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Hariom Mishra
कुछ दिनों पहले बस से जा रहा था, परीक्षा के समय नजदीक आ रहा था । मोबाइल से पढ़ रहे थे, घनघोर निंद्रा से लड़ रहे थे। बस चली जा रही थी, नींद लग रही ,और खुली जा रही थी बस एक ढाबे पर रुकी , रात के करीब 1 बज रहा था। आस पास कुछ नहीं दिख रहा था कुछ दूरी पर अलाव जल रहा था, अलाव देखकर मेरा मन मचल रहा था । पास जाकर हाथ सेकने लगे , और उनलोगों को देखने लगे #NojotoQuote ठंड की मार
हरीश कंडवाल
दिसंबर की ठंड हल्कू संग झबरा चल दिया खेत मे करने रखवाली चलती ठिठुर ठिठुर पछुवा, पूष की वो रात काली हल्कू घुटनों के बल बैठे चिलम सुलकाता झबरा कूँ कूँ कर उसको देख पूंछ हिलाता।। दोनों ठंड में सिकुड़, आसमा की ओर नजर उठाते घास पत्ती डालकर बुजी आग को सुलगाते हल्कू ने पुचकार कर झबरा के पीठ पर फेरा हाथ अरे वो झबरा तू क्यों आया यँहा मेरे साथ। झबरा ने भी प्रतिउत्तर में अपनी दुम हिलायी अलाव के समीप आकर ली अंगड़ाई कह रहा हो मानो जैसे रात अभी बाकी है चलो साथ में गपशप कर लो अभी बात बाकी है। हल्कू की सर्द रात से रूह काँप रही है गरीबी उसकी भाग्य रेखा को कोस रही है झबरा को खेत में जानवरो की आहट दी सुनायी भौं भौ कर हल्कू को उठने के लिये आवाज लगायी।। हल्कू अलगाव की गरमाहट गहरी नींद में सो गया बेचारा झबरा सारी रात भौकता रह गया देह गर्म करने को राख में दुबक गया पूष की सर्द रात ठंड में अपने कर्तव्य से हार गया।। सुबह जब हल्कू ने देखा खेत जानवर खा गए गरीब को एक और मौत मार गए झबरा से बोला खेत तो जानवर खा गए चलो हमको दिसम्बर की ठंड से तो बचा गये।। ©® @ हरीश कंडवाल मनखी की कलम से। 📝📝📝✒ दिसम्बर की ठंड
abhisri095
मत पूछो क्या-क्या सहे, रात-को-दिन दिन-को-रात कह डाला सनम तेरी जुदाई में ! ये कह के तूने मार ही डाला ★आजा सनम रजाई में★ 😍💑💏 ठंड की यादें...
Hariom Mishra
वो छोटा सा परिवार था, ठंड से उनलोगों का बुरा हाल था । उनलोगों के तन पर वस्त्र बहुत कम था, कड़ाके के ठंड का उनपे सितम था। चारों तरफ सन्नाटा और अंधकार था , एक छोटे से तंबू पर उनलोगों का अधिकार था। बिस्कुट वैगरह के पन्नी जलाकर हाथ सेकते और सोते हैं , कंपकपाती ठंड हवाओं की मार से रोते हैं ,बिलखते हैं । ऐसा वो बता रहे थे आस -पास हाथ सेक रहे यात्रियों से अपना दुख जता रहे थे #NojotoQuote ठंड की मार
Manish Rajwaniya
प्रिय डायरी कल मम्मी बोल रही थी कि साल का आखरी दिन है नाहा ले। आज बोल रही है साल का पहला दिन है नाहा ले। ऐसा थोड़ी होता है। ठंड मैं नहाने की बात।
Hemant Singh
तेरी यादों ने कुछ इस क़दर मुझ पर बरफ बरसाए कंपकपा कर चीख़ती रहीं ख़ामोशियाँ सारी, पर लफ्ज़ एक ना होठों पर आए सिमट कर बैठा रहा उस बर्फीले तूफ़ान में, सितम सहे ख़ूब ज़िम्मेवार बनी वो धूप मेरी मौत का, था मंज़र मेरी मौत का इतना अनूप तेरी बाहों की गरमाहट ही सिर्फ़ बचा सकती थी मुझे जो क़िस्मत मे नही था मेरी, बेग़ुनाह है वो बेचारी ग़ुलाबी धूप... ठंड की वो गुलाबी धूप...
Mithlessh shaarma
ठंड की सुरुआत खत्म हुआ इन्तजार अब लीजिये ठंड की शुरुआत हो गई लोग लगे कंपकंपाने ठंड से खुद को बचाने दस्ताने मफलर कनटोप स्वेटर, जैकेट, कोट शाल, स्कार्फ, कार्डिगन इन्हीं के सहारे गुजरेगा ठंड दिन ढलता हैं अब जल्दी राते हो गई अब लंबी आती मुंह से भाप वो भी अपनेआप देख होता दर्द जब नजर जाता सड़को पर बूढे बच्चे जवान सिमटे दुबके फुटपाथ पर सोचिये कैसे गुजरती होंगी रात उनके कर सको अगर कुछ कर देना इनके लिए कुछ नित्य रोज़ नया रिकार्ड कोहरे के कहर की होगी फ्लाइटें रद्द और ट्रेनें लेट होंगी ऐसी खबरें अब हर दिन अखबारों में होगी आती याद बीते दिनों की माँ कैसे स्वेटर बुना करती थी उल्टे सीधे फंदे गिना करती थी कुछ बात थी उस सलाई ऊन में अब कहाँ....…. चाय की चुस्कियां गाज़र का हलुवा मक्के की रोटी सरसों का साग मूली के गरमागरम पराठे ठंड में .....क्या बात है खत्म हुआ इन्तजार अब लीजिये ठंड की शुरुआत हो गई...।।। #NojotoQuote ठंड की सुरुआत #हिंदी#हिन्दीकबिता