है? जो लोगों की सहायता करना चाहते है उनके पास धन नहीं है, और जिनके पास धन है, वे लोगों की सहायता नहीं करना चाहते... यहां लोग कहेंगे कि सहायता धन की ही नहीं अन्य तरीकों से भी की जा सकती है हां मैं मानता हूं तन,मन और बल से भी तन से आप किसी को सहायता कैसे दें
यहां लोग कहेंगे कि सहायता धन की ही नहीं अन्य तरीकों से भी की जा सकती है हां मैं मानता हूं तन,मन और बल से भी तन से आप किसी को सहायता कैसे दें #lifelessons #MyThoughts #मेरीक़लमसे #motivationtime #yqsnatni #voice_of_village
read moreRupam Jha
आदम ही आदम का रक्तपान कर रहा है यहां, क्या राजनीति में नरसंहार जरूरी है? जीत हार की सियासी जंग में एक इंसान ज़िन्दगी हार गया। अभी प्रमाणित तो नहीं हुआ कि हत्या का क्या कारण था पर प्रथम दृष्टया लगता है कि सियासी जं
*Nee₹
१) मजबूरी २) मजबूरी ३) मजबूरी "कितनी मजबूर* होगी वो माँ.. देख भूखे बिलखते बच्चों को अपनी लाचारी पे कितना रोई होगी कितनी मजबूर* होगी वो माँ.. होकर बेचैन कितना सिसकी होगी उस तड़प में रातें न सोई होगी कितनी मजबूर* होगी वो माँ.. मुफ़लिसी में आज़ादी खोई उसने पर न खोई ख़ुद्दारी उसने कितनी मजबूर* होगी वो माँ.. जाने कैसे भूखे बच्चों को ढांढस बंधाई उसने 'मुझे भूख नहीं है' कहकर निवाले खिलाए उसने सच में, कितनी मजबूर* होगी वो माँ..." ग़रीबी सिर्फ़ धन की कमी का ही नाम नहीं होता। यह एक चरित्र का नाम है। लिखिये अपने विचार YQ DIDI के साथ। #गरीबी #challenge #yqdidi #poverty
ग़रीबी सिर्फ़ धन की कमी का ही नाम नहीं होता। यह एक चरित्र का नाम है। लिखिये अपने विचार YQ DIDI के साथ। #गरीबी #Challenge #yqdidi poverty #yqbaba #yqbhaijan #YourQuoteAndMine #yqthoughts #PovertyQuotes
read morevishnu prabhakar singh
जिन्दगी की रील में, स्मारक बन अज्ञानता अंकित है, शांत परिवेश में। साथ है,नहीं छूटा है स्थापित हो कर,ढांढस देता है इतनी कृपा है। हो जाती होगी अनेक अनहोनी पर मुझे तो एक मार्ग प्रस्तुत है, जो जिन्दगी की रील में, मेरे प्रति सद्भावना अग्रसर कराती है, निश्चित यह,रील में अंकित ज्ञान होगा। वो 'ज्ञान'जो, एक विचारणीय मन,बहुसंख्य आयाम और, अनन्य जिंदगीगत उत्तरदायित्व के सशक्त आचरण में हुई चूक को मात्र, औचित्य प्रदान करता है। आप तो जानते ही हैं, दूषित को दोषमुक्ति नहीं है, जो अकारण भूल को है। मेरे पिता जी कहते हैं 'गलत का justification नहीं है' जिन्दगी की रील में, स्मारक बन अज्ञानता अंकित है, शांत परिवेश में। साथ है,नहीं छूटा है
मेरे पिता जी कहते हैं 'गलत का justification नहीं है' जिन्दगी की रील में, स्मारक बन अज्ञानता अंकित है, शांत परिवेश में। साथ है,नहीं छूटा है #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #ज़िन्दगीकीरील #विप्रणु
read moreअनुज
चलो चलें..... (कृपया अनुशीर्षक पढ़ें) ©अनुज चलो चलें... छोड़ के घर अपना फिर से भागादौड़ी फिर से आंख मिचौली अपनो के नयन हो भीगे घूंट मोह का पीके कदम बढ़ा के आगे चलो च
