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Niraj Srivastava
आँखो की इस झील में, सोचा था हर दर्द छूपाऊंगा, खुद मुसकुरकार दुनियाँ को मैं, खुशियों का पैगाम सुनाऊँगा , कम्बखत झील भी छोटा पर गया, जब दर्द की गहराई को देखा, निकल परा आँसू का मंजर, जब झील की साहिल ने रोका, नीरज की कलम से........ आँखों का झील।
Naveen Mahajan
'झील का चांद' किस जतन से आया है ये क्या जताने आया है? पानी पीने आया है के, प्यास जगाने आया है? चांद मन का देवता है है मनों पे मनों भारी मन लगाने आया है के, मन मनाने आया है? अचल दर्पण, चन्द्र चंचल रात में छूता है आंचल देखने आया है चेहरा या दिखाने आया है? झील सबकुछ जानती है प्यार में कहती नहीं शांत-शीतल है खड़ी क्या के जो बहती नहीं? 'चांद यूँ तो सबका है पर मुझसे है कुछ बात खास सबसे पहले छोड़ सबको सिर्फ मुझको और मुझको प्यार जताने आया है पागल बनाने आया है.' #NaveenMahajan #moonlight झील का चांद
डॉ.अजय कुमार मिश्र
उनकी झील सी आँखों का इकलौता चिराग हूँ। उनके सपनों में बसा आधी और तूफान हूँ। मन तो करता है,उनके पलकों की छांव में छुप जाऊँ। पर यहाँ तो पलकों के छाव से घिरा बेसहारा इंसान हूँ। उनकी झील सी आँखों का!
manju sharma
झील सी तेरी नीली आंखों में डुब जाने दे मुझको की इनकी गहराइयों में खोना चाहता हूं मैं थक गया हूं जमाने के सामने मै कुछ देर तेरे पहलूं में सोना चाहता हूं मैं झील
Kalapana Singh Foujdar
तुम झील तो मैं कोई साहिल हूँ, तुम्हारी इसी अदा की तो मे कायल हू!!शांत रहकर तुने सब कुछ जाना हे!!मेने भी सुनाया तुज़्ह्को एक फ़साना हे!!मंजिल हू मे तुने अभी तक न ये जाना हे!!गहराई कितनी भी हो तेरी!!साहिल हू मे किनारे तक तो तुज़्हे आना हे!!तुम झील हो तो मे साहिल हू ये अभी तक न तुने जाना हे!!!!!! #झील
priyanshu Mani tripathi 🌹
तुम झील तो मैं कोई साहिल हूँ, तुम झील तो मै कोई साहिल हू और अगर तू चांद है तो मैं चांदनी बस साया बनके हू अभी तेरा और पूरे जिंदगी भर रहना चाहता हूं तेरे साथ ही #झील
डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
Ajay Chaurasiya
सुनो, इस झील ने बड़ी गहराई से तुम्हारी यादें संभाल रखी है, मैं जब भी यहां आता हूं, ऐसा लगता है तुम साथ हो, शहर के शोर से बोहोत दूर, एकांत की शांति सी हो तुम, झील की मंद तरंगों से होकर हवा जब जब छूकर गुजरती है मुझे, ऐसा लगता है सपर्श है तुम्हारा, तुम्हारा सपर्श अवगत कराता है उपस्तिथि तुम्हारी, परंतु यह झील और मैं दोनों जानते है नहीं हों तुम... ©Ajay Chaurasiya #झील