चलो चलें... छोड़ के घर अपना फिर से भागादौड़ी फिर से आंख मिचौली अपनो के नयन हो भीगे घूंट मोह का पीके कदम बढ़ा के आगे चलो च #Poetry #Hindi #poem #LastNight #nojohindi
read moreअनुज
शून्य से सृजन की ओर पहला कदम विरान सा, दूर से, लिखना सभी को, होता कहीं आसान सा, मनोबल को सुदृढ़ करना, फिर पंक्तियों का ताल मेल, और झिझक भरी आकांक्षाओं का, मन मस्तिष्क में मेल जोल, न अंलकारों की समझ, और मात्राओं की उठा-पटक, छंदों का विरह होना स्वयं में, लय बद्ध होने की मन में खटक, कहां आसान था सफ़र, लिखना, मिटाना बार-बार, कोई भी आकर करता सृजन को, अपने चक्षुओं से तार-तार, फिर स्वयं एकाकी होकर, स्वयं को ढांढस बंधानां, फिर सृजन को जन्म देना, और कलम फिर से उठाना, लिखना सामाजिक कुंठाओं पर, या प्रेम को आलोकित करना, कुंडली मार कर बैठे समाज पर, खादियों का शोषित करना, दुर्गम था पग रखना साहित्य में, आया था जब अनजान सा, शून्य से सृजन की ओर पहला कदम विरान सा... ©अनुज शून्य से सृजन की ओर पहला कदम विरान सा, दूर से, लिखना सभी को, होता कहीं आसान सा, मनोबल को सुदृढ़ करना, फिर पंक्तियों का ताल मेल, और झि
शून्य से सृजन की ओर पहला कदम विरान सा, दूर से, लिखना सभी को, होता कहीं आसान सा, मनोबल को सुदृढ़ करना, फिर पंक्तियों का ताल मेल, और झि #Poetry #Hindi #poem #MessageToTheWorld
read moreअनुज
जो लिखूं वो ही पढ़ो तो ठीक है.... (कृपया अनुशीर्षक पढ़ें) ©अनुज जो लिखूं वो ही पढ़ो तो ठीक है सब भूलकर आगे बढ़ो तो ठीक है छोटे छोटे टीलो पर चलने से क्या जो ऊंचे पर्वत पर चढ़ो तो ठीक है कुछ को पाकर कुछ को
Saurabh Upadhyay
क्या सही होता है क्या गलत होता है इन विभेदों से परे जिंदगी को देखना भी सही होता है (शेष अनुशीर्षक में) जीवन के बहुत सारे भ्रमों का टूट जाना कुछ एक ग़मों पर भी मुस्कुराना सही होता है सही होता है बिना रुके चलते चले जाना सफर में बिछड़े साथी का इंतज़
जीवन के बहुत सारे भ्रमों का टूट जाना कुछ एक ग़मों पर भी मुस्कुराना सही होता है सही होता है बिना रुके चलते चले जाना सफर में बिछड़े साथी का इंतज़ #Hindi #yourquote #hindipoetry #yourquotehindi #सहीग़लत
read morevibrant.writer
{24} सुनो, पते की बात बतलाता हूं..... डरना बुरा नहीं है , पर खुद डरे तो सभी को डराना सही नहीं है। चौकन्ना रखना ठीक है , पर डर की चौकीदारी करना ठीक नहीं। हिम्मत देना, ढांढस बंधाना और आशा की डोरी को थामे रखना, अपने अंदर झांकना और सोचना, चिंता के घोड़े पर बैठकर, मुश्किलों से दो दो हाथ करना, बस डर को कुछ इस तरह से हराना। #patekibaat 👈 touch on this and scroll up... ☺️ {24} सुनो, पते की बात बतलाता हूं..... सुबह बंदर के बच्चे को देखकर भाई का बच्चा डर गया, फिर
#patekibaat 👈 touch on this and scroll up... ☺️ {24} सुनो, पते की बात बतलाता हूं..... सुबह बंदर के बच्चे को देखकर भाई का बच्चा डर गया, फिर #lifelessons #lifequotes #lifestyle #yqdidi #yqhindi #vibrant_writer
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